सरकार ने मंगलवार को सिंगल ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 51 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी करने की अधिसूचना जारी कर दी है। लेकिन जिन भी विदेशी दुकानों में 51 फीसदी से ज्यादा एफडीआई की जाएगी, उन्हें अपने बेचे जानेवाले माल के कुल मूल्य का कम से कम 30 फीसदी हिस्सा छोटे उद्योगों, ग्रामीण व कुटीर उद्योगों, दस्तकारों व शिल्पकारों से खरीदना होगा।
वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग ने जारी अधिसूचना में यह शर्त स्पष्ट कर दी है। इस मौके पर केंद्रीय वाणिज्य, उद्योग व कपड़ा मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि कैबिनेट ने रिटेल क्षेत्र के सिंगल ब्रांड में एफडीआई की नीति में उदारीकरण लाने के लिए यह महत्वपूर्ण फैसला लिया है। सिंगल ब्रांड में एफडीआई की स्वीकृति के बाद भारतीय बाजार में कुछ प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए राह खुल गई है। बता दें कि कैबिनेट ने मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई की छूट देने का फैसला किया था। लेकिन संसद में हंगामे के कारण उस पर अमल टालना पड़ा।
मंत्री महोदय ने बताया कि 100 फीसदी तक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को इस शर्त के साथ स्वीकृति दी गई है कि 51 फीसदी से अधिक के निवेश पर यह आवश्यक होगा कि बेचे जानेवाले उत्पादों के कुल मूल्य का कम से कम 30 फीसदी भाग भारतीय लघु उद्योगों, ग्रामीण व कुटीर उद्योगों, शिल्पियों और हस्तशिल्पियों से लिया जाएगा। इस कदम से जहां एक तरफ घरेलू निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा, वहीं दूसरी ओर देश के स्थानीय लघु उद्योग के तकनीकी उन्नयन में भी मदद मिलेगी।