ऑपरेटर तक फंस जाते हैं कभी-कभी

यूरोप व अमेरिका को भूल जाएं। देश की राजनीतिक गहमागहमी को भी दरकिनार कर दें। बी ग्रुप में जो भी स्टॉक पसंद आए, उसे खरीद लें। मैं आपके सामने तमाम स्टॉक्स की लिस्ट कल ही पेश कर चुका हूं। मैं अपने अंदर की भावना से बता सकता हूं कि आज सेटलमेंट की समाप्ति के साथ ही अब बी ग्रुप में तेजी का सिलसिला शुरू होने जा रहा है। वैसे भी बाजार में संकेत शुभ दिखने लगे हैं। निफ्टी आज 1.41 फीसदी बढ़कर 5015.45 पर बंद हुआ है तो सेंसेक्स 1.53 फीसदी की बढ़त लेकर 16,698.07 पर। एक 5000 के ऊपर तो दूसरा 17,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर से जरा सा पीछे।

अगर आप निवेश का यह मौका चूक गए तो जहां के तहां पड़े, हाथ मलते रह जाएंगे। अगले छह महीने में बी ग्रुप के सभी शेयरों में 100 फीसदी वृद्धि की उम्मीद पकड़कर चलें जिसका मतलब होता है सालाना 200 फीसदी का रिटर्न। सेबी ने पीजी इलेक्ट्रोप्लास्ट की ट्रेडिंग की जांच का फैसला कर लिया तो यह स्टॉक फिर 18 फीसदी से ज्यादा टूट गया। कोई क्यों नहीं समझता कि जांच से निवेशकों को कोई फायदा नहीं होगा। बल्कि इसमें मरते आखिरकार वही हैं। इसके बजाय सेबी को इस तरह की धांधली को शुरू होने से पहले ही रोकने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। भगवान करे कि इस खेल के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएं।

इकनॉमिक टाइम्स ने आज रिपोर्ट लगाई है कि कैसे नए लिस्ट हुए आईपीओ (शुरुआती पब्लिक ऑफर) में लोगों का धन डूब गया है। उसने एक कंपनी फाइनियोटेक्स केमिकल के बारे में अलग से लिखा है कि मशहूर ऑपरेटर पिंक पैंथर आईपीओ से पहले शेयर लेने के खेल में फंस गया है। इसका आईपीओ इस साल फरवरी में आया था और शेयर 70 रुपए पर जारी किए गए थे, जबकि पिंक पैंथर ने इश्यू से पहले ही 30-35 रुपए के भाव पर बड़ी मात्रा में शेयर ले लिए थे। 11 मार्च को लिस्टिंग के पहले ही दिन यह 101 फीसदी बढ़कर 140.90 रुपए पर बंद हुआ। ऑपरेटरों के खेल के दम पर जून में 353 रुपए पर जाने के बाद अब भी 255 रुपए के ऊपर है। लेकिन पिंक पैंथर 60 रुपए पर अपने सारे शेयर बेचने को तैयार है। फिर भी उसे खरीदार नहीं मिल रहे। बाजार में पिंक पैंथर केतन पारेख को कहते हैं।

चलिए, इसी बहाने कम से कम अब मीडिया को समझ में आ रहा है कि आईपीओ का खेल कुछ नहीं, बल्कि इश्यू से पहले ही बेचने का खेल है। भारतीय निवेशकों को इससे बचाने के लिए बाजार नियामक सेबी और सरकार को जरूर कुछ उपाय करने चाहिए। इसमें जितनी देर होगी, सरकार पर उतना ही नकारात्मक असर पड़ेगा क्योंकि रिटेल निवेशक सामान्य आईपीओ की तो बात ही छोड़ दीजिए, सार्वजनिक उपक्रमों के अच्छे-खासे एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) तक से दूर भाग रहा है।

निफ्टी में लांग बने रहें क्योंकि मेरा मानना है कि अब गिरावट की गुंजाइश बहुत सीमित है, जबकि तत्काल इसके 10 फीसदी बढ़ जाने की संभावना है। हालांकि यह बात बहुतों के गले नहीं उतर सकती। यूरोप के बारे में बारंबार चर्चा करते रहने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि उसका मामला हाथ से निकल चुका है।

धन्य हैं वे लोग जो संतोषम्, परम सुखम् में मस्त हैं। कोई उम्मीद ही नहीं पालते। जब उम्मीद ही नहीं तो क्या टूटना और काहे का गम!

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का पेड-कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

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