उम्मीद और नाउम्मीदी के बीच झूल रहा है बाजार। मंदडिए जाहिरा तौर पर हावी हैं। लेकिन वे जब हर तरफ अपना डंका बजा रहे हैं, तब बाजार चुपचाप उनके हमले से तहस-नहस हालात को संभालने में जुट गया है। मेरे बहुत से दोस्त निफ्टी में 4000 पर पुट ऑप्शन या बेचने के सौदे करके बैठ गए हैं। लेकिन अब उन्हें लग रहा है कि वे ऐसा करके बुरे फंस गए हैं। बाजार ने सुधरने का एक पैटर्न-साऔरऔर भी

कल तक हमारे वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी कह रहे थे कि रुपए की हालत विदेशी वजहों से बिगड़ी है और रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन आज शेयर बाजार को लगे तेज झटके से वे ऐसा सहम गए कि बाकायदा बयान जारी कर डाला कि, “रिजर्व बैंक रुपए की हालत पर बारीक निगाह रखे हुए हैं। मुझे यकीन है कि जो भी जरूरी होगा, रिजर्व बैंक करेगा।” यही नहीं, उन्होंने कहा कि डेरिवेटिवऔरऔर भी

सरकार अब भी कहे जा रही है कि वित्त वर्ष 2011-12 के लिए तय विनिवेश लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा। वित्त सचिव आर एस गुजराल ने मंगलवार को आगरा में ड्रग्स के खिलाफ कार्यरत एशिया-प्रशांत देशों की राष्ट्रीय एजेंसियों के प्रमुखों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा, “ इस साल के लिए तय 40,000 करोड़ के विनिवेश लक्ष्य को छोड़ने की कोई वजह नहीं है। कई तरह के विकल्प हैं और कई किस्म के विकल्पोंऔरऔर भी

देश का बढ़ता व्यापार घाटा, विदेशी पूंजी की कम आवक, नतीजतन चालू खाते का बढ़ जाना, ऊपर से पेट्रोलियम तेल रिफाइनिंग व आयात पर निर्भर दूसरी कंपनियों में डॉलर खरीदने के लिए मची मारीमारी ने मंगलवार को डॉलर के सामने रुपए को ऐतिहासिक कमजोरी पर पहुंचा दिया। सुबह-सुबह एक डॉलर 52.73 रुपए का हो गया। रिजर्व बैंक की संदर्भ दर भी 52.70रुपए प्रति डॉलर रखी गई थी। हालांकि शाम तक रुपए की विनिमय दर में थोड़ा सुधारऔरऔर भी

खरबपति निवेशक वॉरेन बफेट का कहना है कि यूरोप के ऋण संकट ने 17 सदस्यीय यूरोज़ोन की बुनियादी कमजोरी को उजागर किया है और महज बयानबाजी व घोषणाओं ने इसे नहीं सुलझाया जा सकता। सोमवार को जापान के दौरे के पहले बफेट ने सीएनबीसी से हुई बातचीत में कहा, “यह यूरो सिस्टम की प्रमुख व बुनियादी गड़बड़ी है। मैं जानता हूं कि अभी जो व्यवस्था चल रही है, उसमें बड़ी खामी है और यह खामी महज शब्दोंऔरऔर भी

यूरोज़ोन एक ऐतिहासिक परियोजना है। भारत चाहता है कि यूरोज़ोन फले-फूले क्‍योंकि यूरोप की खुशहाली में ही हमारी खुशहाली है। यह कहना है कि हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का। फ्रांस में पर्यटन के लिए मशहूर रिविएरा इलाके के सबसे अच्छे शहर कान में हो रहे रहे जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए रवाना होने से पहले बुधवार को प्रधानमंत्री ने यह बात कही। दो दिन का यह सम्मेलन गुरुवार-शुक्रवार (3-4 नवंबर) को होना है। जर्मन चांसलर एंजेला मैर्केल,औरऔर भी

देश की अर्थव्यवस्था या शेयर बाजार की हालत में कोई खास मौलिक बदलाव नहीं आया है। फिर भी बाजार की दशा-दिशा दर्शानेवाला सेंसेक्स 15,900 के निचले स्तर से उठकर 17,805 पर जा पहुंचा। अभी की स्थितियों में यह वाकई कमाल की बात है। यूरोप की हालत पर खूब मगजमारी हो रही है। वहां के ऋण-संकट को वैश्विक बाजार की कमजोरी का खास कारण बताया जा रहा है। इसलिए यूरोप की संकट-मुक्ति की हल्की-सी आभा ने पूरे माहौलऔरऔर भी

एक तरफ केंद्र की यूपीए सरकार अण्णा हज़ारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को न संभाल पाने से परेशान हैं, दूसरी तरफ शेयर बाजार की गिरावट व पस्तहिम्मती ने सरकार के प्रमुख कर्णधार व संकटमोचक वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को हिलाकर रख दिया है। दिक्कत यह भी है कि हमारे शेयर बाजार की गिरावट की मुख्य वजह चूंकि वैश्विक हालात हैं, इसलिए वित्त मंत्री ढाढस बंधाने के अलावा कुछ कर भी नहीं सकते। शुक्रवार को वि‍त्‍त मंत्री प्रणवऔरऔर भी

यूरोप में ग्रीस, पुर्तगाल, इटली, आयरलैंड व स्पेन जैसे देशों की सरकारों को दीवालिया होने से बचाने के लिए यूरोपीय संघ ने नई पहल की है। इसके तहत करीब 750 अरब यूरो का राहत पैकेज तैयार किया गया है। लेकिन इसके साथ शर्त रखी गई है कि इस सरकारों को अपने खर्चों में कटौती करनी होगी, मितव्ययी बनना होगा। इस पैकेज में 60 अरब यूरो का योगदान यूरोपीय आयोग की ओर से किया जाएगा। इसके अलावा आईएमएफऔरऔर भी

प्रो. माइकल हडसन ग्रीस सरकार का ऋण यूरोपीय ऋणों की लड़ी की वह पहली कड़ी है जो फटने को तैयार है। सोवियत संघ के टूटने से बने देशों और आइसलैंड के गिरवी ऋण इससे भी ज्यादा विस्फोटक हैं। ये सभी देश यूरो ज़ोन में नहीं आते, लेकिन इसमें से ज्यादातर के ऋण यूरो मुद्रा में हैं। मसलन, लात्विया के 87 फीसदी ऋण यूरो या अन्य विदेशी मुद्राओं में हैं। उसको ये ऋण स्वीडन के बैंकों ने दिएऔरऔर भी