हमारा वाणिज्य मंत्रालय बताने और छिपाने दोनों में माहिर है। हालांकि निर्यात आंकड़ों में पूरे 9 अरब डॉलर की ‘त्रुटि’ सामने आने के बाद वो थोड़ा चौकन्ना हो गया है। लेकिन बताने और छिपाने की उस्तादी अब भी जारी है। वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने 9 दिसंबर को ही बता दिया था कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में अप्रैल से नवंबर तक देश का निर्यात 33.2 फीसदी बढ़कर 192.7 करोड़ डॉलर रहा है। सोमवार, 2 जनवरी को मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर निर्यात का यही आंकड़ा घोषित किया है।
खुल्लर ने पहले अकेले नवंबर महीने में 22.3 अरब डॉलर के निर्यात का आंकड़ा भी दिया था। लेकिन वे नवंबर 2010 का आंकड़ा और उसकी तुलना में बढ़त का आंकड़ा गुल कर गए थे। अब पता चला है कि नवंबर 2010 में हमारा निर्यात 21.5 अरब डॉलर था। इस तरह निर्यात की वृद्धि दर इस साल नवंबर महीने में महज 3.7 के आसपास है। इससे पहले अक्टूबर में हमारा निर्यात 10.82 फीसदी और सितंबर में 36.36 फीसदी बढ़ा था। उससे पहले तक तो यह कुलांचे मार रहा था।
पहले वाणिज्य सचिव ने यह भी बताया था कि कैसे अप्रैल से नवंबर 2011 के दौरान कच्चे तेल व पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात 62.3 फीसदी बढ़कर 39.5 अरब डॉलर का हो गया। लेकिन आधिकारिक सूचना में यह आंकड़ा छिपाकर बस इतना बताया गया है कि उक्त आठ महीनों में देश में कच्चे तेल व पेट्रोलियम उत्पादों का आयात 42.67 फीसदी बढ़कर 94.12 अरब डॉलर हो गया है।
इस बीच भारतीय निर्यात संगठनों के संघ, फियो के अध्यक्ष रामू एस देवड़ा ने कहा है कि सारी मुश्किलों और निराशजनक वैश्विक हालात के बावजूद हम चालू वित्त वर्ष के अंत तक 275 अरब डॉलर का निर्यात कर लेंगे। वाणिज्य सचिव खुल्लर ने पहले कहा था कि प्रमुख यूरोपीय बाजारों में संकट के कारण चालू वित्त वर्ष के लिए कुल निर्यात करीब 280 अरब डॉलर का रहेगा, जबकि 2011-12 के लिए शुरुआती निर्यात लक्ष्य 300 अरब डॉलर का रखा गया था।