अमर रेमेडीज इमामी, निरमा व घडी डिटरजेंट जैसी देशी कंपनी है जो फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) के बाजार में हिंदुस्तान यूनिलीवर व कॉलगेट जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को टक्कर देने की कोशिश में लगी है। इसकी शुरुआत 1984 में स्वामी औषधालय प्रा. लिमिटेड के रूप में हुई जिसने आयुर्वेदिक मेडिसिनल रिसर्च व डेवलपमेंट का बीड़ा उठाया। यहीं से उसका मौजूदा नाम निकला जो उसने 1995 से अपना रखा है। कंपनी के बारे में और जानने से पहलेऔरऔर भी

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि निरमा इंडस्ट्रीज का भावनगर, गुजरात में प्रस्तावित सीमेंट संयंत्र पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है और इसे यहां से स्थानांतरित करना पड़ेगा। मंत्रालय ने एक हलफनाफा दायर करके सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह संयंत्र ए-जोन में स्थित है जहां मीठे पानी के स्रोत हैं। इसके अलावा मंत्रालय ने कहा कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के अनुसार यह संयंत्र पर्यावरण के लिहाज सेऔरऔर भी

दुनिया में एक अरब डॉलर (लगभग 4500 करोड़ रुपए) से ज्यादा की संपत्ति वाले अमीरों की सूची में शामिल 55 भारतीयों में से 26 वैश्य समुदाय के हैं। वैश्य समुदाय भारत की आबादी का बमुश्किल एक फीसदी है। राज्यों के हिसाब से देखें तो 16 राजस्थानी और 13 गुजराती हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, व उड़ीसा से इस सूची में कोई नहीं है। सूची में 10 लोग दक्षिण भारत के हैं जिनमें से पांचऔरऔर भी

समुद्री किनारे के इलाकों में खतरे की रेखा या हैजार्ड लाइन को स्पष्ट करने के लिए सरकार एक निजी फर्म के साथ मिलकर गुजरात से लेकर पश्चिम बंगाल तक सात किलोमीटर चौड़ी तटीय पट्टी का डिजिटल नक्शा तैयार करने का फैसला किया है। इस तटीय पट्टी का पूरा क्षेत्रफल करीब 11,000 किलोमीटर होगा। बता दें कि हैजार्ड लाइन समुद्र के किनारे की वह पट्टी है जो समुद्र में जलस्तर बढ़ने, ऊंची लहरों के आने या जलवायु परिवर्तनऔरऔर भी

पिछले दो दशकों में देश में सबसे ज्यादा औद्योगिक निवेश प्रस्ताव महाराष्ट्र को मिले हैं। राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण 2010-11 में दावा किया गया है कि अगस्त 1991 से अगस्त 2010 के बीच औद्योगिक निवेश प्रस्ताव पाने में महाराष्ट्र अन्य राज्यों से आगे रहा है। गुजरात दूसरे नंबर पर और तमिलनाडु तीसरे नंबर पर रहा है। यह सर्वेक्षण हाल में जारी किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि उद्योगों के गंतव्य के रूप में राज्य केऔरऔर भी

मित्रों! मैं बड़े-चढ़े दावे नहीं करना चाहता। यह भी नहीं जानता कि यह एकालाप है या संवाद। लेकिन मेरी कोशिश यही है कि अपनी भाषा में वह सहज ज्ञान आपको उपलब्ध करवा दूं ताकि आप अपनी बचत को सही तरीके से निवेश करने का हुनर सीख लें, कोई आपको बड़े-बड़े झांसे देकर उल्लू न बना सके और आप जोखिम उठाएं तो आंखें मूंदकर नहीं, आंखें खोलकर। एक बहुत मोटा-सा सूत्र है कि जब तक आप किसी स्टॉकऔरऔर भी

अपने उद्योग विरोधी रुख के चलते आलोचनाओं के घेरे में रहने वाले पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने देश के तीन राज्यों में बाजार आधारित उत्सर्जन प्रणाली की प्रायोगिक परियोजना की शुरुआत करते हुए कहा कि सरकार उद्योग जगत के लिए बिना नियामकों के स्व-नियमन की व्यवस्था चाहती है। इस परियोजना में कार्बन क्रेडिट की ट्रेडिंग की व्यवस्था की गई है। रमेश ने राजधानी दिल्ली में गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाड़ु के लिए इस प्रायोगिक परियोजना की औपचारिक शुरुआतऔरऔर भी

जिस तरह इंसान का हर वक्त एक जैसा नहीं होता, उसी तरह कंपनियों के साथ भी ऊंच-नीच चलती रहती है। सबेरो ऑर्गेनिक्स गुजरात लिमिटेड की दिसंबर तिमाही कतई अच्छी नहीं रही। उसकी बिक्री 109.41 करोड़ से 15.11 फीसदी घटकर 92.87 करोड़ और शुद्ध लाभ 10.25 करोड़ से 89.85 फीसदी घटकर 1.04 करोड़ रुपए रह गया। कंपनी ने ये नतीजे 14 फरवरी को घोषित किए थे। उसके बाद से इसका शेयर (बीएसई – 524446, एनएसई – SABERORGAN) 45.70औरऔर भी

भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम (एनपीसीआईएल) के प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए महाराष्ट्र के जैतापुर में भूमि अधिग्रहण का काम पूरा कर लिया गया है और गुजरात में ऐसे ही एक अन्य संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायण सामी ने बुधवार को लोकसभा में एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम के प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए महाराष्ट्र केऔरऔर भी

शुक्रवार को पेश की गई आर्थिक समीक्षा 2010-11 में चौंकानेवाला तथ्य सामने लाया गया है कि जिस गुजरात को औद्योगिक निवेश खींचने में सबसे तेज माना जाता है, वहां हाल के दिनों में कामगारों की हड़ताल और दूसरी तरह की श्रमिक अशांति की घटनाएं सबसे ज्यादा हुई हैं। यह अशांति तमाम वित्तीय व अनुशासनिक मसलों को लेकर हुई है। आर्थिक समीक्षा का कहना है कि पूरे देश में श्रमिक अशांति के चलते मानव-दिवसों के नुकसान में 81औरऔर भी