बजट में ईमानदार करदाता को नहीं, बेईमानों को राहत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि इस बार का बजट अभूतपूर्व होगा। वाकई नए वित्त वर्ष 2021-22 का बजट कम से कम इस मायने में अभूतपूर्व है कि वित्त मंत्री ने अपने एक घंटे 50 मिनट के भाषण में एक बार भी डिफेंस का जिक्र नहीं किया और न ही बताया कि इस बार प्रतिरक्षा पर कितना खर्च किया गया और उसे कितना बढ़ाया जाएगा। वह भी तब पाकिस्तान बराबर कश्मीर में उपद्रव मचाए हुए है और चीन लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ बढ़ाता जा रहा है। बाकी बजट में कुछ भी अभूतपूर्व जैसा नहीं है। वह पहले की तरह ही झूठ, अर्धसत्य और छलावे से भरा हुआ है।

वित्त मंत्री ने इस बार के बजट में डिस्पोजेबल आय बढ़ाए जाने की उम्मीद के विपरीत आम करदाताओं को कोई छूट नहीं दी। न कोई स्लैब बदला गया और न ही कर छूट की सीमा बढ़ाई गई। आयकर की धारा 80-सी में कोई रियायत नहीं बढ़ाई गई, न ही स्वास्थ्य खर्चों सें संबंधित धारा 80-डीडी में कोई सुविधा दी गई। माना जा रहा था कि कोविड-19 के इलाज पर जिस तरह लोगों को अपनी जेब से लाखों रुपए खर्च करने पड़े हैं, उसे देखते हुए बजट में ऐसे खर्च करयोग्य आय में से घटाने की सहूलियत दी जा सकती है। साथ ही मांग बढ़ाने के लिए अफोर्डेबल हाउसिंग में होम लोन पर ब्याज संबंधी छूट में इजाफा किया जा सकता है। लेकिन वित्त मंत्री ने अफोर्डेबल हाउसिंग के बाबत बस इतना कहा कि ब्याज में 1.5 लाख रुपए की कटौती 31 मार्च 2022 तक लिए गए लोन पर मिलती रहेगी।

वित्त मंत्री ने आम करदाता के लिए इस बार में बजट में केवल एक अच्छी घोषणा की है। वह भी पूरी लफ्फाजी और भूमिका के साथ। उन्होंने कहा, “मैं अपने प्रत्यक्ष कर प्रस्तावों की शुरुआत वरिष्ठ नागरिकों को प्रणाम के साथ करती हूं। उनमें से अनेक ने अपनी अनेक बुनियादी जरूरतों को त्यागने के बावजूद देश का निर्माण करने की चेष्टा की है। अब देश की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में, जब हम नए जोश और उत्साह के साथ राष्ट्र-निर्माण में लगे हुए हैं, हम 75 वर्ष और इससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों पर कर-अनुपालन का बोझ कम करेंगे। जिन वरिष्ठ नागरिकों के पास केवल पेंशन और ब्याज से होने वाली आय है, उनके लिए मैं उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से छूट देने का प्रस्ताव रखती हूं। भुगतानकर्ता बैंक उनकी आय पर आवश्यक कर की कटौती कर लेगा।”

लेकिन उनकी इस घोषणा में बड़ा व्याहारिक पेंच है। अगर 75 साल या इससे ज्यादा के वरिष्ठ नागरिक की पेंशन और ब्याज से इतर कोई आय होगी तो उसे पहले की तरह टैक्स रिटर्न भरते रहना पड़ेगा। बाकी जिनकी आय केवल पेंशन और ब्याज से होती है, अमूमन उन्हें कर-मुक्त आय (60 से 80 साल तक के लिए तीन लाख रुपए और 80 साल से ऊपर के लिए पांच लाख रुपए) से ज्यादा आमदनी नहीं होती। लेकिन बैंक उनकी एफडी से होनेवाली आय पर 10 प्रतिशत टीडीएस काटते रहते हैं। इस काटे गए टैक्स का रिफंड वरिष्ठ नागरिकों को तभी मिलता है, जब वे टैक्स रिटर्न भरते हैं। इसलिए व्यवहार में देखें तो वित्त मंत्री द्वारा 75 साल या इससे ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को रिटर्न भरने की झंझट से दी गई मुक्ति दरअसल झांसा है। वित्त मंत्री अगर ऐसा प्रावधान कर देतीं कि इन वृद्ध लोगों की एफडी पर बैंक कोई टीडीएस नहीं काटेगा, तब तसल्ली की बात हो सकती थी। अभी तो रिफंड लेने के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरना वरिष्ठ नागरिकों की मजबूरी है।

वित्त मंत्री ने इस बजट में बेईमान करदाताओं को ज़रूर राहत दी है। उन्होंने कहा है कि अगर 50 लाख रुपए की आय छिपाई गई है तो इनकम टैक्स एसेसमेंट के मामले अब तीन साल तक ही फिर से खोले जा सकते हैं। अभी तक ऐसे मामलों को छह साल तक खोला जा सकता है। मतलब कोई बेईमान करदाता अगर 50 लाख रुपए तक की आय तीन साल तक छिपा ले गया तो वह हमेशा के लिए आयकर अधिकारियों के चंगुल से निकल जाएगा।

हालांकि इस ‘पाप’ की भरपाई के लिए बजट में यह प्रावधान ज़रूर किया गया है कि अगर छिपाई गई आय या  टैक्स फ्रॉड 50 लाख रुपए से अधिक है तो ऐसे मामले छह साल के बजाय दस साल तक फिर से खोले जा सकते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जानकारी दी कि साल 2014 में देश में 3.31 करोड़ टैक्स रिटर्न फाइल किए गए थे। यह संख्या साल 2020 में 6.48 करोड़ तक पहुंच चुकी है।

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