बैंकिंग और ऑटो सेक्टर के स्टॉक्स में करेक्शन का आना अपरिहार्य था। हम इसकी आशंका बराबर काफी समय से जताते रहे थे। यह झटका लगा और तब लगा जब वित्त मंत्रालय ने कह दिया कि वे आर्थिक प्रोत्साहन वापस लेंगे। लेकिन यह बाजार का अंत नहीं है। अब सारा ध्यान ऑयल, टेलिकॉम, गैस, कंज्यूमर ड्यूरेबल और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के स्टॉक्स पर आ जाएगा।
80 नए स्टॉक्स में घोटाले की अफवाह सिटी बैंक की धोखाधड़ी से जोड़कर निकाली गई है। लेकिन इसमें कुछ भी दम नहीं है। गुजरात समाचार ने अफवाह फैलाई है और सीबीआई की कार्रवाई की बात की है। हकीकत यह है कि खुफिया विभाग (आईबी) पहले ही अपनी रिपोर्ट सेबी और सीबीआई को भेज चुका है। इसमें केवल 35 कंपनियों का जिक्र है और इनका नाम धन के गलत लेन-देन के लिए आया है। इस मामले में ज्यादातर आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। इसलिए अगर कुछ होता भी है तो एफआईआर में इन्हीं कंपनियों से जुड़े लोगों का नाम आएगा। अगर ऐसा न होता तो बाकियों को जमानत ही क्यों मिलती?
एक बार फिर बाजार पर डर हावी हो गया है। लोगबाग 100 शेयर भी खरीदने को तैयार नहीं हैं। डर हमेशा सबसे पहले ट्रेडरों पर हमला करता है। यही वजह है कि पिछले तीन दिनों से ट्रेडर शॉर्ट सेलिंग ही किए जा रहे हैं। वे अब फिर से निफ्टी के 5700 तक लुढ़कने की बात कर रहे हैं। क्या ऐसा वाकई हो जाएगा? हमें नहीं लगता। सच्चाई समय बता देगा।
हमारा कहना है कि ट्रेड कम करो, लेकिन भरोसे से डिगो मत। उन उद्योगों से दूर रहो जहां झटके लगने और ज्यादा उतार-चढ़ाव का अंदेशा है बशर्ते वे उस मुकाम पर न पहुंच गए हों जहां से और गिरना लगभग नामुमकिन हो। आप पहले ही कुछ रीयल्टी स्टॉक्स में नुकसान उठा चुके हैं जिसकी वजह अतिशय निराशा, सेबी व रिजर्व बैंक वगैरह के कुछ कदम, मीडिया की तरफ से बनाया गया मनोवैज्ञानिक दबाव और अंततः बाजार ऑपरेटरों की मंशा रही है। आप शायद नहीं मालूम कि पूरा ओपन इंटरेस्ट ऑपरेटरों का ही खड़ा किया हुआ है। इनके लिए किसी भी स्टॉक के भाव को किसी भी स्तर तक खींच ले जाना चुटकियों का खेल है। इसलिए आपको धैर्य और भरोसा रखना चाहिए।
बाजार में भले ही झटके आते रहें, लेकिन हमारी धारणा में कोई तब्दीली नहीं आई है। हम बाजार से तीन से छह महीने आगे चलते हैं। इसका अंदाजा एसबीआई में करीब तीन महीने दी गई हमारी बिक्री की कॉल से लगाया जा सकता है। एसबीआई तब 3500 रुपए पर था। अब गिरकर 2600 रुपए पर आ चुका है। इसलिए आप खुद को बचाना चाहते हैं तो भेड़चाल से अलग रणनीति अपनाइए। हालांकि हमारी रणनीति में भी तकलीफ है, लेकिन उसमें फायदा सुनिश्चित है। किस्मत तब बनती है जब आप अपना नजरिया बदल देते हैं।
अगर आप अपनी किस्मत नहीं बदल सकते तो देखने का नजरिया बदल दीजिए। प्रतिकूलता पर रोने के बजाय तब आप अनुकूलता से खुश होने लगेंगे।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)