बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) ने 1 सितंबर 2010 से लागू नए नियमों को पूरा करनेवाले 51 यूलिप (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी) उत्पाद मंजूर कर दिए हैं। इरडा के चेयरमैन जे हरिनारायण ने बुधवार को मुंबई में एसोचैम द्वारा आयोजित ग्लोबल इंश्योरेंस समिट में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उनके पास कुल 68 यूलिप के प्रस्ताव आए थे, जिनमें से 51 को मंजूरी दे दी गई है। इनमें से दो पेंशन प्लान हैं। एक प्लान एलआईसी की तरफ से आया है और एक निजी बीमा कंपनी की तरफ से।
इरडा प्रमुख के कहने का मतलब यह था कि नए नियमों को जीवन बीमा उद्योग ने बहुत सजहता से लिया है। इस मौके पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी यूलिप पर इरडा की नई पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि हाल में यूलिप के बारे में आए इरडा के तमाम रेगुलेशन व दिशानिर्देश पॉलिसीधारकों के हित में हैं। इससे संभावित पॉलिसीधारकों का भरोसा बीमा उत्पादों के प्रति बढ़ाने में मदद मिलेगी। उनका कहना था कि देश में आय के बढ़ते स्तर के साथ बीमा की जरूरत बढ़नी ही बढ़नी है। बीमा उद्योग को इस मौके का फायदा उठाते हुए जीवन और गैर-जीवन बीमा, दोनो ही क्षेत्रों में व्यापक अवाम तक पहुंचना चाहिए। गौरतलब है कि देश की बीमा करने योग्य आबादी के महज 20 हिस्से तक ही अभी तक बीमा पॉलिसियां पहुंच पाई हैं।
बता दें कि यूलिप पर इरडा के नए दिशानिर्देश आज बुधवार 1 सितंबर 2010 से लागू हो गए हैं। आज के बाद 230 मौजूदा यूलिप उत्पाद नहीं बेचे जा सकेंगे। अभी तक यूलिप में पहले साल 40 फीसदी तक एजेंट का कमीशन होता था। लेकिन अब यूलिप पर हर तरह के शुल्क की सीमा बंध गई है और पहले साल में एजेंट का कमीशन 15-17 फीसदी ही रहेगा। अभी तक पॉलिसी लैप्स होने पर कंपनी सारा अदा किया गया प्रीमियम जब्त कर लेती थी। लेकिन अब पहले निकलने पर पॉलिसीधारक को अपने प्रीमियम का बड़ा हिस्सा वापस मिल जाएगा।
गौरतलब है कि अभी तक यूलिप बीमा कंपनियों की प्रीमियम आय का सबसे बड़ा सहारा रहा है। निजी कंपनियों का तो लगभग 80 फीसदी प्रीमियम इसी से आता रहा है। लेकिन एलआईसी की उपस्थिति के कारण सारे उद्योग के प्रीमियम में यूलिप का औसत करीब 42 फीसदी पर आ गया है। 2009-10 में जीवन बीमा उद्योग की प्रीमियम आय 2.61 लाख करोड़ रुपए थी, जिसमें से 1.1 लाख करोड़ अकेले यूलिप से आया था।