अमेरिकी अर्थव्यवस्था ठहराव की शिकार हो चुकी है, जबकि चीन व भारत की अर्थव्यवस्थाएं तेजी से बढ़ रही हैं और इन देशों का मध्यवर्ग भी तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए अमेरिकी कंपनियां अपने देश की सरहदें फलांग कर चीन व भारत के मध्यम वर्ग को पकड़ना चाहती हैं।
खुद अमेरिकी सरकार ने अपनी कंपनियों से इन देशों के बढ़ते मध्यम वर्ग का फायदा उठाने को कहा है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार मामलों के वाणिज्य उपमंत्री फ्रांसिस्को सांचेज ने कहा कि यह समझना जरूरी है कि दुनिया बदल चुकी है। भारत और चीन जैसे देशों से प्रतियोगिता बढ़ गई है।
उन्होंने पोर्टलैंड ओरेगॉन में ‘नेशनल एसोसिएशन ऑफ काउंटीज के सालाना सम्मेलन में कहा, ‘‘यह वक्त अमेरिका की आर्थिक प्रतियोगिता को बेहतर बनाने का है।’’ सांचेज ने अमेरिकी कंपनियों से इन देशों में उभरते मध्यम वर्ग का फायदा उठाने की अपील की।
उन्होंने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि वैश्विक मध्यम वर्ग का प्रसार हो रहा है और अगले 15 साल में इस प्रतिस्पर्धा में एक अरब नए उपभोक्ताओं के शामिल होने की उम्मीद है।’’ सांचेज ने कहा कि अकेले चीन ने ही पिछले दो दशक में भारी तादाद में लोगों को गरीबी से उबारा है, जो इतिहास में किसी सभ्यता की तुलना से कहीं ज्यादा है।