ट्रेडिंग बुद्ध

फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग: पतंगा जल, जल, जल मर जाए!

सरकार ने 1 अप्रैल 2023 से शेयर बाज़ार के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफ एंड ओ)...
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अडाणी: सिर मुडाते ही कैसे और क्यों पड़े ओले?

समय कितना बेरहम और भविष्य कितना अनिश्चित है! एनडीटीवी के अधिग्रहण के बाद जब हर...
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कौन काटता चांदी, किनका होता डब्बा गोल!

अगर आप शेयरों की ट्रेडिंग में दिलचस्पी रखते हैं तो डब्बा ट्रेडिंग का नाम ज़रूर...
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किसान को न्यूनतम भी मयस्सर नहीं, बाकी लेते अधिकतम!

देश के गृहमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जोड़ीदार अमित शाह ने 8 दिसंबर को...
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दम तोड़ चुका है जनसंख्या विस्फोट का सिद्धांत

स्वतंत्रता दिवस, 15 अगस्त 2020 को शनिवार का दिन था। शनि का दिन यानी मानें...
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कर्म को दें धार, समृद्धि बरसेगी अपार

गंगोत्री से गंगा की धारा के साथ बहते पत्थर का ऊबड़-खाबड़ टुकड़ा हज़ारों किलोमीटर की...
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समझें धन का चक्र, न बनें घनचक्कर

कभी आपने सोचा है कि ज़रा-सा होश संभालते ही हम धन के चक्कर में घनचक्कर...
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तथास्तु! ताकि, फले-फूले आपका धन

हर कोई अपने धन को अधिक से अधिकतम करना चाहता है। लेकिन कर कौन पाता...
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मर्म जानो, धर्म तो समझो बाज़ार का

यह सच है कि इंसान और समाज, दोनों ही लगातार पूर्णता की तरफ बढ़ते हैं।...
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बीवी का हार नहीं, जिम्मेदारी का जिम्मा है बीमा

पहले जब तक गांव से ज्यादा जुड़ाव था, नौकरीपेशा तबके को जीवन बीमा की जरूरत...
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नवा जूनी

गौरतलब

तथास्तु

पाठशाला

अच्छा लाभ मिला निफ्टी ऑप्शंस में

जून महीने के डेरिवेटिव सौदों में निफ्टी ऑप्शन का शुक्रवार से गुरुवार तक का पहला चक्र कल पूरा हो गया। इस दौरान निफ्टी 4.68% बढ़ा है। 29 मई को निफ्टी 9580.30 पर बंद हुआ था, जबकि कल 4 जून को उसका बंद स्तर 10,029.10 का रहा है। आइए, देखते हैं कि हमने शुक्रवार के भावों के आधार पर निफ्टी ऑप्शंस में ट्रेडिंग के जो चार तरीके अपनाए थे, उनका अंततः क्या हश्र हुआ है। बटरफ्लाई स्प्रेड: बटरफ्लाई स्प्रेड रणनीति कम वोलैटिलिटी होने पर ज्यादा कारगर होती है। फिर भी हमने ज्यादा वोलैटिलिटी की स्थिति होने के बावजूद इस पर अमल किया। इसके अंतर्गत हमने उस दिन निफ्टी के बंद भाव के सबसे नजदीकी स्तर 9600

ऋद्धि-सिद्धि

मुठ्ठी भर मंत्र

अमृतकाल है या विश्वास का संकटकाल

दुनिया पर भले ही नई आर्थिक मंदी का संकट मंडरा रहा हो। लेकिन हमारा देश इंडिया यानी भारत इस वक्त भयंकर ही नहीं, भयावह विश्वास के संकट के दौर से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री झूठ बोलते हैं। समूची सरकार और उसमें बैठी पार्टी के आला नेता झूठ बोलते हैं। सरकार का हर मंत्री झूठ बोलता है। छोटे-बड़े अफसर भी बेधड़क झूठ बोलते हैं। हालत उस कविता जैसी हो गई है कि राजा बोला रात है, रानी बोली रात है, मंत्री बोला रात है, संतरी बोला रात है – यह सुबह-सुबह की बात है। अब तो सरकार की आलोचना करनेवाले अर्थशास्त्री तक झूठ गढ़ने लगे हैं। फिर सच सामने आएगा कैसे? और सच नहीं होगा तो