रिलायंस को 920 तक पीट डालेंगे वो!

बाजार की मनोदशा खराब चल रही है। फंड मैनेजर अब भी करीब 15 फीसदी करेक्शन या गिरावट की बात कर रहे हैं। इस सेटलमेंट में बहुत ही कम रोलओवर हुआ है। अगले महीने बजट आना है। मुद्रास्फीति की तलवार सिर पर लटकी है। ब्याज दरों का बढ़ना भी बड़ी चिंता है। इन सारी चिंताओं से घिरा निवेशक पास में कैश की गड्डी होने के बावजूद बाजार में नहीं घुसना चाहता।

अमेरिकी बाजार इधर काफी बढ़ चुके हैं और वहां अब थोड़ा करेक्शन होना है। ऐसे में हमारे लिए आगे क्या स्थिति बननेवाली है? इस पहलू पर गौर करने की जरूरत है कि भारतीय बाजार को चलाने/नचाने वाले अमेरिकी गिरावट या करेक्शन का इस्तेमाल कहीं पहले से भयग्रस्त माहौल को और बिगाड़ने में न कर डालें। टेक्निकल विश्लेषण से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उन्होंने पहले से ही बाजार को उहापोह में डाल रखा है। निफ्टी में 200 दिनों का मूविंग औसत (डीएमए) 5600 का है और यही बाजार का समर्थन स्तर है। फिर भी तकरीबन सभी तरह के ट्रेडरों व निवेशकों के बीच पक्की धारणा बैठा दी गई है कि बाजार इस स्तर को तोड़कर 5500 पर नई तलहटी बनाएगा।

इस समय बाजार में कुछ बेहद झूठे और गलत संदेश फैलाए जा रहे हैं जिन्हें मैं ऑन-रिकॉर्ड नहीं पेश कर सकता क्योंकि इनसे गलत संकेत जा सकते हैं। फिर भी अगर इनमें सच का थोड़ा भी अंश है तो निफ्टी निश्चित रूप से 200 डीएमए का स्तर कम से कम एक बार तोड़ेगा और रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) का स्टॉक 920 रुपए या इससे नीचे जा सकता है क्योंकि 50 स्टॉक्स से बने निफ्टी में अकेले आरआईएल का वजन काफी ज्यादा, 9.81 फीसदी है। वैसे भी आरआईएल आज एनएसई में 1.53 फीसदी गिरकर 943.85 रुपए पर बंद हुआ है।

ऐसे माहौल में हमारी रणनीति बिना ज्यादा हाथ-पैर मारे शांत बैठकर इंतजार करने और समय की धार देखने की होनी चाहिए। यकीनी तौर पर रोलओवर नहीं हुए हैं। हां, इतना जरूर है कि आज रोलओवर के चलते कुछ बैंकिंग स्टॉक खरीद की सूची में शामिल रहे। अगर बाजार के आखिरी घंटे में रोलओवर के मोर्चे पर अचानक सक्रियता आई होती तो निफ्टी 5770 पर बंद दो सकता था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और निफ्टी आज के कारोबार के अंत में 5604.30 पर बंद हुआ है। जाहिर है मंदड़ियों ने मूल्यों के अपने पक्ष में होने के कारण रोलओवर की कोशिश नहीं की और तेजड़िए डिलीवरी मांग नहीं सकते थे।

एक बात मैं जोर देकर कहना चाहूंगा कि मुद्रास्फीति को नीचे आना है, ब्याज दरों की चिंता मिट जाएगी और बाजार एक अंतराल के बाद उठेगा। इसलिए सच्चे निवेशकों को डरने की कोई जरूरत नहीं है। जो लोग एफ एंड ओ या डेरिवेटिव सेगमेंट को नियंत्रित कर रहे हैं, उनका काफी ज्यादा दांव वास्तविक कैश बाजार में लगा हुआ है क्योंकि एफ एंड ओ सेगमेंट के स्टॉक्स का बाजार पूंजीकरण ही एफ एंड ओ के कुल ओपन इंटरेस्ट से 200 गुना ज्यादा है। एफ एंड ओ के चलते बाजार में आती हर गिरावट इन निवेशकों की नेटवर्थ को कम कर रही है और इसलिए यह सब कुछ महज तात्कालिक मसला है।

धैर्य और समय ताकत या जुनून से कहीं ज्यादा बलवान व कारगर होते हैं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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