देश की सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने जून 2011 की तिमाही में अब तक की किसी भी तिमाही से ज्यादा शुद्ध लाभ कमाया है। लेकिन बाजार व विश्लेषकों के अनुमान से यह जरा-सा पीछे रह गया। बाजार को अपेक्षा 5720 करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ की थी, जबकि कंपनी ने चालू वित्त वर्ष 2011-12 की पहली तिमाही में 5661 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। यह साल भर पहले की इसी अवधि के 4851औरऔर भी

टीसीएस और इनफोसिस के बाद देश की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी विप्रो ने चालू वित्त वर्ष 2011-12 की पहली यानी जून तिमाही में कंसोलिडेटेड आधार पर 1334.9 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है जो जून 2010 की तिमाही के शुद्ध लाभ 1318.6 करोड़ रुपए से 1.24 फीसदी ज्यादा है। लेकिन इसी दौरान उसकी आय 18.35 फीसदी बढ़कर 7236.4 करोड़ रुपए से 8564 करोड़ रुपए पर पहुंच गई। अगर स्टैंड-एलोन नतीजों की बात करें तो जूनऔरऔर भी

मैन्यूफैक्चरिंग व खनन क्षेत्र के खराब प्रदर्शन और व्यापार, होटल, परिवहन व संचार जैसी सेवाओं में आई थोड़ी सुस्ती के चलते देश की आर्थिक वृद्धि दर 2010-11 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में घटकर 7.8 फीसदी पर आ गई। इससे पिछले वित्त वर्ष 2009-10 की समान तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से नापी जानेवाली यह आर्थिक वृद्धि दर 9.4 फीसदी रही थी। इससे इन आशंकाओं को बल मिल रहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के बढ़ने की रफ्तारऔरऔर भी

जब आंधी-तूफान का अंदेशा हो तो हल्की चीजें हाथ में नहीं रखनी चाहिए। बाजार का माहौल ऐसा ही बन रहा है। लेकिन यह माहौल बड़ी कंपनियों को सस्ते में पकड़ने का अच्छा मौका भी पेश कर रहा है। ऐसी ही एक कंपनी है सीमेंस। ऊर्जा, औद्योगिक इंजीनियरिंग और हेल्थकेयर क्षेत्र में सक्रिय बहुराष्ट्रीय कंपनी। पैदाइश जर्मनी की। कंपनी का शेयर नए साल में गिरता ही जा रहा है। 3 जनवरी को 828.90 रुपए पर था। कल बंदऔरऔर भी

चालू वित्त वर्ष 2010-11 में अप्रैल-जून की पहली तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 8.8 फीसदी रही है। इसमें सबसे ज्यादा योगदान मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का रहा है जिसमें इस बार 12.4 फीसदी वृद्धि हुई है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह केवल 3.8 फीसदी बढ़ा था। सेवाओं में वित्तीय, बीमा व रीयल एस्टेट की वृद्धि दर 11 से घटकर 8 फीसदी रह गई है। हालांकि कंस्ट्रक्शन में 4.8 फीसदीऔरऔर भी

निजी क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनियों में रिलायंस लाइफ ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सबसे अधिक रफ्तार से पॉलिसियां बेची हैं। अनिल अंबानी समूह की इस कंपनी ने अप्रैल-जून 2010 की तिमाही में 4.93 लाख पॉलिसियां बेची हैं। बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) के आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस लाइफ ने बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में 4.06 लाख पॉलिसियां बेची थीं। इस तरह से उसने इस बार पहले की अपेक्षा 21 फीसदी अधिकऔरऔर भी

देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की पहली तिमाही के नतीजे उम्मीद से थोड़े बेहतर रहे हैं। विश्लेषकों ने जून में खत्म तिमाही में शुद्ध लाभ का अनुमान 4830 करोड़ रुपए लगाया था, लेकिन कंपनी ने 4851 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हासिल किया है जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के शुद्ध लाभ 3666 करोड़ रुपए से 32.32 फीसदी अधिक है। इस दौरान कंपनी का टर्नओवर 32,441 करोड़ रुपए से 88.05 फीसदी बढ़करऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने को प्राथमिकता मानते हुए ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला किया है। उसने मौद्रिक नीति की पहली त्रैमासिक समीक्षा में रेपो दर में 0.25 फीसदी और रिवर्स रेपो में 0.50 फीसदी की वृद्धि कर दी है। गौर करें कल शाम को लिखी गई अर्थकाम की खबर के पहले पैरा का आखिरी वाक्य, “हो सकता है कि रेपो में 0.25 फीसदी की ही वृद्धि की जाए, लेकिन रिवर्स रेपो में 0.50 फीसदीऔरऔर भी

तिमाही नतीजों का यह मौसम तो मानसून की तरह बीत जाएगा। किसी खास कंपनी से बाजार को किन नतीजों की अपेक्षा है, इसके पूरा होने या टूटने के हिसाब से वो प्रतिक्रिया दिखाएगा। इससे उस शेयर की सांस तेजी से ऊपर-नीचे हो सकती है और निवेशकों को उसे पाने का अच्छा मौका भी मिल सकता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है यह जानना कि शेयरों की दिशा क्या है, लक्ष्य क्या है? नए नतीजों के साथ नए ईपीएसऔरऔर भी

वित्त वर्ष 2010-11 में अप्रैल से जून की तिमाही का एडवांस टैक्स भरने की आखिरी तारीख सरकार के लिए अच्छा संकेत लेकर आई है। आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक इस बार ज्यादातर कंपनियों ने पहले से कई गुना अधिक टैक्स जमा कराया है। देश में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इस साल पहली तिमाही में 653 करोड़ रुपए का एडवांस टैक्स जमा कराया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही मेंऔरऔर भी