कभी-कभी कुछ चीजों का साक्ष्य नहीं होता, लेकिन इससे वो चीजें गलत नहीं हो जातीं। मैं यहां ईश्वर जैसी सत्ता की नहीं, बल्कि शेयर बाजार में अभी हाल में चले खेल की बात कर रहा हूं। साधारण-सी रिश्वतखोरी को बडे घोटाले की तरह पेश करना, लोड सिंडिकेशन के काम में लगी मनी मैटर्स फाइनेंशियल सर्विसेज को निपटाना, सेंसेक्स से ज्यादा मिड कैप और स्माल कैप शेयरों को पीट डालना, कुछ ऑपरेटरों को रत्ती भर भी आंच नऔरऔर भी

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने तत्काल प्रभाव से वी के शर्मा को एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस का नया सीईओ बना दिया है। श्री शर्मा अभी तक देश के दक्षिणी जोन के लिए एलआईसी के जोनल मैनेजर थे और चेन्नई में बैठते थे। उनकी नियुक्ति पर सोमवार को एलआईसी के निदेशक बोर्ड की बैठक में औपचारिक मुहर लगा दी जाएगी। इससे पहले बुधवार को एलआईसी हाउसिंग के तत्कालीन सीईओ आर रामचंद्रन नायर को हाउसिंग लोन घोटाले में सीबीआईऔरऔर भी

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के चेयरमैन टी एस विजयन के कहा है कि एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के नए सीईओ की नियुक्ति अगले दो-तीन दिन में हो जाएगी। उनका कहना था, “हमारी पहली प्राथमिकता इस वक्त एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस को सहयोग देने की है। इसके लिए हमने फिलहाल सबसे सीनियर जनरल मैनेजर चंद्रशेखरन को कार्यकारी सीईओ बना दिया है। दो अन्य महाप्रबंधक उनका सहयोग करेंगे।” बता दें कि एलआईसी हाउसिंग के सीईओ आर आर नायर को सीबीआईऔरऔर भी

देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी, सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) इसे बड़ा हाउसिंग लोन घोटाला मानती है। लेकिन वित्त मंत्रालय कहता है कि बैंकिंग रिश्वतखोरी का यह मामला व्यवस्थागत खतरा नहीं है। देश की सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख भी कहते हैं कि यह बहुत पुरानी समस्या है। इसलिए इसमें कोई ‘सिस्टेमिक रिस्क’ नहीं है। लेकिन यह कहीं से भी सामान्य बात नहीं है कि एलआईसी, एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस और सेंट्रल बैंक ऑफऔरऔर भी

पिछले कुछ दिनों से देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के खिलाफ आ रही खबरों पर शुक्रवार को तब विराम लग गया जब बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) के चेयरमैन जे हरिनारायण ने उसे क्लीनचिट दे दी। कह दिया कि एलआईसी ने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है और पहले 14,000 करोड़ रुपए की कमी की जो बात कही गई थी, वह असल में मौजूदा बीमांकन अनुमान की तुलना में बताईऔरऔर भी

रिटेल निवेशक कब तक टेक्निकल एनालिस्टों के चार्टों की धुन पर, सपेरों की बीन पर सांप की तरह नाचते रहेंगे? यह एक बड़ा सवाल है और इसका जवाब रिटेल निवेशक ही दे सकते हैं। अभी तक वे ब्रांड-भक्त बने हुए हैं और अपने ही ब्रोकरों का कहा सुनते हैं। लेकिन इन ब्रोकरों का सरोकार तो अपने धंधे-पानी से ज्यादा और रिटेल निवेशकों की जेब से कम होता है। जैसी कि उम्मीद थी, चार्टवाले राग अलापने लगे किऔरऔर भी

जितना बड़ा जोखिम, उतना बड़ा बीमा। दुनिया ने 1 सितंबर की तारीख को अब तक का सबसे बड़ा जोखिम झेला है क्योंकि दूसरा विश्व युद्ध 1 सितंबर 1939 को शुरू हुआ था। लेकिन देश में भी 1 सितंबर की तारीख और बीमा उद्योग के बीच गहरा रिश्ता है। 1 सितंबर 2000 को भारतीय बीमा उद्योग निजी क्षेत्र के लिए खोला गया। 1 सितंबर 2010 से यूलिप के कायाकल्प के लिए इरडा के नए दिशानिर्देश लागू हुए हैं।औरऔर भी

बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) ने 1 सितंबर 2010 से लागू नए नियमों को पूरा करनेवाले 51 यूलिप (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी) उत्पाद मंजूर कर दिए हैं। इरडा के चेयरमैन जे हरिनारायण ने बुधवार को मुंबई में एसोचैम द्वारा आयोजित ग्लोबल इंश्योरेंस समिट में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उनके पास कुल 68 यूलिप के प्रस्ताव आए थे, जिनमें से 51 को मंजूरी दे दी गई है। इनमें से दो पेंशन प्लान हैं। एक प्लान एलआईसीऔरऔर भी

डेरिवेटिव सौदों में पिछले तीन दिनों से लांग पोजिशन को समेटा जा रहा है और नए शॉर्ट सौदे किए जा रहे हैं। मंदड़ियों को यकीन हो चला है कि सितंबर में हिन्डेनबर्ग अपशगुन घटेगा और उन्होंने बिना किसी भय के सारी शॉर्ट पोजिशन सितंबर तक बढ़ा दी है। अब वे दुनिया के बाजारों पर अपशगुन का कहर गिरने का इंतजार करेंगे ताकि भारतीय बाजार को गिराया जा सके। ज्यादातर फंड बराबर यही कहे जा रहे हैं किऔरऔर भी

निजी क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनियों में रिलायंस लाइफ ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सबसे अधिक रफ्तार से पॉलिसियां बेची हैं। अनिल अंबानी समूह की इस कंपनी ने अप्रैल-जून 2010 की तिमाही में 4.93 लाख पॉलिसियां बेची हैं। बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) के आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस लाइफ ने बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में 4.06 लाख पॉलिसियां बेची थीं। इस तरह से उसने इस बार पहले की अपेक्षा 21 फीसदी अधिकऔरऔर भी