अगर आपको लगता है कि बजट आपके लिए है, गांव व गरीब के लिए है, नौजवान, महिलाओं, किसानों और बुजुर्गों के लिए है, नौकरी कर रहे या छोटी-मोटी कमाई करनेवाले मध्यवर्ग के लिए है तो आप गफलत में हैं। अगर आपको कहीं से यह लगता है कि बजट समाज कल्याण, शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए है, तब भी आप गफलत में हैं। यह बजट केवल और केवल सरकार के लिए है। इसमें अगर दरअसल किसी का कल्याणऔरऔर भी

केंद्रीय वित्त मंत्रालय में जुलाई 2017 से लेकर जुलाई 2019 तक आर्थिक मामलात के सचिव से लेकर वित्त सचिव तक रह चुके सुभाष चंद्र गर्ग ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पिछले ही महीने उनकी किताब, ‘वी आलसो मेक पॉलिसी’ का एक अंश अखबारों में सुर्खियां बन गया था जिसमें खुलासा किया गया था कि 14 सितंबर 2018 को एक बैठक में रिजर्व बैंक द्वारा केंद्र सरकार को धन देने से मना करने परऔरऔर भी

सरकार ने 1 अप्रैल 2023 से शेयर बाज़ार के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफ एंड ओ) सेगमेंट में होनेवाले सौदों पर सिक्यूरिटीज़ ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) 25% बढ़ा दिया है। पहले एक करोड़ रुपए के फ्यूचर्स सौदों पर 1000 रुपए एसटीटी लगता था, जबकि अब यह 1250 रुपए लगेगा। वहीं, ऑप्शंस की बिक्री पर पहले 0.05% एसटीटी लगता था, अब 0.0625% लगेगा। इस तरह इसमें भी 25% वृद्धि की गई है। पहले ऑप्शंस में एक करोड़ रुपए के सौदेऔरऔर भी

दुनिया पर भले ही नई आर्थिक मंदी का संकट मंडरा रहा हो। लेकिन हमारा देश इंडिया यानी भारत इस वक्त भयंकर ही नहीं, भयावह विश्वास के संकट के दौर से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री झूठ बोलते हैं। समूची सरकार और उसमें बैठी पार्टी के आला नेता झूठ बोलते हैं। सरकार का हर मंत्री झूठ बोलता है। छोटे-बड़े अफसर भी बेधड़क झूठ बोलते हैं। हालत उस कविता जैसी हो गई है कि राजा बोला रात है, रानी बोलीऔरऔर भी

हर तरफ हल्ला है। अखबारों से लेकर टीवी चैनलों और कॉरपोरेट क्षेत्र में तारीफ-दर-तारीफ हो रही है कि एनडीए सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट होने के बावजूद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए वित्त वर्ष 2023-24 के बजट को लोकलुभावन होने से बचा लिया। विकास पर ही पूरा ध्यान रखा। साथ ही राजकोषीय अनुशासन का पूरा पालन किया। सरकार की उधारी नहीं बढ़ने दी और राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9% तक सीमित रखा।औरऔर भी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में कर-मुक्त आय की सीमा 2.50 लाख रुपए के वर्तमान स्तर से मात्र 50,000 रुपए बढ़ाकर 3 लाख रुपए की है। लेकिन उन्होंने चारा फेंका है कि नई टैक्स प्रणाली के तहत अगर आप साल भर में 7 लाख रुपए तक कमाते हैं तो आपको कोई टैक्स नहीं भरना पड़ेगा क्योंकि आयकर कानून के सेक्शन 87-ए के तहत टैक्स रियायत की सीमा 12,500 रुपए से बढ़ाकरऔरऔर भी

समय कितना बेरहम और भविष्य कितना अनिश्चित है! एनडीटीवी के अधिग्रहण के बाद जब हर तरफ अडाणी समूह की तूती बोल रही थी, उसकी शीर्ष कंपनी अडाणी एंटरप्राइसेज़ का 20,000 करोड़ रुपए का ऐतिहासिक एफपीओ (फॉलो-न पब्लिक ऑफर) आने ही वाला था, समूह के मुखिया गौतम अडाणी घूम-घूमकर मीडिया को इंटरव्यू दे रहे थे कि वे कितने ज़मीन से उठे उद्यमी और लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था रखनेवाले व्यक्ति हैं (यहां तक कि कुछ लोग दबी जुबान सेऔरऔर भी

सेंसेक्स हो, निफ्टी हो या हो म्यूचुअल फंड, जोखिम से जुड़े हुए इन बाजार आधारित निवेश विकल्पों ने इस साल जून से ही दिल गार्डन-गार्डन कर रखा है। अब आगे बाजार क्या रुख ले रहा है, इसकी खलबली, भविष्यवाणी सब चल रही है एक साथ। अगले कुछ महीनों में बाजार क्या रहेगा? खलबली क्यों है, बाजार आधारित इस जोखिम भरे स्टॉक या शेयर बाज़ार में निवेश के सुखद अवसर बना रहे कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात करतेऔरऔर भी

अगर आप शेयरों की ट्रेडिंग में दिलचस्पी रखते हैं तो डब्बा ट्रेडिंग का नाम ज़रूर सुना होगा। हर गैर-कानूनी काम की तरह यह भी हल्के-फुल्के मुंगेरीलाल टाइप लोगों को खूब खींचता है। कोई लिखा-पढ़ी नहीं, रिकॉर्ड नहीं, सारा लेनदेन कैश में, सारी कमाई काली। फिर इनकम टैक्स देने या रिटर्न भरने का सवाल ही नहीं। सारे सौदे स्टॉक एक्सचेंज के बाहर होते हैं तो सिक्यूरिटी ट्रांजैक्शन का सवाल ही नहीं उठता। साथ ही कोई दिक्कत आने याऔरऔर भी