लगा जो तीर निशाने पर…

कुछ दिनों पहले हमने टाटा मोटर्स और एसबीआई की बात उठाई थी और इन दोनों ही शेयरों ने औरों से ज्यादा तेजी दिखाई है। आरडीबी को आईटीसी द्वारा खरीदने की बात अब पीटीआई, सीएनबीसी, एनडीटीवी, ब्लूमबर्म और रॉयटर्स जैसे कई समाचार माध्यमों में आ गई है। निश्चित रूप से अब इसका खंडन भी आएगा क्योंकि 350 करोड़ रुपए में सौदे की बात कही गई है, जबकि आरडीबी का बाजार पूंजीकरण अभी मात्र 75 करोड़ रुपए है। इसलिए सही खबर बनने के लिए तो इस शेयर को 250 रुपए तक पहुंचना होगा।

यह भी चर्चा है कि एलआईसी और दो अन्य बीमा कंपनियां आरडीबी इंडस्ट्रीज के बारे में पूछताछ कर रही हैं क्योंकि एफएमसीजी में उनकी भारी दिलचस्पी है और आरडीबी अब केवल सिगरेट में होने के नाते एफएमसीजी कंपनी तो बन ही गई है। अब संस्थागत खरीदार इस स्टॉक की तरफ बढ़ रहे हैं, इसलिए कयास लगाते रहने की जरूरत नहीं है कि आगे इसमें क्या होने जा रहा है। यह हमारी तरफ से आप सभी लोगों को स्वतंत्रता दिवस की भेंट है। जिन्होंने हम पर भरोसा किया, उन्हें फायदा मिलेगा और जिन्होंने नहीं किया, वे हमेशा की तरह विलाप करते रहेंगे। चाहे जो हो जाए, हम अपना माथा नहीं झुकने नहीं देते।

हमारा सुबह का संदेश था कि घबराएं नहीं और शॉर्ट सेलिंग से बचें। लेकिन बाजार में तमाम लोग वैश्विक बाजारों का कमजोर हाल देखकर शॉर्ट हो चले और अंततः उनकी पैंट उतर गई। बाजार मामूली ही सही, लेकिन मजबूती के साथ बंद हुआ है। बाजार में स्मॉल कैप शेयरों की व्यापक स्वीकृति हुई है। लेकिन ऑपरेटर भारी उतार-चढ़ाव पैदा कर सारी समीकरणों को बिगाड़ने की हरचंद कोशिश कर रहे हैं। हम तो गहराई से तथ्यों को रखने में यकीन रखते हैं, भले ही आप उनसे सहमत हों या न हों।

हमने श्राडेर डंकन में 120 रुपए पर आपको निवेश की सलाह दी। आपने इसे नहीं माना और यह शेयर 270 रुपए तक चला गया। अब भी यह 231 रुपए पर है। हमने बोरैक्स मोरारजी में 50 रुपए पर कॉल दी। आपने नहीं माना। यह शेयर 84 रुपए तक चला गया और अब 80 रुपए पर है। अब भी इसमें जमकर कारोबार हो रहा है। थोड़े में कहूं तो हमने जिस किसी भी स्टॉक को चुना, वह शुरू में तो सुस्त पड़ा रहा, उसमें वोल्यूम भी कम रहा। लेकिन धीरे-धीरे उसमें वोल्यूम व भाव दोनों आते गए और फिर बड़े खिलाड़ी उसके पीछे दौड़ पड़े। हमने अपनी रिसर्च रिपोर्ट जिन भी शेयरों में दी है, उन्होंने अब तक 50 फीसदी के ऊपर का औसत रिटर्न दिया है। 123 स्टॉक और 50 फीसदी का औसत रिटर्न कोई मामूली उपलब्धि नहीं है। आप भले ही हम पर यकीन न करें, लेकिन एफआईआई को हम पर पूरा भरोसा है।

आज बिजनेस स्टैंडर्ड ने एक खबर छापी है जिसमें बताया गया है कि जिन कंपनियों की रिसर्च रिपोर्ट क्रिसिल और इक्रा ने तैयार करके एनएसई और बीएसई को दी है, उनमें भी कारोबार की मात्रा नहीं बढी है। लेकिन सीएनआई के साथ ऐसा नहीं है। जब भी सीएनआई ने किसी कंपनी पर रिपोर्ट जारी की है, उस स्टॉक के खरीदार बढ़-चढ़कर आगे आए हैं। उसमें वोल्यूम बढ़ गया है। इसका मतलब यही हुआ कि सीएनआई के लक्षित पाठक एनएसई और बीएसई के लक्ष्य से बेहतर हैं।

असल में हम तो एनएसई और बीएसई से गुजारिश करते हैं कि वे किसी स्टॉक को ट्रेड टू ट्रेड में डालने के कुछ मानदंड बनाएं और उस श्रेणी में रखने का अधिकतम समय तय करें ताकि निवेशकों को पता चल सके कि बिना घाटा उठाए वे उस शेयर को कब तक होल्ड करके रखें। नहीं तो एनएसई और बीएसई के फैसले से निश्चित रूप से निवेशक घबरा जाते हैं और इस चक्कर में शेयर बेचकर घाटा झेलते रहते हैं। इससे धीरे-धीरे बी ग्रुप के शेयरों में निवेशकों का भरोसा कम होता गया है जिससे इनमें कारोबार की मात्रा भी सूख गई है।

धामपुर स्पेशियलिटी शुगर एक और स्टॉक हैं जिसकी छिपी कीमत अभी खुलकर सामने आनी है। इस शेयर पर नजर रखें और देखें कि यह कैसे बढ़ता है।

बेमन की पढ़ाई से स्मृति का नाश होता है। ऊपर से समय भी जाया होता है क्योंकि स्मृति कुछ भी भीतर लेने के बजाय सारा कुछ उगल देती है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ हैलेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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