भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के चेयरमैन टी एस विजयन के कहा है कि एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के नए सीईओ की नियुक्ति अगले दो-तीन दिन में हो जाएगी। उनका कहना था, “हमारी पहली प्राथमिकता इस वक्त एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस को सहयोग देने की है। इसके लिए हमने फिलहाल सबसे सीनियर जनरल मैनेजर चंद्रशेखरन को कार्यकारी सीईओ बना दिया है। दो अन्य महाप्रबंधक उनका सहयोग करेंगे।” बता दें कि एलआईसी हाउसिंग के सीईओ आर आर नायर को सीबीआई हाउसिंग लोन घोटाले में गिरफ्तार कर चुकी है।
विजयन ने गुरुवार को मुंबई में एलआईसी के निदेशक बोर्ड की आपात बैठक के बाद यह भी बताया कि मामले की आंतरिक जांच के लिए दो समितियां भी बनाई गई हैं। विजयन इसके बाद शाम को दिल्ली के लिए रवाना हो गए। गौरतलब है कि घोटाले में एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के सीईओ के अलावा एलआईसी के सचिव (निवेश) नरेश चोपड़ा को भी गिरफ्तार किया गया है।
एलआईसी प्रमुख विजयन ने कहा कि आरोपी अधिकारियों के खिलाफ अगला कदम जांच समितियों की रिपोर्ट के आधार पर उठाया जाएगा। वैसे, संस्था की नीति के अनुसार पुलिस हिरासत में दो दिन रहने के बाद ये दोनों अधिकारी अपने-आप सस्पेंड हो जाएंगे। इसमें नायर के अलावा नरेश चोपड़ा भी निपट जाएंगे। चोपड़ा पिछले दो साल से एलआईसी के निवेश विभाग से जुड़े थे। इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने कंपनियों को बड़े-बड़े ऋण मंजूर करते समय एक बिचौलिया फर्म, मनी मैटर्स के साथ साठगांठ की और रिश्वत लेकर नियमों की अनदेखी की।
इस बीच एलआईसी की बोर्ड बैठक में शामिल एक उच्च अधिकारी के मुताबिक घोटाले की आंतरिक जांच के लिए तीन-तीन सदस्यों की दो समितियां बना दी गई हैं। इनमें से एक समिति हाउसिंग फाइनेंस और दूसरी समिति निवेश विभाग की जांच करेगी। इस अधिकारी ने कहा कि एलआईसी को अनुमान नहीं था कि इतने बड़े पैमाने पर इस तरह की रिश्वतखोरी हो सकती है। चूंकि एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस की बैलेंसशीट और कर्ज वितरण सब सही था, इसलिए इसका पता नहीं लग पाया।
उन्होंने बताया कि अभी बनाई गई समिति निवेश विभाग के एक पूर्व अधिकारी एन मोहनराज की भी जांच कर सकती है। बता दें कि कुछ दिन पहले ही मोहनराज को यहां से हटाकर दूसरे विभाग की जिम्मेदारी दी गई है और उनकी जगह पर एस बी मैनक को लाया गया है।
उउनका कहना है कि यह आपस में लेन देन का मामला है। उन्होंने बताया कि सीबीआई ने जब 23 नवंबर, मंगलवार की रात एलआईसी को इसकी जानकारी दी, तभी से उच्च अधिकारी सक्रिय हो गए थे और रात भर डैमेज कंट्रोल में जुटे रहे। उनके मुताबिक एलआईसी हाउसिंग ने कुल करीब 380 करोड़ रुपए का कर्ज रीयल एस्टेट कंपनियों को दिया है।
उधर इस मामले में रिजर्व बैंक की प्रवक्ता का कहना है कि चूंकि यह रिश्वतखोरी का मामला है, इसलिए इसमें रिजर्व बैंक की किसी भी तरह की जांच की कोई बात नहीं है। लेकिन यदि कुछ ऐसा मामला आता है जो रिजर्व बैंक से जुड़ा है तो जरूर उसकी जांच की जाएगी।