हल्ला सुन बिदक जाते हैं ट्रेडर बंधु

बाजार कमजोरी के साथ खुला और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े आने तक कमजोर ही बना रहा। बाजार में आम धारणा थी कि इसकी विकास दर 6.9 फीसदी रहेगी और सचमुच यह 6.9 फीसदी ही रही। लेकिन बाजार का चाल-चलन इस कदर बदल चुका है कि ट्रेडरों को बहुत सारी सूचनाएं ‘गजब की तेजी’ से मिल जाती हैं और वे उसके हिसाब से बहकने लगते हैं। पहले जीडीपी के 6.2 फीसदी बढ़ने की अफवाह खबर के अंदाज में बाजार में फैलाई गई। नतीजतन ज्यादातर ट्रेडर शॉर्ट हो गए। फिर उन्हें कायदे से काटा गया।

समझदार लोग इसका आभास पाकर शॉर्ट कॉल्स से पीछे हट गए। बाद में तो जीडीपी के आंकड़ों की घोषणा के बाद माहौल लांग कॉल्स का बन गया। फिलहाल बाजार ओवरसोल्ड अवस्था में पहुंच चुका है। जीडीपी अपेक्षा के अनुरूप रहा है। बड़ी संभावना इस बात की है कि रिजर्व बैंक 16 दिसंबर को ब्याज दरों में या तो कटौती करेगी या ब्याज दरों को बढाने का सिलसिला रोक देगा। लेकिन आज हल्ला मचाया गया कि रिजर्व बैंक बाजार बंद होने के बाद सीआरआर में कटौती कर देगा। इसलिए बाजार में आखिरी वक्त तक बड़े पैमाने पर शॉर्ट कवरिंग होती रही और निफ्टी सवा दो से पौने तीन बजे के बीच के आधे घंटे में गिरने के बाद आखिर में 0.56 की बढ़त लेकर 4832.05 पर बंद हुआ। यह दिन के उच्चतम स्तर 4851.55 से थोड़ा ही नीचे है।

जीडीपी के बढ़ने की दर का घटना अपरिहार्य था क्योंकि ब्याज की वृद्धि का प्रभाव किसी भी सूरत में पड़ना ही था। दिसंबर तिमाही तक में जीडीपी की विकास दर का अनुमान भी अच्छा नहीं है। कहा जा रहा है कि यह बमुश्किल 7 फीसदी रहेगा। इसलिए अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए फौरन ब्याज दरों में कमी की जरूरत पड़ सकती है। सरकार के हर कोने से रिजर्व बैंक पर इसके लिए दबाव पड़ रहा है। हालांकि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन व रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने डराया है कि मुद्रास्फीति नीचे नहीं आई तो रिजर्व बैंक ब्याज दरें बढ़ा देगा।

कृपया ध्यान दें कि अक्टूबर 2008 के बाद से बहुतों ने भारत की आर्थिक विकास दर को डाउनग्रेड कर 5 फीसदी के नीचे पहुंचा दिया था। कुछ तो इसके 3 फीसदी तक पहुंचने की भविष्यवाणी कर रहे थे। लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ और इस बार भी ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा। हमारा जीडीपी किसी भी हालत में 6 फीसदी से नीचे नहीं जाएगा और औसत अब भी 7 फीसदी के ऊपर ही रहेगा। यह सेंसेक्स के 18,000 तक पहुंचने के लिए पर्याप्त है। इसलिए सेंसेक्स के 12,000 या 14,000 तक गिर जाने की अफवाहें और कुछ नहीं, बस मंदड़ियों की कुंठा और अति-प्रतिक्रिया का फूटकर बाहर निकलना है।

यह सच है कि सिस्टम में कोई तरलता नहीं है जिससे काफी नुकसान हो चुका है। बाजार से 20 अरब डॉलर से ज्यादा निकल चुके हैं जिसने बैंकिंग तंत्र में भी तरलता की स्थिति विकट कर दी है। इस समय बैंक हर दिन औसतन रिजर्व बैंक से रेपो के तहत 90,000 करोड़ रुपए उधार ले रहे हैं। तरलता का यह संकट असल में बाजार को तोड़ने का काम कर रहा है। होता यह है कि जब भी ऑपरेटरों से कहा जाता है कि वे लिया गया धन लौटा दें तो वे कोई और चारा न पाकर बिकवाली पर उतर आते हैं और बाजार गिरने लग जाता है। आजकल यही चल रहा है। खैर, जब कभी बाजार को चलानेवाले हालात को बेहतर बनाना चाहेंगे तो वे बाजार में नकदी उड़ेल देंगे जो किसी भी दिन 20 अरब डॉलर से ज्यादा रहती है और मनमाफिक बड़ी रैली की वजह बन सकती है।

सरकार रिटेल में एफडीआई को लेकर फंसी पड़ी है। सेबी आईपीओ के लिए नए नियमन की तैयारी में है जो बाजार के दूरगामी स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा। बस, अगर हमारे नियामक इक्विटी से लेकर कमोडिटी व करेंसी बाजार के डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट ले आएं तो पूरा सीन ही बदल जाएगा। कैश से समृद्ध भारत के सच्चे निवेशक बाजार में वापस आ जाएंगे क्योंकि उनके पास ‘रिजर्व मनी’ के रूप में जबरदस्त नकदी है जो किसी भी दिन पूरे देश की ‘मुद्रा आपूर्ति’ से ज्यादा रहती है।

बड़े मंदड़िए डर फैला रहे हैं कि रुपया दिसंबर महीने में ही डॉलर के सापेक्ष 65 और निफ्टी 4200 से नीचे तक गिर जाएगा। इसके हिसाब से वे बड़े पैमाने पर शॉर्ट सौदे कर रहे हैं। लेकिन न तो रुपया 65 पर जानेवाला है और न ही निफ्टी 4000 पर पहुंचने वाला है। इसलिए बेहतर यही है कि हम मौके का फायदा उठाने की रणनीति पर डटे रहें। इसी सेटलमेट में निफ्टी 5055 तक पहुंचेगा जहां पहुंचने पर उस्ताद लोग ट्रेडरों व निवेशकों से कैश का अंतर वसूलेंगे। उसके बाद जो होगा, इसकी समीक्षा तभी की जाएगी।

भविष्य के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि वह हमेशा अपने वक्त पर आता है। न थोड़ा पहले और न ही थोड़ा बाद में।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *