मैन्यूफैक्चरिंग व खनन क्षेत्र के खराब प्रदर्शन और व्यापार, होटल, परिवहन व संचार जैसी सेवाओं में आई थोड़ी सुस्ती के चलते देश की आर्थिक वृद्धि दर 2010-11 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में घटकर 7.8 फीसदी पर आ गई। इससे पिछले वित्त वर्ष 2009-10 की समान तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से नापी जानेवाली यह आर्थिक वृद्धि दर 9.4 फीसदी रही थी। इससे इन आशंकाओं को बल मिल रहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के बढ़ने की रफ्तार घट रही है।
हालांकि संतोष की बात यह है कि पूरे वित्त वर्ष 2010-11 में जीडीपी की वृद्धि दर बढ़कर 8.5 फीसदी पर पहुंच गई, जो फरवरी में व्यक्त किए गए 8.6 फीसदी के अग्रिम अनुमान के लगभग बराबर है। जीडीपी की वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष 2009-10 में 8 फीसदी रही थी। कृषि उत्पादन में वृद्धि, मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों में तेजी और वित्तीय सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन की वजह से वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था की रफ्तार बेहतर रही है।
इस बीच, 2010-11 की पहली और तीसरी तिमाहियों के आंकड़ों को संशोधित कर बढ़ा दिया गया है। पहली तिमाही के जीडीपी की वृद्धि दर को बढ़ाकर 9.3 फीसदी किया गया है, जबकि पहले इसका अनुमान 8.9 फीसदी का था। इसी तरह तीसरी तिमाही की जीडीपी वृद्धि के आंकड़े को 8.2 फीसदी से बढ़ाकर 8.3 फीसदी कर दिया गया है।
2010-11 की चौथी तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 5.5 फीसदी पर आ गई, जो इससे पूर्व वित्त वर्ष की समान तिमाही में 15.2 प्रतिशत रही थी। इस दौरान खनन व खदान क्षेत्र की वृद्धि दर मात्र 1.7 फीसदी रही, जो इससे पूर्व वित्त वर्ष की समान तिमाही में 8.9 फीसदी रही थी। चालू वित्त वर्ष 2011-12 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी वृद्धि क्या रही, इसके आंकड़े 30 अगस्त 2011 को जारी किए जाएंगे।
7 फरवरी 2011 को केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने अग्रिम अनुमान में कहा था कि पूरे वित्त वर्ष 2010-11 में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 48,79,232 करोड़ रुपए रहेगा। लेकिन इसका ताजा संशोधित अनुमान 48,77,842 करोड़ रुपए का है जो अग्रिम अनुमान से मात्र 1390 करोड़ रुपए कम है।
वैसे, हकीकत में देखें तो 2010-11 में आर्थिक विकास दर को 8.5 फीसदी तक पहुंचाने का सबसे ज्यादा श्रेय कृषि क्षेत्र को जाता है। 2009-10 में इस क्षेत्र की विकास दर मात्र 0.4 फीसदी थी, जबकि 2010-11 में यह 6.6 फीसदी रही है। 2010-11 में व्यापार, होटल, परिवहन व संचार सेवाओं में 10.3 फीसदी वृद्धि हुई है, जबकि 2009-10 में यह 9.7 फीसदी थी। इसी तरह फाइनेंस, बीमा व रीयल एस्टेट के विकास की गति 9.2 फीसदी से बढ़कर 9.9 फीसदी पर पहुंच गई है।
वित्त वर्ष 2010-11 में कृषि क्षेत्र से जीडीपी में 7,00,390 करोड़ रुपए (14.35 फीसदी) आए हैं, जबकि मैन्यूफैक्चरिंग का योगदान 7,72,960 करोड़ रुपए (15.85 फीसदी) का रहा है। इस दौरान व्यापार, होटल, परिवहन व संचार सेवाओं का योगदान 13,15,656 करोड़ रुपए (26.97 फीसदी) और फाइनेंस, बीमा, रीयल एस्टेट व बिजनेस सेवाओं का योगदान 8,48,103 करोड़ रुपए (17.39 फीसदी) रहा है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा सूरत का एक मोटामोटी अंदाजा लगाया जा सकता है।