समुद्री किनारे के इलाकों में खतरे की रेखा या हैजार्ड लाइन को स्पष्ट करने के लिए सरकार एक निजी फर्म के साथ मिलकर गुजरात से लेकर पश्चिम बंगाल तक सात किलोमीटर चौड़ी तटीय पट्टी का डिजिटल नक्शा तैयार करने का फैसला किया है। इस तटीय पट्टी का पूरा क्षेत्रफल करीब 11,000 किलोमीटर होगा। बता दें कि हैजार्ड लाइन समुद्र के किनारे की वह पट्टी है जो समुद्र में जलस्तर बढ़ने, ऊंची लहरों के आने या जलवायु परिवर्तन के चलते प्रभावित होती रहती है।
इस काम के लिए शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश की उपस्थिति में पर्यावरण व वन मंत्रालय और हैदराबाद की फर्म आईआईसी के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस मौके पर जयराम रमेश ने कहा कि देश के तटीय इलाकों का नक्शा बनाने के लिए स्टीरियो डिजिटल एरियल फोटोग्राफी (एसडीएपी) का प्रयोग किया जाएगा। देश के तटीय क्षेत्रों का सुनियोजित तरीके से प्रबंधन करने में यह पहल काफी कारगर और महत्वपूर्ण होगी। एसडीएपी के लिए कुल खर्च 27 करोड़ रुपए का होगा। इस परियोजना को विश्व बैंक का सहयोग हासिल है। उम्मीद है कि अगर मौसम ठीक रहा तो यह काम अगले 15 महीनों में पूरा हो जाएगा।
परियोजना के तहत गुजरात से पश्चिम बंगाल के समुद्र तटीय इलाके को आठ टुकड़ों में बांटा गया है। गुजरात में भारत-पाक सीमा से लेकर सोमनाथ तक. सोमनाथ से महाराष्ट्र में उल्हास नदी तक, उल्हास नदी से कर्नाटक में शरवती नदी तक, शरवती नदी से तमिलनाडु में केप कोमोरिन तक, केप कोमोरिन से तमिलनाडु में ही पोन्नियुर नदी तक, पोन्नियुर नदी से आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदीं तक, कृष्णा नदी से उड़ीसा में छत्रपुर तक और छत्रपुर से पश्चिम बंगाल भारत-बांग्लादेश सीमा तक।