देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की पहली तिमाही के नतीजे उम्मीद से थोड़े बेहतर रहे हैं। विश्लेषकों ने जून में खत्म तिमाही में शुद्ध लाभ का अनुमान 4830 करोड़ रुपए लगाया था, लेकिन कंपनी ने 4851 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हासिल किया है जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के शुद्ध लाभ 3666 करोड़ रुपए से 32.32 फीसदी अधिक है। इस दौरान कंपनी का टर्नओवर 32,441 करोड़ रुपए से 88.05 फीसदी बढ़कर 61,007 करोड़ रुपए हो गया है।
शेयर बाजार बंद होने के बाद घोषित नतीजों में बताया गया है कि कंपनी में रिलायंस पेट्रोलियम के विलय को बॉम्बे हाईकोर्ट ने 29 जून 2009 और गुजरात हाईकोर्ट ने 29 जुलाई 2009 को मंजूरी दी। इसके बाद 11 सितंबर 2009 से विलय को अंजाम दिया गया है। इसके मद्देनजर कंपनी के वित्तीय आंकड़ों को इस तरह ढाला गया है ताकि जून 2009 की तिमाही और जून 2010 की तिमाही के नतीजों की तुलना हो सके।
आपको पता ही होगा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) पेट्रोकेमिकल, रिफाइनिंग और तेल व गैस खोज के साथ ही रिटेल कारोबार में भी सक्रिय है। हाल ही में उसने ब्रॉडबैंड सेवाओं में भी कदम रख दिया है। कंपनी ने पातालगंगा, हजीरा, नरोदा, जामनगर, गांधार और नागोथाने के संयंत्र व मशीनरी वगैरह का नए सिरे से मूल्यांकन किया है। इसके चलते उसे 30 जून 2010 को समाप्त तिमाही में मूल्यह्रास के लिए 657 करोड़ रुपए का अतिरिक्त प्रावधान करना पड़ा है। लेकिन इससे उसके शुद्ध लाभ पर कोई फर्क नहीं पड़ा है क्योंकि यह रकम उसके रिजर्व से खींची गई है।
कंपनी ने अपने नतीजों के साथ यह भी जानकारी दी है कि 30 जून 2010 को खत्म तिमाही में 16 कंपनियां उसकी सब्सिडियरी इकाइयां बन गई हैं। इनमें एचएफसीएल समूह से खरीदी गई इंफोटेल ब्रॉडबैंड सर्विसेज प्रा. लिमिटेड के अलावा मॉरीशस, नीदरलैंड व अमेरिका तक की कंपनियां शामिल हैं। इसमें से लगभग सभी के नाम के साथ रिलायंस शब्द जुड़ा हुआ है। मंगलवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर बीएसई व एनएसई में मामूली अंतर के साथ 1053.50 रुपए पर बंद हुए। वैसे, पूरे साल 2010 की बात करें तो आरआईएल में 3.4 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि सेंसेक्स 3.5 फीसदी बढ़ा है।