मैं यह कॉलम दशहरे की छुट्टी के दिन भी लिख रहा हूं तो इसकी दो वजहें हैं। एक तो यह कि मैं आपको दशहरे और आनेवाले त्योहारों की शुभकामनाएं देना चाहता हूं। दूसरा यह कि आपको भरोसा दिलाना चाहता हूं कि भले ही पूरा बाजार बेचने पर उतारू हो, मैं अब भी खरीद के पक्ष में मुस्तैदी से डटा हूं और मेरी रणनीति बदस्तूर हर गिरावट पर खरीदने की है। मैं अब भी मानता हूं कि बहुतऔरऔर भी

बाजार के हालात सचमुच खराब हों या न हों, लेकिन भाई लोगों ने अफवाहों का चक्रवात चलाकर पूरे माहौल को बहुत भयावह बना दिया है। वे बता रहे हैं कि स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने 3 अक्टूबर 2008 को क्या आंकड़े पेश किए थे और अब उसी ने 3 अक्टूबर 2011 को क्या आंकड़े पेश किए हैं। संयोग से दोनों आंकड़े कमोबेश एक जैसे हैं और लेहमान संकट के समय आए ध्वंस की याद दिला रहे हैं। एकऔरऔर भी

शेयर बाजार की हालत तो अभी ऐसी ही लगती है जैसे वहां कोई तेजड़िया बचा ही न हो। कल और आज सुबह तक पूरी दुनिया के बाजारों की हालत बुरी रही। लेकिन भारत में हालत दुरुस्त थी और निफ्टी में कल के निचले स्तर के आसपास 4820 समर्थन मिल रहा था। बहुत से इंट्रा-डे ट्रेडर बढ़त के अंदेशे में लांग हो गए क्योंकि उनके टेक्निकल संकेतक बाजार के 4930 तक जाने का इशारा कर रहे थे। यकीननऔरऔर भी

बीत गया सितंबर महीना। ऐतिहासिक रूप से मंदड़ियों की मौज का वो महीना, जब उन्होंने जमकर नोट बनाए। इस दौरान निफ्टी सुधरकर 5170 तक गया तो धड़ाम से गिर भी गया। फिर वापस 5030 तक चला गया। इसका मतलब कि जिसने भी गिरने पर खरीदने की रणनीति अपनाई होगी, अंत में वह फायदे में रहा होगा। निफ्टी में इस बार रोलओवर पिछले महीने के 72 फीसदी की तुलना में 61 फीसदी रहा है जो साफ दर्शाता हैऔरऔर भी

यूरोप व अमेरिका को भूल जाएं। देश की राजनीतिक गहमागहमी को भी दरकिनार कर दें। बी ग्रुप में जो भी स्टॉक पसंद आए, उसे खरीद लें। मैं आपके सामने तमाम स्टॉक्स की लिस्ट कल ही पेश कर चुका हूं। मैं अपने अंदर की भावना से बता सकता हूं कि आज सेटलमेंट की समाप्ति के साथ ही अब बी ग्रुप में तेजी का सिलसिला शुरू होने जा रहा है। वैसे भी बाजार में संकेत शुभ दिखने लगे हैं।औरऔर भी

कल बाजार ने ज्यादा गिरावट को संभाल लिया और आज सुबह से बढ़ना शुरू हुआ तो लगातार बढ़ता ही गया। आज निफ्टी 2.81 फीसदी बढ़कर 4971.25 और सेंसेक्स 2.95 फीसदी बढ़कर 16,524.03 पर बंद हुआ। भारतीय शेयर बाजार के इस बर्ताव में जबरदस्त अचंभे का तत्व है जिसे देखने-समझने की जरूरत है। मैं आपको बताता रहा हूं कि अभी के दौर में बाजार का आगे बढ़ना बेहद मुश्किल है क्योंकि दुनिया के बाजारों के साथ ही भारतीयऔरऔर भी

थाईलैंड का शेयर बाजार 8 फीसदी लुढ़क गया। यह दिखाता है कि एशिया में किस कदर घबराहट फैली हुई है। लेकिन भारत में कमजोर रोलओवर के कारण एक बार फिर थोड़ा सुधार होता दिखा। इस बीच वायदा कारोबार में चांदी गिरकर 47,000 रुपए प्रति किलो तक जा पहुंची जो हमारे 49,000 रुपए के अनुमान से भी नीचे है। लेकिन कैश बाजार में 3000 रुपए का प्रीमियम है जिससे हाजिर चांदी 50,000 रुपए के भाव में मिल रहीऔरऔर भी

अंदेशा था डाउ जोंस के 200 अंक और निफ्टी के 100 अंक गिर जाने का। लेकिन लगता है कि जैसे अपने यहां भाई लोग भरे बैठे थे। अमेरिका में फेडरल ओपन मार्केट कमिटी ने ऐसा कोई फैसला नहीं किया जिसकी अपेक्षा नहीं थी। सबको पता था और हमने भी लिखा था कि ऑपरेशन ट्विस्ट आना है और क्यूई-3 की गुंजाइश नहीं है। लेकिन मौका मिलते ही उस्तादों ने बाजार को धुन डाला। बीएसई सेंसेक्स का 704 अंकऔरऔर भी

हां, सुबह-सुबह निफ्टी के वापस 5170 के करीब आ जाने के बाद थोड़ा करेक्शन तो होना ही था। निफ्टी बंद हुआ है कल से 6.95 अंकों की मामूली गिरावट के साथ 5133.25 पर। अब 5000 को नया धरातल मानकर चलें जहां से बाजार खुद को जमाने के बाद ऊपर की ओर कूच करेगा। वैसे, कितनी अजीब बात है कि जब बाजार बढ़ रहा है तो ट्रेडर व निवेशक सेटलमेंट की खतरनाक फांस को एकदम भूल ही गएऔरऔर भी

हर कोई आश्चर्य कर रहा है कि कैसे बाजार इतना बढ़ गया। निफ्टी 2.15 फीसदी बढ़कर 5140.20 और सेंसेक्स 2.11 फीसदी बढ़कर 17,099.28 पर जा पहुंचा। लेकिन इसमें हमारे लिए कोई चौंकने की बात नहीं थी क्योंकि हमें पता था कि भारतीय बाजार एकदम तलहटी पर पहुंच चुके हैं। ग्रीस को 76.9 करोड़ यूरो का अपना वाजिब हिस्सा मिल गया और यूरोप के बाजार 2 से 3 फीसदी बढ़ गए। ऐसे में स्वाभाविक था कि शॉर्ट केऔरऔर भी