मित्रों! मैं बड़े-चढ़े दावे नहीं करना चाहता। यह भी नहीं जानता कि यह एकालाप है या संवाद। लेकिन मेरी कोशिश यही है कि अपनी भाषा में वह सहज ज्ञान आपको उपलब्ध करवा दूं ताकि आप अपनी बचत को सही तरीके से निवेश करने का हुनर सीख लें, कोई आपको बड़े-बड़े झांसे देकर उल्लू न बना सके और आप जोखिम उठाएं तो आंखें मूंदकर नहीं, आंखें खोलकर। एक बहुत मोटा-सा सूत्र है कि जब तक आप किसी स्टॉक या माध्यम को खुद समझ न लें, तब तक निवेश न करें। आखिर आपका पैसा बैंक में ही तो पड़ा है, जहां सेविंग्स एकाउंट में भी रोज के हिसाब से 3.5 फीसदी ब्याज मिलता है।
मैं यहां इस कॉलम में हर दिन किसी खास संभावनामय स्टॉक के बारे में जानने में मदद करता हूं। आज का स्टॉक है कजारिया सिरैमिक्स। टाइल्स के बाजार का सबसे खास ब्रांड। इसका दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर (बीएसई – 50233, एनएसई – KAJARIACER) शुक्रवार को 4.32 फीसदी बढ़कर 74.80 रुपए पर बंद हुआ है। फिर भी इसका पी/ई अनुपात 10.01 पर है। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (शुद्ध लाभ प्रति शेयर) 7.47 रुपए है। शेयर भाव को इससे भाग देने पर यही अनुपात निकलता है। कंपनी बराबर हर साल लाभांश (डिविडेंड) भी देती रही है। पिछला लाभांश उसने 12 अगस्त 2010 को दो रुपए अंकित मूल्य के शेयर पर एक रुपए यानी 50 फीसदी का दिया था। शेयर के बाजार भाव पर गिनने पर इसकी दर (डिविडेंट यील्ड) 1.34 फीसदी निकलती है।
कंपनी इधर एक तरीके के फतेह अभियान पर निकली है। पिछले ही महीने उसने मोर्बी, गुजरात की कंपनी सोरिसो सिरैमिक की 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदकर उसे अपनी सब्सिडियरी बना लिया है। असल में मोर्बी देश में टाइल्स निर्माण के असंठित क्षेत्र का केंद्र है। वहां ऐसी-ऐसी टाइल्स बनती हैं जो दाम में कम होने के बावजूद ब्रांडेड व आयातित टाइल्स को टक्कर देती हैं। कजारिया ने सोरिसो के अधिग्रहण से अपना आधार बढ़ाने की कोशिश की है। इससे पहले जनवरी में कजारिया ने तुर्की की कंपनी एक्ज़ासिबासी के उत्पाद भारत में आयात करने बेचने का पांच साल का करार किया है। तुर्की की कंपनी का VitrA ब्रांड पूरे यूरोप में काफी मशहूर है।
कजारिया ने दिसंबर 2010 की तिमाही में 253.66 करोड़ रुपए की बिक्री पर 17.59 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। साल भर पहले की तुलना में उसकी बिक्री में 41 फीसदी और शुद्ध लाभ में 113 फीसदी का शानदार इजाफा हुआ है। कंपनी ने 20 जनवरी 2011 को ये नतीजे घोषित किए थे। लेकिन तब से लेकर अब तक उसका शेयर कमोबेश एक ही जगह पर पड़ा हुआ है। 24 जनवरी को 74.65 रुपए पर बंद हुआ था और 25 मार्च 2011 को इसका बंद भाव 74.80 रुपए रहा है। लेकिन अब इसमें एक हलचल शुरू होती दिख रही है। इसलिए यहां से यह रफ्तार पकड़ सकता है।
यह पिछले साल भर के दौरान ऊपर में 83.60 रुपए (13 अक्टूबर 2010) और नीचे में 56.25 रुपए (29 मार्च 2010) तक गया है। इस तरह अभी दोनों ध्रुवों के बीच में है। बी ग्रुप का शेयर है। तरलता की कोई मुश्किल नहीं है। शुक्रवार को बीएसई में इसके 3.29 लाख शेयरों के सौदे हुए जिसमें से 91.92 फीसदी डिलीवरी के लिए थे, जबकि एनएसई में ट्रेड हुए 1.67 लाख शेयरों में से 71.75 फीसदी डिलीवरी के लिए थे।
कंपनी की कुल इक्विटी 14.71 करोड़ रुपए है। इसका 51.33 फीसदी प्रवर्तकों और 48.67 फीसदी हिस्सा पब्लिक के पास है। पब्लिक में से एफआईआई के पास 4.22 फीसदी और डीआईआई के पास इसके 7.26 फीसदी शेयर हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 13,754 है। उसके बड़े शेयरधारकों में राकेश झुनझुनवाला (1.70 फीसदी), आशीष धवन (6.13 फीसदी), डीएसपी ब्लैकरॉक (3.25 फीसदी), एचएसबीसी प्रोग्रेसिव थीम्स फंड (2.58 फीसदी) और मॉरगन स्टैनले (2.72 फीसदी) शामिल हैं।