40,000 करोड़ का विनिवेश लक्ष्य अब भी है कायम

सरकार अब भी कहे जा रही है कि वित्त वर्ष 2011-12 के लिए तय विनिवेश लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा। वित्त सचिव आर एस गुजराल ने मंगलवार को आगरा में ड्रग्स के खिलाफ कार्यरत एशिया-प्रशांत देशों की राष्ट्रीय एजेंसियों के प्रमुखों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा, “ इस साल के लिए तय 40,000 करोड़ के विनिवेश लक्ष्य को छोड़ने की कोई वजह नहीं है। कई तरह के विकल्प हैं और कई किस्म के विकल्पों की पहचान की गई है।”

सरकार पब्लिक इश्यू के अलावा कई किस्म के विकल्पों पर विचार कर रही है ताकि शेयर बायबैक, शेयरों के प्राइवेट प्लेसमेंट या कैश संपन्न सरकारी उपक्रमों द्वारा अन्य कंपनियों की शेयर खरीद के जरिए चालू वित्त वर्ष के लिए तय विनिवेश लक्ष्य को पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि सारे विकल्पों वाला खाका निश्चित तौर पर तैयार कर लिया गया है। 40,000 करोड़ रुपए का लक्ष्य अभी छोड़ा नहीं गया है। लेकिन जाहिरा तौर पर वास्तविक विनिवेश बाजार की स्थिति पर निर्भर करेगा।

उन्होंने कहा कि यदि बाजार के हालात खराब होते हैं तो खराब माहौल में विनिवेश करना अनुचित होगा। लेकिन बाजार में किसी भी वक्त सुधार हो सकता है। चालू वित्त वर्ष के सात महीने गुजर चुके हैं। लेकिन सरकार सिर्फ पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) की हिस्सेदारी बेचकर 1145 करोड़ रुपए जुटा पाई है। आशंका जताई जा रही है कि 2011-12 के तय 40,000 करोड़ रुपए के भारी-भरकम विनिवेश लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल होगा। पिछले वित्त वर्ष के दौरान सरकार ने सरकारी उपक्रमों की हिस्सेदारी बेचकर 22,000 करोड़ रुपए जुटाए थे।

शेयर बाजार में हो रही उठा-पटक के कारण सरकार को मजबूरन सरकारी उपक्रमों में प्रस्तावित हिस्सेदारी की बिक्री में देरी करनी पड़ी। मंगलवार को ही उसने ओएनजीसी के एफपीओ को अंतिम तौर पर टालने की घोषणा की है। यूरोप में ऋण संकट बढ़ने की आशका और अमेरिका में आर्थिक संकट के बीच वैश्विक शेयर बाजार में गिरावट का दौर चल रहा है जो थमने का नाम नहीं ले रहा।

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