कहते हैं कि अभूतपूर्व संकट का समाधान भी अभूतपूर्व होता है। ऐसा पहली बार हुआ कि दुनिया के छह केंद्रीय बैंकों ने एक साथ मिलकर दुनिया के वित्तीय तंत्र को नकदी मुहैया कराने और डॉलर स्वैप के मूल्यों को थामने की पहल की है। ये छह केंद्रीय बैंक हैं – अमेरिका का फेडरल रिजर्व, ब्रिटेन का बैंक ऑफ इंग्लैंड, यूरोज़ोन का यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) और कनाडा. जापान व स्विटजरलैंड के केंद्रीय बैंक। इन बैंकों ने व्यापारऔरऔर भी

भारत में अटकलें चल ही रही हैं कि रिजर्व बैंक सिस्टम में तरलता बढ़ाने की खातिर बैंकों के लिए तय नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती कर सकता है कि चीन के केंद्रीय बैंक ने इससे पहले ही अचानक इस रिजर्व अनुपात (आरआरआर) में कमी कर सारी दुनिया को चौंका दिया। चीन ने दिसंबर 2008 के बाद पहली बार रिजर्व अनुपात में 0.50 फीसदी की कमी की है। बता दें कि चीन भी कम आर्थिक विकास दरऔरऔर भी

भारती एयरटेल ने अफ्रीका में 5 करोड़ से ज्यादा मोबाइल ग्राहक हासिल कर लिए हैं। कंपनी ने बुधवार को आधिकारिक तौर पर यह जानकारी दी। बता दें कि अफ्रीका में ग्राहकों को यह आधार उसे कुवैती टेलिकॉम कंपनी ज़ैन के अफ्रीकी कारोबार के अधिग्रहण से हासिल हुआ है। जून 2010 में उससे यह सौदा करीब 900 करोड़ डॉलर में किया था जिससे अफ्रीका के 15 देशों में उसकी पहुंच बन गई है। भारती एयरटेल इस समय एशियाऔरऔर भी

देश में अभी 1589 आईएएस अधिकारियों की कमी है। एक जनवरी 2011 तक भारतीय प्रशासनिक अधिकारियों की कुल स्वीकृत संख्या 6077 थी। 121 करोड़ की आबादी के हिसाब से 1.99 लाख भारतीयों पर एक आईएएस। लेकिन स्वीकृत संख्या में से 4488 अधिकारी ही कार्यरत हैं। इनमें वे अधिकारी शामिल हैं जिन्‍हे सिविल सेवा परीक्षा 2009 के आधार पर कैडर आवंटित किया गया और जिन्होंने एक जनवरी 2011 से पहले सेवाभार संभाला। सबसे ज्यादा 592 स्वीकृत आईएएस अफसरऔरऔर भी

यूं तो सरकार से लेकर बाजार और विशेषज्ञों तक को अंदाजा था कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर अच्छी नहीं रहनेवाली, लेकिन असल आंकड़ों के सामने आ जाने के बाद हर तरफ निराशा का आलम है। वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने तो यहां तक कह दिया है कि दिसंबर तिमाही इससे भी खराब रहनेवाली है। बसु का कहना है कि उन्हें जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)औरऔर भी

बाजार कमजोरी के साथ खुला और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े आने तक कमजोर ही बना रहा। बाजार में आम धारणा थी कि इसकी विकास दर 6.9 फीसदी रहेगी और सचमुच यह 6.9 फीसदी ही रही। लेकिन बाजार का चाल-चलन इस कदर बदल चुका है कि ट्रेडरों को बहुत सारी सूचनाएं ‘गजब की तेजी’ से मिल जाती हैं और वे उसके हिसाब से बहकने लगते हैं। पहले जीडीपी के 6.2 फीसदी बढ़ने की अफवाह खबर केऔरऔर भी

देश की आर्थिक विकास दर जून से सितंबर 2011 तक की तिमाही में 6.9 फीसदी रही है। यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दो सालों से ज्यादा वक्त में किसी भी तिमाही में हुई सबसे कम विकास दर है और लगातार तीसरी तिमाही में 8 फीसदी से नीचे रही है। चिंता की बात यह है कि इस दौरान मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की विकास दर मात्र 2.7 फीसदी रही है, जबकि खनन क्षेत्र बढ़ने के बजाय 2.9 फीसदी घटऔरऔर भी

बाजार के बारे में क्या कहा जाए! यहां कोई न्यूनतम स्तर भी न्यूनतम स्तर नहीं होता। जैसे, नव भारत वेंचर्स ने पिछले साल 29 नवंबर 2010 को 295.10 रुपए पर तलहटी बनाकर 302 रुपए पर बंद हुआ तो उसका तब का पी/ई अनुपात 5.33 था और शेयर की बुक वैल्यू थी 234.06 रुपए। ऐसे में इसमें निवेश की सलाह तो बनती ही थी। लेकिन यह शेयर 30 अगस्त 2011 को 158 रुपए के नए न्यूनतम स्तर पहुंचऔरऔर भी

महज रस्से के सहारे तीखे पहाड़ को पार करने की हिम्मत बिरले लोग ही जुटा पाते हैं। उनके जैसा बनने का मंसूबा तो हम नहीं पाल सकते। लेकिन उनके जैसा आत्मविश्वास हम जरूर पाल सकते हैं।और भीऔर भी

देश की सबसे बड़ी और एकमात्र सरकारी जीवन बीमा कंपनी, एलआईसी (भारतीय जीवन बीमा निगम) के 55 साल के इतिहास में शायद यह पहली बार हुआ है कि उसे बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) की लताड़ खानी पड़ी है। इरडा ने मृत्यु दावों में लेटलतीफी के खिलाफ एलआईसी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिस पर उसने 17 अक्टूबर को एलआईसी के कार्यवाहक चेयरमैन डी के मेहरोत्रा व कार्यकारी निदेशक के गणेश के साथ आमने-सामने बातऔरऔर भी