अभी कुछ दिन पहले तक जो सरकार बढ़ती महंगाई के बीच राजनीतिक बवाल के डर से डीजल के मूल्यों को छेड़ने से डर रही थी, उसे विपक्ष ने ऐसा मौका दे दिया है कि वह बड़े उत्साह से इस पर मूल्य नियंत्रण उठाने की तैयारी में जुट गई है। इसका सबसे पहला वार उन लोगों पर होगा जो डीजल से चलनेवाली कारें इस्तेमाल करते हैं। लोकसभा में महंगाई पर चल रही बहस का जवाब देते हुए वित्तऔरऔर भी

सरकार इंडियन ऑयल व ओएनजीसी के एफपीओ से पहले डीजल के दाम बढ़ाने पर विचार कर सकती है। यह कहना है तेल सचिव एस सुंदरेशन का। हालांकि उनका कहना था, “फिलहाल सरकार के लिए सारा बोझ उपभोक्ताओं पर डाल देना बेहद मुश्किल है। लेकिन हम यह मुद्दा मंत्रियों के अधिकारप्राप्त समूह (ईजीओएम) के सामने रखेंगे।” सुंदरेशन ने सोमवार को मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि इंडियन ऑयल व ओएनजीसी में और सरकारी हिस्सेदारी बेचने से पहलेऔरऔर भी

यूरिया को डिकंट्रोल करने की मुहिम जारी है और उर्वरक कंपनियों के स्टॉक पर जुनून-सा सवार होता दिख रहा है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में बना मंत्रियों की समूह (जीओएम) शुक्रवार 3 दिसंबर को इस मुद्दे पर बैठक करेगा। पहले यह बैठक आज, सोमवार 29 नवंबर को होनी थी। लेकिन उर्वरक व रसायन मंत्री एम के अलागिरी इस बैठक से पहले उर्वरक उद्योग के प्रतिनिधियों से मिलना चाहते थे। यह मुलाकात 1 दिसंबर को होगी,औरऔर भी

देश की प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा कि सरकार द्वारा पेट्रोल कीमतों को नियंत्रण मुक्त करने और रसोई गैस व डीजल के दाम बढाने के फैसले से  सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां का घाटा या अंडर रिकवरी मौजूदा वित्त वर्ष में 25,000 करोड़ रुपए कम हो जाएगा। क्रिसिल का कहना है कि इस तरह के कदमों का तेल विपणन कंपनियों के वित्तीय जोखिम प्रोफाइल पर सकारात्मक असर होगा। इससेऔरऔर भी

सरकार ने आज बड़ा फैसला लेते हुए पेट्रोल की कीमतों से नियंत्रण पूरी तरह हटा लिया। अब पेट्रोल पर सरकार की तरफ से कोई सब्सिडी नहीं दी जाएगी और इसका मूल्य बाजार के हिसाब से तय होगा। लेकिन डीजल पर अभी सरकार थोड़ा नियंत्रण बरकरार रखेगी, जबकि रसोई गैस और केरोसिन के मूल्य अब भी पूरी तरह उसके नियंत्रण में रहेंगे। मंत्रियों के साधिकार समूह (एम्पावर्ड ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स – ईजीओएम) ने शुक्रवार को अपनी बैठक मेंऔरऔर भी