वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करते हुए ऐलान कर दिया कि अब नई कर व्यवस्था के तहत साल भर में 12 लाख रुपए तक (यानी महीने में औसतन एक लाख रुपए) की आय पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगेगा। यह रकम नौकरीपेशा करदाता के लिए 75,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन जोड़कर 12.75 लाख रुपए हो जाती है। इसके बाद लोकसभा से लेकर मीडिया तक तालियों की बौछार होने लगी। वित्त मंत्री ने खुद कहा कि इस कदम से उन्होंने मध्यवर्ग के करदाता को बड़ी राहत दी है और बाहर भी हर तरफ इसका यही मतलब निकाला गया कि बजट से मध्यवर्ग को बड़ी राहत दी गई है।
लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि 12 लाख रुपए तक की सालाना आय पर जीरो टैक्स की सुविधा उन्हीं करदाताओं को मिलेगी जो नई कर व्यवस्था अपनाएंगे। जो करदाता पुरानी व्यवस्था को अपनाएंगे, उन्हें आयकर एक्ट के सेक्शन 80-सी और 80-डी वगैरह के तहत करयोग्य आय में कटौती मिलती रहेगी। उन्हे होम लोन के मूलधन और ब्याज का भी डिडक्शन मिलता रहेगा। यह व्यवस्था 2014 तक जिस तरह चल रही थी, वो बिना किसी तब्दीली के उसी तरह जारी रहेगी। लेकिन नई कर व्यवस्था का लाभ तभी मिलेगा, जब करदाता इस तरह की रियायतें व कटौती छोड़ने को तैयार होगा।
दूसरे शब्दों में कहें तो सरकार चाहती है कि सभी करदाता नई कर व्यवस्था में आ जाएं। वो उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित कर रही है, भले ही करदाता को अपनी जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा व पेंशन जैसे सामाजिक सुरक्षा और रहने के लिए घर जैसे सपने छोड़ देने पड़ें। सरकार चाहती है कि 12 लाख रुपए या इससे ज्यादा कमानेवाले जमकर खर्च करें। दरअसल, अभी तक 25% करदाता पुरानी टैक्स व्यवस्था में ही पड़े हुए हैं। सरकार लालच देकर उन्हें नई कर व्यवस्था में लाना चाहती है। एक बार जब सभी करदाता नई टैक्स व्यवस्था में आ जाएंगे तो हो सकता है कि आयकर एक्ट के सेक्शन 87-ए को भी खत्म कर दिया जाए। नोट करें कि सरकार ने अभी तक टैक्स मुक्ति की आय सीमा चार लाख रुपए ही रख रखी है। 2024-25 के बजट में यह सीमा 3 लाख रुपए थी। वित्त मंत्री भले ही कहें कि पुरानी टैक्स व्यवस्था को खत्म करने का कोई इरादा नहीं है। लेकिन यह करदाताओं को हलाल करने से पहले माला पहनाने का अनुष्ठान भी हो सकता है।
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में जो नए टैक्स स्लैब घोषित किए हैं, उनके मुताबिक 4 लाख रुपए तक की सालाना आय पर ज़ीरो इनकम टैक्स लगेगा। इसके ऊपर 4 से 8 लाख रुपए तक आय पर 5%, 8-12 लाख रुपए तक की आय पर 10%, 12-16 लाख रुपए तक की आय पर 15%, 16-20 लाख रुपए तक की आय पर 20%, 20-24 लाख रुपए तक की आय पर 25% और 24 लाख रुपए से ज्यादा सालाना आय पर 30% इनकम टैक्स लगेगा।
0-4 lakh rupees | Nil |
4-8 lakh rupees | 5 per cent |
8-12 lakh rupees | 10 per cent |
12-16 lakh rupees | 15 per cent |
16-20 lakh rupees | 20 per cent |
20- 24 lakh rupees | 25 per cent |
Above 24 lakh rupees | 30 per cent |
