बड़ी लंबी बिछी है आरईसी की लाइन

रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (आरईसी), भारत सरकार की नवरत्न कंपनी। करीब साढ़े तीन साल पहले फरवरी 2008 में 105 रुपए पर आईपीओ आया था। लेकिन उसी साल वैश्विक मंदी का प्रकोप आ गया। लेहमान संकट के समय इसका शेयर नवंबर 2008 में 53 रुपए तक गिर गया। लेकिन फिर उठा तो साल भर पहले 11 अक्टूबर 2010 को 413.80 रुपए की चोटी तक जा पहुंचा। इसके बाद फिर गिरने लगा तो पिछले महीने 26 अगस्त 2011 को 162.51 रुपए पर 52 हफ्ते का न्यूनतम स्तर बना गया।

अच्छी से अच्छी कंपनियों के शेयरों के भाव ऐसे ही चक्र, ऐसी ही लहरों में चलते हैं। ऊपर उठनेवाला नीचे गिरता है और नीचे पड़ा हुआ ऊपर चला जाता है। यह अलग बात है कि पब्लिक से धन ऐंठने की सोच लेकर बाजार में आनेवाली कंपनियों के शेयर डूबते-डूबते एक दिन गायब हो जाते हैं। सेबी और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय को ऐसी कंपनियों का आना ही रोकना पड़ेगा। खाली ‘वैनिशिंग कंपनियों’ की लिस्ट लगा देने से कुछ नहीं होनेवाला।

खैर, आरईसी का दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल, 28 सितंबर को बीएसई (कोड – 532955) में 172.30 रुपए और एनएसई (कोड – RECLTD) में 172.65 रुपए पर बंद हुआ है। ए ग्रुप का शेयर है, बीएसई-100 सूचकांक में शामिल है तो इसमें फ्यूचर्स व ऑप्शंस कारोबार भी होता है। आज तो सितंबर के फ्यूचर्स का एक्पायरी दिन है। इसके अक्टूबर के फ्यूचर्स का मूल्य अभी 173.55 और नबंबर के फ्यूचर्स का मूल्य 174 रुपए है। जाहिर है कि शेयर अभी अपने 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर के करीब है और इसमें रुझान बढ़ने का है।

यह बिजली मंत्रालय के अधीन काम करनेवाली 1969 में बनी कंपनी है और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन की तरह देश भर बिजली परियोजनाओं के लिए वित्त मुहैया कराने का काम करती है। हां, इसका रुझान नाम के अनुरूप गांवों की तरफ ज्यादा है। राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के लिए ग्रांट और लोन देने का काम यही कंपनी करती है। इसके मिले ऑर्डरों को निजी क्षेत्र की इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियां अपनी उपलब्धि बताती है। यह इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी की मान्यता के साथ एनबीएफसी के रूप में भी पंजीकृत है। इसलिए कल को बैंक भी बन सकती है।

बीते वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी की आय 26.09 फीसदी बढ़कर 8108.77 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 28.40 फीसदी बढ़कर 2669.92 करोड़ रुपए हो गया। चालू वित्त वर्ष 2011-12 की जून तिमाही में आय 23.22 फीसदी बढ़कर 2312.86 करोड़ और शुद्ध लाभ 12.70 फीसदी बढ़कर 661.96 करोड़ रुपए हो गया है। इसके धंधे में मार्जिन बहुत ज्यादा है। स्टैंड एलोन रूप से कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 26.78 रुपए है। 172.30 रुपए के बाजार भाव को इस ईपीएस से भाग दें तो पता चलता है कि उसका शेयर फिलहाल 6.43 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। यही शेयर इस साल फरवरी तक बराबर 10 से ऊपर पी/ई पर ट्रेड होता रहा है। 20.72 तक के पी/ई अनुपात पर जा चुका है। यहां तक कि इसकी हमजोली सरकारी कंपनी पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) का शेयर भी अभी 7.57 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। इसलिए सहज बुद्धि तो यही कहती है कि अभी आरईसी में निवेश करने का सही मौका है। इस शेयर के यहां से बड़े मजे में 200 रुपए तक जाने की उम्मीद पाली जा सकती है। यानी, इसमें 15 फीसदी से ज्यादा रिटर्न मिल सकता है।

कंपनी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक (सीएमडी) हरिदास खुनटेटा के मुताबिक इस साल 65,000 करोड़ रुपए के नए प्रोजेक्ट मंजूर किए जाने की उम्मीद है। 28,000 करोड़ रुपए के ऋण वितरित करने का लक्ष्य है। मार्च 2011 तक कंपनी ने 81,725 करोड़ रुपए के कर्ज दे रखे थे। यह रकम चालू वित्त वर्ष के अंत मार्च 2012 तक 1,05,000 करोड़ रुपए हो जाने की उम्मीद है। 30 जून 2011 तक उसकी लोनबुक 85,825 करोड़ रुपए की हो चुकी थी। कंपनी सौर ऊर्जा परियोजनाओं को भी महत्व दे रही है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसने कुल 621.06 करोड़ रुपए की छह सौर ऊर्जा परियोजनाओं को मंजूरी दी और उन्हें 390.71 करोड़ रुपए की ऋण सहायता उपलब्ध कराई।

आपको शायद याद होगा कि इस साल अप्रैल तक महाराष्ट्र के भ्रष्ट अफसर जे एम फाटक इस कंपनी के सीएमडी हुआ करते थे। आदर्श हाउसिंग घोटाले में नाम आने के बाद फाटक जी जाना पड़ा। तब तक खुनटेटा कंपनी के निदेशक (वित्त) हुआ करते थे। अब सीएमडी बन गए हैं तो खुनटेटा साहब को अखबारों में फोटो छपवाने और इंटरव्यू देने में बड़ा आनंद आ रहा है। बेचारे अभी तक सरकार के प्रताप से डरे हुए हैं। इसलिए एजीएम के अपने भाषण में उन्होंने कंपनी की उपलब्धियों के लिए बिजली मंत्री से लेकर मंत्रालय के सचिव, उप सचिव सबको धन्यवाद दे डाला है। क्या कीजिएगा, सत्ता का डर बड़े-बड़े नौकरशाहों को चमचागीरी पर मजबूर कर देता है। लेकिन कंपनी अच्छी है और दूरगामी निवेश के लिए एकदम मुफीद है।

कंपनी की 987.46 करोड़ रुपए की इक्विटी में सरकार की हिस्सेदारी 66.80 फीसदी है। एफआईआई ने इसके 19 फीसदी और डीआईआई ने 5.19 फीसदी शेयर ले रखे हैं। बाकी जनता के पास इसके 9.01 फीसदी शेयर ही हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 2,85,762 है। इसमें से 2,80,658 यानी 98.21 फीसदी छोटे निवेशक हैं जिनके पास कंपनी के कुल 3.49 फीसदी शेयर हैं। हां, सीएमडी खुनटेटा के पास भी इसके 5000 शेयर हैं तो उम्मीद की जा सकती है कि वे सरकार के अलावा छोटे निवेशकों का भी भरपूर ख्याल रखेंगे।

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