रिजर्व बैंक ने न केवल ब्याज दरें एक बार फिर बढ़ा दीं, बल्कि अब भी इसी रुख पर कायम है कि मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए वह आगे भी ऐसा कर सकता है। व्यावहारिक रूप से देखें तो ब्याज दरें बढ़ाकर मुद्रास्फीति को रोकने की सीमा और समय, दोनों ही अब समाप्त हो चुका है। वैसे भी बेहद कम गुंजाइश है कि दिसंबर में ब्याज दरें बढ़ाई जाएंगी क्योंकि तब तक अच्छे मानसून का असर सामनेऔरऔर भी

इधर हर कोई सोने में चल रही तेजी की वजह यूरोप के ऋण संकट और अमेरिका में आई आर्थिक सुस्ती को बता रहा है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के बाजार विश्लेषक क्लाइड रसेल का कहना है कि इसकी असली वजह दुनिया के केंद्रीय बैंकों की खरीद के अलावा भारत व चीन के ग्राहकों की बढ़ी हुई मांग है जहां सोना खरीदना मुद्रास्फीति के बचाव के साथ-साथ स्टेटस सिम्बल भी बनता जा रहा है। क्लाइड रसेल काऔरऔर भी

बाजार की मनोदशा खराब चल रही है। फंड मैनेजर अब भी करीब 15 फीसदी करेक्शन या गिरावट की बात कर रहे हैं। इस सेटलमेंट में बहुत ही कम रोलओवर हुआ है। अगले महीने बजट आना है। मुद्रास्फीति की तलवार सिर पर लटकी है। ब्याज दरों का बढ़ना भी बड़ी चिंता है। इन सारी चिंताओं से घिरा निवेशक पास में कैश की गड्डी होने के बावजूद बाजार में नहीं घुसना चाहता। अमेरिकी बाजार इधर काफी बढ़ चुके हैंऔरऔर भी

प्रधानमंत्री ने कह दिया है कि अगर संसद में सामान्य कामकाज की शर्त जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) का गठन है तो वे यह शर्त मानने को तैयार हैं। बाजार के लिए यह अच्छी सूचना है। रिजर्व बैंक ब्याज दरों में वृद्धि का फैसला कल करने जा रहा है। बाजार इसके लिए तैयार है और शेयरों के मूल्य में ब्याज दरों के 0.50 फीसदी बढ़ने का असर गिन लिया गया है। अगर वृद्धि इससे कम होती है तोऔरऔर भी

बैंकिंग और ऑटो सेक्टर के स्टॉक्स में करेक्शन का आना अपरिहार्य था। हम इसकी आशंका बराबर काफी समय से जताते रहे थे। यह झटका लगा और तब लगा जब वित्त मंत्रालय ने कह दिया कि वे आर्थिक प्रोत्साहन वापस लेंगे। लेकिन यह बाजार का अंत नहीं है। अब सारा ध्यान ऑयल, टेलिकॉम, गैस, कंज्यूमर ड्यूरेबल और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के स्टॉक्स पर आ जाएगा। 80 नए स्टॉक्स में घोटाले की अफवाह सिटी बैंक की धोखाधड़ी से जोड़कर निकालीऔरऔर भी

मैने हाल ही में अखबार में एक लेख पढ़ा जिसमें बताया गया है कि 1.60 लाख करोड़ रुपए के बाजार में महज 250 करोड़ रुपए से किसी भी एफ एंड ओ (फ्यूचर्स व ऑप्शंस) सौदे को नचाया जा सकता है। यह संभव भी लगता है। जरा गौर कीजिए। बाजार में कल तक का ओपन इंटरेस्ट 1.66 लाख करोड़ रुपए का था और इसमें से करीब एक लाख करोड़ रुपए निफ्टी के पुट व कॉल ऑप्शन के हैं।औरऔर भी

कल हमने बाजार चलानेवालों का ऐसा खेल देखा जो पहले कभी नहीं हुआ था। उन्होंने धांधली करके महीने की कैरीओवर दरों को सीधे 1.4 फीसदी से 5 फीसदी तक पहुंचा दिया और कारोबारी दिनों की संख्या के आधार पर वास्तविक लागत 2 से 9 फीसदी तक रहीं। यह एकदम अविश्सनीय था। यह साबित करता है कि बाजार के खिलाड़ियों का कितना भारी ररूख है। निस्संदेह तौर पर ऐसा सुना गया है कि गोल्डमैन ने 850 करोड़ रुपएऔरऔर भी

बाजार ने तेजी का एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल कर लिया। सेंसेक्स 20,000 के पार तो निफ्टी 6000 के पार जाकर बंद हुआ। इस मौके पर मैं अपनी खुशी शब्दों में बयां नहीं कर सकता। फिर भी आपको चेतावनी देने से खुद को नहीं रोक पा रहा। एक बात जान लें कि जुनून जितना तल्ख होगा, करेक्शन उतना ही गहरा होगा और आपकी पूरी बैलेंस शीट चंद दिनों में साफ हो सकती है। मगर, शॉर्ट सौदे करते वक्तऔरऔर भी