वैश्विक समृद्धि सूचकांक में भारत दस स्थान फिसलकर 88वें स्थान पर आ गया है। लंदन के लेगाटुम इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार इस सूचकांक में भारत पिछले साल के 78वें स्थान पर था। संस्थान का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ उद्यमी बुनियादी ढांचे की कमजोरी से भारत की रैकिंग घटी है।
इस सूचकांक में 110 देशों को शामिल किया गया है जिनमें शीर्ष पर नॉर्वे और उसके बाद क्रमशः डेनमार्क, फिनलैंड, आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड है। इसमें चीन को 58वें स्थान पर रखा गया है। संपन्नता के इस सूचकांक में आर्थिक विकास और लोगों के रहन-सहन के स्तर पर गौर किया जाता है। इसमें गैलप वर्ल्ड पोल 2009 और संयुक्त राष्ट्र की विकास रिपोर्ट से भी आंकडे जुटाये जाते हैं।
भारत जिन दो मामलों में काफी ऊपर है, वे हैं अर्थव्यवस्था (44वां स्थान) और संचालन (41वां स्थान)। इंस्टीट्यूट के अनुसार इन दोनों मामलों में जनता का विश्वास काफी ऊंचा है। तीन तिहाई भारतीयों ने सरकार के कामकाज और देश के वित्तीय संस्थानों में काफी विश्वास जताया है।