इस साल देश से अगस्त महीने में 22.33 अरब डॉलर के सामान का निर्यात हुआ है। यह पिछले अगस्त में हुए 24.74 अरब डॉलर के निर्यात से 9.74 फीसदी कम है। हालांकि अगर रुपए में आंका जाए तो यह पिछले अगस्त के मुकाबले 10.76 फीसदी ज्यादा है। कारण, अगस्त 2011 में एक डॉलर का मूल्य 44 रुपए के आसपास था, जबकि इस साल अगस्त में यह 55.50 रुपए के आसपास रहा। इस तरह रुपया डॉलर के सापेक्षऔरऔर भी

भारत ने साल 2003 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के तंबाकू नियंत्रण फ्रेमवर्क कनवेंशन पर दस्तखत किए थे। इसकी धारा 17 व 18 के तहत केंद्र सरकार का दायित्व है कि वह देश के किसानों को तंबाकू की खेती से निकालकर दूसरी फसलों की लाभप्रद वैकल्पिक खेती में लगाए। लेकिन करीब नौ साल बाद भी मामला स्वास्थ्य, कृषि और वाणिज्य मंत्रालय के बीच चिट्ठी-पत्री से आगे नहीं बढ़ पाया है। इसका प्रमुख कारण यह है कि भारतऔरऔर भी

कृषि मंत्री शरद पवार के बाद महाराष्ट्र व गुजरात के नेताओं के भी विरोध के चलते प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कपास निर्यात पर रोक लगाने के फैसले की समीक्षा का आदेश दिया है। बता दें कि वाणिज्य मंत्रालय के निर्देश पर विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इसी सोमवार, 5 मार्च को एक अधिसूचना जारी तक देश से कपास के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन अब प्रधानमंत्री ने कहा है कि 9 मार्चऔरऔर भी

दिसंबर महीने में देश का निर्यात 6.71 फीसदी बढ़कर 25.01 अरब डॉलर हो गया तो आयात 19.81 फीसदी बढ़कर 37.75 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस तरह दिसंबर में हमारा व्यापार घाटा 12.74 अरब डॉलर रहा है। हालांकि दिसंबर महीने में निर्यात के बढ़ने की दर नवंबर की 3.87 फीसदी दर से ज्यादा है। लेकिन चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले आठ महीनों की औसत निर्यात वृद्धि दर 33.21 फीसदी की तुलना में काफी कम है। सरकारऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति लगातार तीसरे हफ्ते साल भर पहले की तुलना में बढ़ने के बजाय घट गई है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से हर गुरुवार की तरह इस गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक 7 जनवरी 2012 को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति शून्य से नीचे 0.42 फीसदी रही। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति की दर इससे पिछले हफ्ते शून्य से नीचे 2.90 फीसदी और उससे पिछले हफ्ते शून्य से नीचे 3.36 फीसदी थी।औरऔर भी

सरकार ने मंगलवार को सिंगल ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 51 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी करने की अधिसूचना जारी कर दी है। लेकिन जिन भी विदेशी दुकानों में 51 फीसदी से ज्यादा एफडीआई की जाएगी, उन्हें अपने बेचे जानेवाले माल के कुल मूल्य का कम से कम 30 फीसदी हिस्सा छोटे उद्योगों, ग्रामीण व कुटीर उद्योगों, दस्तकारों व शिल्पकारों से खरीदना होगा। वाणिज्‍य व उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभागऔरऔर भी

हमारा वाणिज्य मंत्रालय बताने और छिपाने दोनों में माहिर है। हालांकि निर्यात आंकड़ों में पूरे 9 अरब डॉलर की ‘त्रुटि’ सामने आने के बाद वो थोड़ा चौकन्ना हो गया है। लेकिन बताने और छिपाने की उस्तादी अब भी जारी है। वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने 9 दिसंबर को ही बता दिया था कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में अप्रैल से नवंबर तक देश का निर्यात 33.2 फीसदी बढ़कर 192.7 करोड़ डॉलर रहा है। सोमवार, 2 जनवरी कोऔरऔर भी

चालू वित्त वर्ष 2011-12 में अब तक हर महीने कुलांचे मारकर बढ़ रहे निर्यात की रफ्तार अक्टूबर में अचानक थम गई है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में हमारा निर्यात 19.87 अरब डॉलर रहा है जो अक्टूबर 2010 में हुए 17.93 अरब डॉलर से मात्र 10.82 फीसदी ज्यादा है। इससे पहले हमारे निर्यात के बढ़ने की दर अप्रैल में 34.42 फीसदी, मई में 56.93 फीसदी, जून में 46.45 फीसदी, जुलाईऔरऔर भी

निर्यात की संदेहास्पद बढ़त जारी है। करीब तीन हफ्ते पहले हमारे वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने जो बताया था, आखिरकार आंकड़े उसकी तस्दीक करते हैं। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार सितंबर 2011 में भारत का निर्यात 24.82 अरब डॉलर रहा है। यह सितंबर 2010 में हुए 18.20 अरब डॉलर के निर्यात से 36.36 फीसदी ज्यादा है। रुपए में यह वृद्धि 41.01 फीसदी निकलती है। लेकिन सरकार ने इस बात काऔरऔर भी

आपको आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि आप देखते ही नहीं। लेकिन जो भी देश के निर्यात आंकड़ों पर गौर कर रहा होगा, वह निश्चित रूप से आश्चर्य कर रहा होगा कि जब अमेरिका व यूरोप में आर्थिक संकट छाया हुआ है और हमारे 40 फीसदी निर्यात वहीं जाते हैं, तब हमारा निर्यात हर महीने इतनी छलांग क्यों लगाता जा रहा है? प्रमुख ब्रोकरेज फर्म कोटक सिक्यूरिटीज ने हाल ही जारी रिपोर्ट में विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई) के आंकड़ोंऔरऔर भी