कल हमने बाजार चलानेवालों का ऐसा खेल देखा जो पहले कभी नहीं हुआ था। उन्होंने धांधली करके महीने की कैरीओवर दरों को सीधे 1.4 फीसदी से 5 फीसदी तक पहुंचा दिया और कारोबारी दिनों की संख्या के आधार पर वास्तविक लागत 2 से 9 फीसदी तक रहीं। यह एकदम अविश्सनीय था। यह साबित करता है कि बाजार के खिलाड़ियों का कितना भारी ररूख है। निस्संदेह तौर पर ऐसा सुना गया है कि गोल्डमैन ने 850 करोड़ रुपए के स्टॉक्स बेचे हैं। यह बिक्री आम हालात में बाजार को एकदम खोखला बना सकती थी। पूरी अफरातफरी वन-मैन आर्मी ने पैदा की है। एक्सचेंजों को इसकी कोई भनक नहीं थी या कहें कि उनके पास बाजार और उसकी विश्वसनीयता को बचाने का कोई साधन नहीं था।
दुखद पहलू यह है कि रिटेल निवेशकों को डिलीवरी वाले बी ग्रुप के शेयरों पर कोई भरोसा नहीं है। वे डेरिवेटिव सौदों में खेलने की कोशिश करते हैं। उन्हें कैरीओवर की लागत के कारण भारी चोट सहनी पड़ी है। दरअसल उन्होंने डेरिवेटिव्स में पहले नवंबर की सीरीज खरीदी और अक्टूबर की सीरीज को खुला रखा। लेकिन बढ़ते अंतर ने बंद भावों पर सौदे काटने की अनिवार्यता के चलते उनको हलाल करके रख दिया। कम से कम पांच फंडों को मैं जानता हूं जो कई स्टॉक्स में खरीद या लांग की पोजिशन संभाले हुए थे। लेकिन फिजिकल सेटलमेंट न होने के कारण उन्हें सारा अंतर कैश में चुकाना पड़ा। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने फ्चूचर्स खरीदे ही क्यों थे तो उनका चौंकानेवाला जवाब यह था कि बी ग्रुप में वोल्यूम कहां है।
फ्यूचर सौदों में फिजिकल सेटलमेंट आर्बिट्राज का जबरदस्त मौका पैदा करेगा और इसके परिणामस्वरूप कैश बाजार में स्टॉक लेंडिंग का चलन बढ़ेगा। कब तक स्टॉक एक्सचेंज फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था लागू करेंगे, नहीं मालूम और जब तक ऐसा नहीं होगा, तब तक बाजार के उस्ताद बीते गुरुवार का खेल दोहराते रहेंगे। सारे मामले का सार यह है कि यह उनके धंधे-पानी का सवाल है और ऐसे ताकतवर लोगों की कमाई के साधन पर कोई कैसे कुल्हाड़ी चला सकता है? फिर भी मेरा मानना है कि उनका यह खेल ज्यादा नहीं चल सकता क्योंकि हमारे नियामक काफी ताकतवर हैं और वे इस समस्या को एक न एक दिन दूर कर देंगे।
अब जरा कल के कॉल और पुट एक्सपायरी के आंकड़ों पर गौर कीजिए। निफ्टी में कॉल एक्सपायरी 3.82 करोड़ शेयरों और पुट एक्सपायरी 4.39 करोड़ शेयरों की थी, जबकि निफ्टी फ्यूचर्स में ओपन इंटरेस्ट था महज 2.56 करोड़ शेयरों का। ऐसा लगता है कि ऑप्शन बाजार रिस्क की सीमित हेजिंग और मार्केट मेकर्स के लिए अधिक बीमा देने से जुड़ी अपनी अहमियत खोता जा रहा है।
चालू माह का ओपन इंटरेस्ट 60,000 करोड़ रुपए था। इसके आधार पर मुझे नहीं लगता कि बाजार सीधे गिरेगा। इसकी कोई गुंजाइश नहीं है। नई पोजिशन से बाजार (सेंसेक्स) वापस 20,500 तक जाएगा और शायद वहां से हम नवंबर माह में ही छलांग मारकर 21,500 का नया शिखर देखने जा रहे हैं।
जीवन एक एकाकी कालकोठरी है जिसकी हर दीवार पर आईने लगे हुए हैं।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)