नए स्लैब के हिसाब से गणना करें तो 12 लाख रुपए की सालाना आय पर 60,000 (4-8 लाख पर 20,000 और 8-12 लाख पर 40,000) रुपए का इनकम टैक्स बनता है। लेकिन सरकार का कहना है कि चूंकि वित्त वर्ष 2025-26 (आकलन वर्ष 2026-27) से आयकर एक्ट के सेक्शन 87-ए के तहत टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 60,000 रुपए की जा रही है, इसलिए करदाता को कोई टैक्स नहीं देना होगा। अभी (चालू वित्त वर्ष 2024-25 या आकलन वर्ष 2025-26) तक 7 लाख रुपए तक सालाना आय पर कुल टैक्स 25,000 रुपए बनता है, जिसे सेक्शन 87-ए के तहत छोड़ दिया जाता है।
लेकिन सेक्शन 87-ए के तहत टैक्स छूट 12 लाख रुपए तक की ही सालाना आय पर मिल सकती है। इससे ज्यादा आय होने पर निर्धारित स्लैब के हिसाब से पूरा टैक्स लगेगा और टैक्स से मिलनेवाला लाभ कम-ज्यादा हो सकता है। जैसे, 12 लाख रुपए तक की आय वाले तो अब पहले की तुलना में 80,000 रुपए का टैक्स लाभ मिल जाएगा, जबकि 16 लाख रुपए की आय वाले को 50,000 रुपए, 18 लाख रुपए आय वाले को 70,000 रुपए, 20 लाख रुपए की आय वाले को 90.000 रुपए, 24 लाख रुपए की आय वाले को 1.10 लाख रुपए और 50 रुपए की सालाना आय वाले को भी 1.10 लाख रुपए का टैक्स लाभ मिलेगा।
Income | Tax on
Slabs and rates |
Benefit
of |
Rebate benefit | Total Benefit | Tax after rebate Benefit | |
Present | Proposed | Rate /Slab | Full upto Rs 12 lacs | |||
8 lac | 30,000 | 20,000 | 10,000 | 20,000 | 30,000 | 0 |
9 lac | 40,000 | 30,000 | 10,000 | 30,000 | 40,000 | 0 |
10 lac | 50,000 | 40,000 | 10,000 | 40,000 | 50,000 | 0 |
11 lac | 65,000 | 50,000 | 15,000 | 50,000 | 65,000 | 0 |
12 lac | 80,000 | 60,000 | 20,000 | 60,000 | 80,000 | 0 |
16 lac | 1,70,000 | 1,20,000 | 50,000 | 0 | 50,000 | 1,20,000 |
20 lac | 2,90,000 | 2,00,000 | 90,000 | 0 | 90,000 | 2,00,000 |
24 lac | 4,10,000 | 3,00,000 | 1,10,000 | 0 | 1,10,000 | 3,00,000 |
50 lac | 11,90,000 | 10,80,000 | 1,10,000 | 0 | 1,10,000 | 10,80,000 |
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बजट में प्रस्तावित प्रत्यक्ष कर प्रावधानों से सरकार को करीब एक लाख करोड़ रुपए के टैक्स का नुकसान होगा। लेकिन बजट के दस्तावेजों के मुताबिक सरकार को नए वित्त वर्ष 2025-26 में इनकम टैक्स से 14.38 लाख करोड़ रुपए और कॉरपोरेट टैक्स से इससे कम 10.82 लाख करोड़ रुपए मिलने का अनुमान है। वहीं, चालू वित्त वर्ष 2024-25 में इनकम टैक्स से मिलनेवाली रकम का संशोधित अनुमान 12.57 लाख करोड़ रुपए (बजट अनुमान 11.87 करोड़ रुपए) और कॉरपोरेट टैक्स संग्रह का संशोधित अनुमान 9.80 लाख करोड़ रुपए (बजट अनुमान 10.20 लाख करोड़ रुपए) का है। साफ है कि सरकार को इस साल कॉरपोरेट टैक्स बजट अनुमान से कम और इनकम टैक्स बजट अनुमान से ज्यादा मिलने जा रहा है। नए वित्त वर्ष 2025-26 में तो इनकम टैक्स का बजट अनुमान 2024-25 के संशोधित अनुमान से 14.40% अधिक रहने जा रहा है। फिर कैसे वित्त मंत्री नए प्रावधानों से एक लाख करोड़ रुपए के नुकसान की बात कर रही हैं।