कहते हैं कि अभूतपूर्व संकट का समाधान भी अभूतपूर्व होता है। ऐसा पहली बार हुआ कि दुनिया के छह केंद्रीय बैंकों ने एक साथ मिलकर दुनिया के वित्तीय तंत्र को नकदी मुहैया कराने और डॉलर स्वैप के मूल्यों को थामने की पहल की है। ये छह केंद्रीय बैंक हैं – अमेरिका का फेडरल रिजर्व, ब्रिटेन का बैंक ऑफ इंग्लैंड, यूरोज़ोन का यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) और कनाडा. जापान व स्विटजरलैंड के केंद्रीय बैंक।
इन बैंकों ने व्यापार और घरेलू ज़रूरतों के लिए ज़्यादा से ज़्यादा क़र्ज़ मुहैया कराने के वास्ते एक साथ मिलकर काम करने का फ़ैसला किया है। उनके इस क़दम से व्यावसायिक बैंक सस्ते दामों पर अमेरिकी डॉलर ख़रीद सकेंगे और ज़रूरत पड़ने पर विदेशी मुद्रा भंडार आसानी से बना सकते हैं। इन बैंकों ने पांच दिसंबर से इस कदम पर अमल करने का फ़ैसला किया है।
बुधवार को इस ख़बर के आते ही दुनिया के शेयर बाज़ारों में उत्साह छा गया। जर्मनी के बाज़ार में चार फ़ीसदी और फ़्रांस व ब्रिटेन के शेयर बाज़ार में तीन फ़ीसदी का उछाल देखा गया। दूसरी तरफ डॉलर सूचकांक में एक फीसदी गिरावट दर्ज की गई। माना जा रहा है कि दुनिया के छह केंद्रीय बैंकों की संयुक्त पहल से यूरोज़ोन के बढ़ते संप्रभु ऋण संकट को भी सुलझाने में मदद मिलेगी।