किसी शेयर की बुक वैल्यू 320 रुपए हो और उसका शेयर इसके लगभग आधे भाव पर ट्रेड हो रहा तो आप क्या करेंगे? ऊपर से शेयर दस से नीचे के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा तो हर कोई कहेगा – लूट लो, यह शेयर तो साल भर में दोगुना हो ही सकता है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या बुक वैल्यू का ज्यादा होना ही निवेश का पर्याप्त मानदंड है? क्या कम पी/ई का मतलब उसऔरऔर भी

केयर्न इंडिया ने बड़े सभ्य अंदाज में कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी ने संभवतः कृष्णा गोदावरी बेसिन के केजी डीडब्ल्यूएन-98:2 ब्लॉक में प्राकृतिक गैस भंडारों को बढा-चढाकर बताया है। दूसरे शब्दों में केयर्न इंडिया का आरोप है कि ओएनजीसी ने गैस भंडार के बारे में झूठ बोला था, हवाबाजी की थी। यह ब्लॉक रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी-डी6 ब्लॉक के पास ही है। केयर्न इंडिया ने केजी डीडब्ल्यूएन-98:2 ब्लॉक में चार खोज की थीं औरऔरऔर भी

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की राय है कि पेट्रोलियम मंत्रालय व तेल क्षेत्र के नियामक डीजीएच (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हाइड्रोकार्बन्स) ने रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) का पक्ष लिया है। हालांकि कैग ने यह नहीं कहा कि मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली आरआईएल ने सरकार को जरूरत से अधिक खर्च दिखाकर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाया है। कृष्णा गोदावरी घाटी के डी-6 ब्लॉक पर अपनी अंकेक्षण रिपोर्ट में कैग ने कहा कि हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय ने रिलायंस को 18औरऔर भी

सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) को कृष्णा गोदावरी बेसिन स्थित उसके डी-6 ब्लॉक में गैस उत्पादन बढ़ाने के लिए अगले महीने तक दो और कुएं खोदने का आदेश दिया है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और उससे संबद्ध हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के आग्रह को दरकिनार करते हुए कंपनी को जून अंत तक इस ब्लॉक में दो कुएं और वित्त वर्ष के अंत तक नौ कुएं खोदने को कहा है। मुकेश अंबानी के नेतृत्व वालीऔरऔर भी

एस्सार स्टील द्वारा सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट ने स्टे या स्थगन देने से इनकार कर दिया है। इससे एस्सार स्टील के गैस आपूर्ति बहाल रखने के प्रयासों को झटका लगा है। बता दें कि सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के कृष्णा गोदावरी बेसिन स्थित डी-6 ब्लॉक से गैर-प्राथमिक श्रेणी के संयत्रों को गैस आपूर्ति रोक दी है। एस्सार स्टील ने सरकार के इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती  दे रखीऔरऔर भी

पेट्रोलियम मंत्रालय ने मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) को एस्सार स्टील जैसे गैर-प्राथमिक क्षेत्र की कंपनियों को गैस की आपूर्ति तत्काल रोक देने का निर्देश दिया है। उर्वरक और बिजली संयंत्रों की ईंधन जरूरत पूरा करने के इरादे से मंत्रालय ने यह आदेश दिया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मई 2010 के हाईकोर्ट की व्यवस्था का हवाला देते हुए मंत्रालय ने पिछले सप्ताह रिलायंस को लिखे पत्र में केजी-डी6 फील्ड से उत्पादित गैसऔरऔर भी

मुकेश अंबानी के नेतृत्व में रिलायंस इंडस्ट्रीज नए से नए क्षेत्रों में उतरने की कोशिश में लगी है। वित्तीय सेवाओं के बाद ताजा खबर यह है कि कंपनी सुरक्षा व आपदा प्रबंधन के व्यवसाय में उतरेगी, जिसमें 4जी टेलिकॉम सेवाओं का इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन उसके मौजूदा पेट्रोलियम व्यवसाय में सरकारी बाधाएं आ रही हैं। तेल उत्खनन क्षेत्र के नियामक हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के कृष्णा गोदावरी बेसिन के डी-6 गैस फील्ड में और खर्चऔरऔर भी

बीते हफ्ते जापान जैसा बड़ा संकट हो गया। फिर भी भारतीय बाजार ने अपनी दृढ़ता व लचीलेपन का परिचय दिया है। निफ्टी 5400 से नीचे नहीं गया। यहां तक कि शुक्रवार को भी इसने बहादुरी से 5400 पर खुद को टिकाने की कोशिश की। लेकिन भारतीय बाजार पर मंदड़ियों के एकजुट हमले और बाजार में गहराई के अभाव के चलते यह 5400 से नीचे 5373.70 पर बंद हुआ। यह जानामाना सच है कि भारत सरकार को भारतीयऔरऔर भी

बाजार एक बार फिर 5400 से 5500 की रेंज तोड़कर नीचे चला गया। निफ्टी 5367 तक जा पहुंचा और मंदड़ियों की मौज हो गई है। वे आज तीन लंबी-लंबी अफवाहें फेंकने में कामयाब रहे। एक यह कि बीजेपी विकीलीक्स के ताजा खुलासे के बाद सरकार से सदन में बहुमत साबित करने की मांग करेगी, जिसकी कोई संभावना नहीं है। दो, जापान के फंड भारत से निकलना चाहते हैं जो फिर संभव नहीं है और इसे नोमुरा सिक्यूरिटीजऔरऔर भी

रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) बढ़ते-बढ़ते फिर गिरने लगा। कल बीएसई सेंसेक्स 80.71 अंक गिरा तो इसमें तकरीबन आधा, 49.51 फीसदी योगदान रिलांयस का रहा। कितनी विचित्र बात है कि मंगलवार 21 सितंबर को जब सेंसेक्स ने करीब 32 महीने बाद 20,000 आंकड़ा पार किया, उसी दिन से रिलायंस में गिरावट का नया सिलसिला शुरू हुआ है। तरह-तरह की थ्योरी पेश की जा रही है कि निवेशक आरईएल ने निकलकर ओएनजीसी की तरफ जा रहे हैं। दुनिया में भरऔरऔर भी