टेक्सटाइल उद्योग की विभिन्न कंपनियों के शेयर इस समय दबे-दबे से चल रहे हैं। ग्रासिम इंडस्ट्रीज का पी/ई अनुपात 9.65 चल रहा है तो आलोक इंडस्ट्रीज का 4.45, गार्डन सिल्क का 6.60 और जेबीएफ इंडस्ट्रीज का 8.15 चल रहा है। इसलिए दूरगामी लक्ष्य के लिए तो इन सभी में निवेश किया जा सकता है। लेकिन आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज का आकलन है कि जेबीएफ इंडस्ट्रीज थोड़े समय में ही 10% तक का रिटर्न दे सकती है। जेबीएफ इंडस्ट्रीज (बीएसईऔरऔर भी

बाजार तेजी के नए दौर में प्रवेश कर चुका है। वोलैटिलिटी सूचकांक अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर 18 फीसदी पर है। रीयल्टी स्टॉक्स की धूम है। दूसरा सेक्टर जिसमें बाजार तेजी की राह पकड़ रहा है, वह है सीमेंट। देखिएगा कि अगले तीन महीनों तक इस सेक्टर के स्टॉक कहां से कहां तक जाते हैं। मैं मानता हूं कि नवंबर से पहले एसीसी चार अंकों में चला जाएगा। बाकी आपको समझना है। निफ्टी सारी रुकावटें तोड़औरऔर भी

कुछ दिनों पहले हमने टाटा मोटर्स और एसबीआई की बात उठाई थी और इन दोनों ही शेयरों ने औरों से ज्यादा तेजी दिखाई है। आरडीबी को आईटीसी द्वारा खरीदने की बात अब पीटीआई, सीएनबीसी, एनडीटीवी, ब्लूमबर्म और रॉयटर्स जैसे कई समाचार माध्यमों में आ गई है। निश्चित रूप से अब इसका खंडन भी आएगा क्योंकि 350 करोड़ रुपए में सौदे की बात कही गई है, जबकि आरडीबी का बाजार पूंजीकरण अभी मात्र 75 करोड़ रुपए है। इसलिएऔरऔर भी

सी अच्युतन कमिटी की तरफ से पेश किए गए नए टेकओवर कोड को अपनाने में अभी वक्त लगेगा। यह भी संभव है कि पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी 31 अगस्त तक प्रतिक्रियाएं मिलने के बाद इसमें फेरबदल कर दे। लेकिन अगर इसकी मूल सिफारिशों को अपना लिया गया तो इससे देश की कम से कम 76 बड़ी सूचीबद्ध कंपनियों के विदेशी अधिग्रहण का खतरा बढ़ जाएगा। ब्रोकर फर्म एसएमसी कैपिटल्स के एक अध्ययन के अनुसार बीएसई-500 मेंऔरऔर भी

मारुति सुजुकी का नाम ही काफी है। कंपनी पहली तिमाही के नतीजे इसी हफ्ते शनिवार 24 जुलाई को घोषित करने जा रही है। वित्त वर्ष 2009-10 में उसने 29,629 करोड़ रुपए की आय पर 2497.62 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। उसके पास 31 मार्च 2010 तक 11,690.6 करोड़ रुपए के रिजर्व थे। कंपनी की इक्विटी 144.46 करोड़ रुपए है। इसका 54.21 फीसदी हिस्सा जापानी कंपनी सुजुकी के पास और बाकी 45.79 फीसदी हिस्सा पब्लिक केऔरऔर भी

विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई), एलआईसी और म्यूचुअल फंड हमारे बाजार के बड़े खिलाड़ी हैं। रिलायंस समूह का ऑपरेटिंग तंत्र धीरूभाई के जमाने से ही सक्रिय है। लेकिन सात अन्य बड़े ऑपरेटर हैं जिनके हाथ बड़े लंबे हैं, जिन पर सेबी हाथ नहीं रख पाती। ये हैं – आरजे (राकेश झुनझुनवाला), केपी (केतन पारेख उर्फ पिंक पैंथर उर्फ वन मैन आर्मी), आरके/जीएस (राधाकृष्ण दामाणी उर्फ ओल्ड फॉक्स), आरडी (रमेश दामाणी),  एके (अजय कयान), एमएम (मनीष मारवाह) और एडीऔरऔर भी

इस साल के बजट में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने घोषित किया था कि आयकर एक्ट की धारा 80 सी, 80 सीसीसी और 80 सीसीडी के तहत मिलनेवाली कुल एक लाख रुपए की कर-मुक्त आय के ऊपर 20,000 रुपए और बचाने की सुविधा इंफ्रास्ट्रक्चर बांडों में किए गए निवेश पर मिलेगी। अब ये बांड निर्धारित कर दिए गए हैं। वित्त मंत्रालय ने घोषित किया है कि आईएफसीआई, एलआईसी और आईडीएफसी के अलावा उन गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों कीऔरऔर भी

जी, हां। देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी एलआईसी (भारतीय जीवन बीमा निगम) का सच यही है। उसकी चुकता पूंजी महज 5 करोड़ रुपए है। लेकिन उसकी संपत्ति के एक अंश का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुंबई के सबसे पॉश इलाकों फोर्ट (कोलाबा) और चर्चगेट में हर दूसरी-तीसरी बिल्डिंग उसी की नजर आती है। पूरे देश में एलआईसी के पास जबरदस्त प्रॉपर्टी है। वह इस समय करीब 10 लाख करोड़ रुपए कीऔरऔर भी

वैश्विक बाजार के असर से हमारे शेयर बाजार रोज नीचे ही नीचे जा रहे हैं। लेकिन अर्थव्यवस्था के पहलू मजूबत हैं। इसलिए जी एस दामाणी जैसे तेजतर्रार ऑपरेटरों ने अच्छी संभावना वाले शेयरों पर निगाह जमा दी है और वे इनमें हर गिरावट पर अपनी खरीद बढ़ा रहे हैं। बाजार में अंदर की खबर रखनेवालों का कहना है कि ऐसे कुछ संभावनामय शेयर हैं – बॉम्बे डाईंग, सेंचुरी, आइडिया, भारती, टाटा स्टील, स्टरलाइट, आईडीबीआई, एसबीआई, एस्सार ऑयलऔरऔर भी

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के जीवन अक्षय-VI प्लान  को केंद्र सरकार ने आयकर कानून की धारा 80-सी तहत कर छूट देने का फैसला किया है। यह छूट उसे 80 सी की उपधारा-2 के अनुच्छेद (xii) के तहत एन्यूटी प्लान मानकर दी जा रही है। जिन भी लोगों ने इस प्लान में वित्त वर्ष 2007-08 या उसके बाद निवेश किया है, वे इसमें दिए गए प्रीमियम पर कर छूट ले सकते हैं। लेकिन यह छूट 80 सीऔरऔर भी