फिरौती दे दो, नुकसान देगी बीमा कंपनी

देश में व्यावसायिक दुश्मनी के मामलों में इजाफा, कंपनियों को ग्रामीण व अशांत इलाकों में होनेवाली समस्याएं, अपहरण की बढ़ती वारदातों और भारतीय मालवाहक जहाजों को विदेशी समुद्री लुटेरों से पल-पल मंडराते खतरे के मद्देनजर आज के जमाने में अपहरण व फिरौती बीमा की जरूरत बढ़ने लगी है। और इस जरूरत को पूरा करती है किडनैपिंग एंड रैन्सम इंश्योरेंस पॉलिसी या छोटे में के एंड आर इंश्योरेंस पॉलिसी।

बड़े काम की पॉलिसी: आज का कॉरपोरेट इंडिया इस बीमा पॉलिसी की जरूरत को भली-भांति समझ गया है। वजह एकदम आसान है। दरअसल आज का जमाना अशांति से भरा है। कंपनी अपने अधिकारियों व कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए इसे खरीदती है। इन्हीं सब खतरों, हादसों, दुघर्टनाओं व समस्याओं के मद्देनजर आज के जमाने में बड़े काम की बन गई है यह बीमा पॉलिसी।

अपहरण की वारदातों में बढ़ोतरी: नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के ताजातरीन आंकड़ों के अनुसार भारत का स्थान किडनैपिंग के मामले में सबसे बदतर रिकॉर्ड वाले दुनिया के दस देशों में छठां है। साथ ही उत्तर-पूर्व के इलाकों समेत देश के कई हिस्सों में माओआदी, उल्फा, नक्सली, माफिया गतिविधियों का प्रकोप बढ़ रहा है। बिहार, यूपी व आंध्र प्रदेश में ज्यादा अपहरण की वारदातें हुई हैं। इसके अलावा भारतीय जहाजों को सोमालियाई जल-दस्युओं से भी खतरा बढ़ा है।

एक उपयोगी धारणा: अपहरण व फिरौती बीमा भारत के मौजूदा हालात के मद्देनजर एक उपयोगी धारणा है। यह 2006 के आखिर में देश में लांच हुई थी। इसका शुरूआती रेस्पांस तो अच्छा नहीं था पर धीरे-धीरे इसने जोर पकड़ा है। फिलहाल अशांत इलाकों में काम कर रही कंपनियां अपहरण व फिरौती बीमा ले रही हैं। साथ ही नक्सली, आतंकवादी, माफिया आदि तत्वों की बहुलता वाले इलाकों के डॉक्टर, इंजीनियर व वकील जैसे प्रोफेशनल और छोटे-मोटे व्यापारी भी अपहरण व फिरौती बीमा में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

कैसे काम करता है यह बीमा: ध्यान रहे कि के एंड आर इंश्योरेंस की डिजाइनिंग ऐसे लोगों व कंपनियों की सुरक्षा के लिए की गई थी जो कि दुनिया में बहुत अशांत या हाई रिस्क इलाके में रहते या काम करते हैं। इसके तहत अपहरण, फिरौती, मारपीट, घायलावस्था, प्रॉपर्टी डैमेज एक्टोर्शन, कंप्यूटर वायरस एक्सटोर्शन, ट्रेड सीक्रेट एक्सटोर्शन, राजनीतिक डिटेंशन व हाइजैकिंग जैसे हालातों का बीमा होता है।

नुकसान की भरपाई: के एंड आर इंश्योरेंस इंडेम्रिटी पॉलिसी होती है। इसका नाम भले ही अपहरण व फिरौती बीमा है पर बीमा कंपनी पॉलिसीधारक की ओर से फिरौती नहीं देती। बल्कि, फिरौती चुकाने से बीमाधारक को जो नुकसान होता है, बीमा कंपनी उसकी भरपाई करती है। अपहरणकर्ताओं को फिरौती देने के लिए ले जाया जा रहा धन अगर रास्ते में गुम हो जाता है तब भी बीमा कंपनी उसकी भरपाई करती है। अपहरण की वारदात के दौरान यदि बीमाधारक को कुछ शारीरिक चोट/छति पहुंचती है तब भी बीमा कंपनी उसका खर्च, रिवार्ड मनी, पर्सनल एक्सीडेंट, कॉस्मेटिक सर्जरी व कानूनी खर्चों तक की भरपाई करती है।

कस्टमाइज्ड प्रोडक्ट: भले ही देश में धनवानों की संख्या में बढ़ोतरी होने की वजह से अपहरण व फिरौती के मामले बढ़ रहे हों। भले नाकाफी कानूनों के कारण अपहरणकर्ता फिरौती वसूलने के बाद भी बच जाते हों। लेकिन के एंड आर इंश्योरेंस सभी के लिए नहीं होता। यह फिलहाल कस्टमाइज्ड प्रोडक्ट है। इसे मुख्यत: कंपनियां अपने प्रमुख अधिकारियों के लिए लेती हैं।

गोपनीयता प्रमुख तत्व: के एंड आर इंश्योरेंस में गोपनीयता प्रमुख तत्व है। वास्तव में गोपनीयता इस कवर की कुंजी है। इसलिए बीमा कंपनियां के एंड आर इंश्योरेंस के बारे में जानकारियां देने से बचती हैं। पॉलिसीहोल्डरों की पहचान तो कोई खोलता नहीं। इसीलिए इस प्रोडक्ट का बाजार आकार नहीं पता। उद्योग के सूत्रों का कहना है कि अमूमन इसका सम एश्योर्ड 2-5 करोड़ रुपए के बीच होता है।

प्रीमियम एक फीसदी: के एंड आर इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम जरा ऊंचा होता है। दरअसल इसे विभिन्न जोखिम आधारों पर तय किया जाता है, मसलन बीमाधारक किस इलाके में रहता या काम करता है, उसके काम या व्यापार की प्रकृति क्या है। जानकारों के अनुसार इसका प्रीमियम बीमा राशि का अमूमन एक फीसदी होता है। मसलन यदि के एंड आर इंश्योरेंस पॉलिसी की बीमा राशि 3 करोड़ रुपए है तो इसका प्रीमियम 3 लाख रुपए होगा।

कवर की बिक्री दोगुनी: देश के कॉरपोरेट संस्थानों में परस्पर व्यावसायिक दुश्मनी के मामलों में इजाफा, कंपनियों को ग्रामीण व अशांत इलाकों में होने वाली समस्याएं, अपहरण, फिरौती, राजनीतिक डिटेंशन, हाइजैकिंग आदि की घटनाएं बढऩे की वजह से के एंड आर इंश्योरेंस पॉलिसी की बिक्री दोगुनी हो गई है। कंस्ट्रक्शन, खनन, मरीन उद्योग के साथ शिपिंग कंपनियां भी अपने कर्मचारियों के लिए इसे ले रही हैं। अपहरण का ऊंचा जोखिम होने से देश के उत्तर-पूर्व हिस्से में कार्यरत कंपनियों में यह काफी लोकप्रिय है। यहां पर यह बताना सामयिक होगा कि सरकारी क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनी न्यू इंडिया एश्योरेंस के साथ टाटा एआईजी, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड और एचडीएफसी एर्गो यानी चार बीमा कंपनियां के एंड आर इंश्योरेंस पॉलिसी बेचती हैं।

– राजेश विक्रांत (लेखक बीमा प्रोफेशनल हैं)

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