दिसंबर महीने में देश का निर्यात 6.71 फीसदी बढ़कर 25.01 अरब डॉलर हो गया तो आयात 19.81 फीसदी बढ़कर 37.75 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस तरह दिसंबर में हमारा व्यापार घाटा 12.74 अरब डॉलर रहा है। हालांकि दिसंबर महीने में निर्यात के बढ़ने की दर नवंबर की 3.87 फीसदी दर से ज्यादा है। लेकिन चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले आठ महीनों की औसत निर्यात वृद्धि दर 33.21 फीसदी की तुलना में काफी कम है। सरकार का कहना है कि भारत के सबसे बड़े व्यापार सहयोगी यूरोपीय संघ के आर्थिक संकट में फंसने के कारण निर्यात में यह गिरावट आई है।
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से दिसंबर 2011 तक का निर्यात 217.66 अरब डॉलर रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 172.96 अरब डॉलर रहा था। इस तरह मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में निर्यात में 25.84 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई।
पूरे वित्त वर्ष में सरकार ने 300 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य तय किया है। लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्यात लक्ष्य हासिल कर पाने की कोई गुंजाइश नहीं है। इससे अधिक चिंता का आयात में हुई वृद्धि है, जिसके कारण व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है। इस साल पहली तीन तिमाहियों में आयात 30.37 फीसदी बढ़कर 350.93 अरब डॉलर हो गया है, जिसके कारण इस अवधि में व्यापार घाटा 133.27 अरब डॉलर रहा है।
देश के आयात में सबसे ज्यादा वृद्धि पेट्रोलियम तेल के आयात में हुई है। अप्रैल-दिसंबर 2011 के दौरान तेल आयात 40.39 फीसदी बढ़कर 105.59 अरब डॉलर हो गया, जबकि इसी दौरान गैर-तेल आयात 26.49 फीसदी बढ़कर 245.34 अरब डॉलर पर पहुंच गया। अकेले दिसंबर महीने में तेल आयात 11.20 फीसदी बढ़कर 10.28 अरब डॉलर और गैर-तेल आयात 23.38 फीसदी बढ़कर 27.47 अरब डॉलर हो गया। इस तरह हम देख सकते हैं कि देश के कुल आयात में पेट्रोलियम तेल का हिस्सा करीब 30 फीसदी है। बाकी 70 फीसदी आयात हम दूसरी चीजों का करते हैं।