चीन ने रिजर्व अनुपात घटा कर सबको चौंकाया

भारत में अटकलें चल ही रही हैं कि रिजर्व बैंक सिस्टम में तरलता बढ़ाने की खातिर बैंकों के लिए तय नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती कर सकता है कि चीन के केंद्रीय बैंक ने इससे पहले ही अचानक इस रिजर्व अनुपात (आरआरआर) में कमी कर सारी दुनिया को चौंका दिया। चीन ने दिसंबर 2008 के बाद पहली बार रिजर्व अनुपात में 0.50 फीसदी की कमी की है।

बता दें कि चीन भी कम आर्थिक विकास दर और ज्यादा मुद्रास्फीति की समस्या से जूझ रहा है। यह अलग बात है कि उसका कम भी हमारे लिए बहुत ज्यादा और उसका ज्यादा हमारे लिए कम है। इस सितंबर तिमाही में चीन का जीडीपी 9.1 फीसदी बढ़ा है जो 2009 की जून तिमाही के बाद सबसे कमजोर दर है। दूसरी तरफ वहां मुद्रास्फीति की दर अक्टूबर महीने में 5.5 फीसदी रही है। यह जुलाई में तीन साल के उच्चतम स्तर 6.5 फीसदी पर पहुंच गई थी। चीन के नीति नियामकों को आर्थिक विकास के इस धीमेपन और बढ़ती मुद्रास्फीति ने फिक्रमंद कर दिया है।

सोचिए कितना फर्क है। हमारे यहां मुद्रास्फीति 7 फीसदी पर भी आ जाए तो हम गदगद हो जाएंगे और जीडीपी 9 फीसदी बढ़ गया तो आसमान तक उछल जाएंगे। खैर, चीन ने समस्या के समाधान के लिए बैंकों के लिए तय रिजर्व अनुपात को अब 21.5 फीसदी से घटाकर 21 फीसदी कर दिया है। यानी, बैंकों को पहले अपनी कुल जमा का 21.5 फीसदी नकद के रूप में चीन के केंद्रीय बैंक के पास रखना पड़ता था। अब 5 दिसंबर से यह अनुपात 21 फीसदी कर दिया गया है। भारत में सीआरआर का मौजूदा स्तर केवल 6 फीसदी है। ये अलग बात है कि 24 फीसदी एसएलआर (वैधानिक तरलता अनुपात) को मिलाकर भारतीय बैंकों की 30 फीसदी जमा सरकार के पास उलझी रह जाती है।

चीन के केंद्रीय बैंक का कहना है कि आरआरआर में कमी से कैश की तंगी से जूझ रही छोटी कंपनियों को ज्यादा ऋण मिलने लगेगा। बीजिंग में इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना की निवेश बैंकिंग इकाई की अर्थशास्त्री शी चेन्यू ने कहा कि यह चौंकानेवाला कदम है। बाजार को कतई उम्मीद नहीं थी कि केंद्रीय बैंक इतनी तेजी से कदम उठाएगा। इसका साफ मतलब है कि केंद्रीय बैंक विकास को गति देने के लिए अपनी नीतिगत सोच को बदलने को तैयार है। चीन के इस कदम से दुनिया भर के बाजारों पर सकारात्मक असर पड़ा है।

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