टीसीएस और इनफोसिस के बाद देश की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी विप्रो ने चालू वित्त वर्ष 2011-12 की पहली यानी जून तिमाही में कंसोलिडेटेड आधार पर 1334.9 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है जो जून 2010 की तिमाही के शुद्ध लाभ 1318.6 करोड़ रुपए से 1.24 फीसदी ज्यादा है। लेकिन इसी दौरान उसकी आय 18.35 फीसदी बढ़कर 7236.4 करोड़ रुपए से 8564 करोड़ रुपए पर पहुंच गई।
अगर स्टैंड-एलोन नतीजों की बात करें तो जून 2011 की तिमाही में कंपनी की आय 22.22 फीसदी बढ़कर 5982.2 करोड़ रुपए से 7311.3 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 9.85 फीसदी बढ़कर 1110 करोड़ रुपए से 1219.3 करोड़ रुपए हो गया। लेकिन लगता है कि विप्रो के ये नतीजे बाजार की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरे। उसका शेयर बुधवार को बीएसई में 3.95 फीसदी गिरकर 398.60 रुपए पर बंद हुआ।
इस बीच बैंगलोर में इन नतीजों की घोषणा के बाद विप्रो के सीईओ (आईटी कारोबार) टी के कुरियन ने कहा कि कंपनी को अपनी प्रतिद्वंद्वी टीसीएस और एससीएल टेक्नोलॉजीज जैसी कंपनियों के बराबर वृद्धि दर हासिल करने में दो-तीन तिमाही का वक्त लगेगा। उन्होंने कहा, “हमारे पास अच्छे ऑर्डर हैं। साथ ही इस साल की शुरुआत में संगठन का पुनर्गठन किया गया है। ऐसे में 6 से 9 माह में हम फिर से ऊंची वृद्धि दर हासिल कर सकेगे।”
कुरियन ने कहा कि नियुक्तियां और ऑर्डर के आंकड़े हमारे लिए भविष्य का संकेतक हैं। कंपनी को ग्राहकों से अच्छे नए ऑर्डर मिल रहे हैं। तिमाही के दौरान कंपनी ने 49 नए ग्राहक जोड़े। कुरियन ने कहा कि हम दो मोर्चों को देख रहे हैं। एक संख्या से हिसाब से कारोबार पटरी पर आ रहा है, दूसरा राजस्व की गुणवत्ता में बदलाव आ रहा है।
बता दें कि विप्रो की प्रतिद्वंद्वी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) और इनफोसिस ने वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बावजूद सॉफ्टवेयर सेवाओं के लिए मजबूत मांग का संकेत दिया है। आईटी उद्योग के संगठन नास्कॉम का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में देश के आईटी निर्यात में 16 से 18 फीसदी का इजाफा होगा।