इस महीने की शुरुआत से इंडिया बुल्स समूह की लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में बढ़त का रुख अब डीएलएफ की राह पकड़ सकता है क्योंकि भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के नेता अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को हुई प्रेस क्रांफेंस में सोनिया गांधी परिवार के भ्रष्टाचार के सिलसिले में इंडिया बुल्स का भी नाम ले लिया। उन्होंने तमाम टीवी चैनलों से यह बात जरूर टिकर के रूप में चलाने का आग्रह किया और कहा कि वे इस बारे मेंऔरऔर भी

पहले घर एक-मंजिला हुआ करते थे। अब बहु-मंजिला होते हैं। पहले धन-दौलत सोने-चांदी के सिक्कों या बर्तनों के रूप में जमीन या दीवार में गाड़कर बचाई जाती है। अब लोग अपनी बचत बैंक एफडी, म्यूचुअल फंड या शेयरों जैसे अनाकार माध्यमों में लगाते हैं। पहले मुद्रास्फीति नहीं थी तो बचत जितना रखो, उतनी ही रहती थी। अब खोखली होती जाती है। इसलिए आप कमाकर बचाते हैं, यह पर्याप्त नहीं। आपकी बचत को भी कमा पड़ेगा। कम याऔरऔर भी

बाजार उम्मीद के मुताबिक 4730 से सुधरकर 5001 तक आ चुका है। इसके जल्दी ही 5080 तक चले जाने की संभावना है क्योंकि अब भी यह ओवरसोल्ड अवस्था में है। लेकिन उसके बाद इसमें इस सिरे से उस सिरे तक की उछल-कूद शुरू होगी। एक सिरा 4900 का है तो दूसरा 5240 का। उसी के बाद हम राय बनाएंगे कि सारे मंदड़ियों की मान्यता के अनुरूप यह 4000 तक जाता है कि नहीं। मंदड़ियों ने निफ्टी मेंऔरऔर भी

बाजार में मिथ है कि एफआईआई जिस शेयर को खरीदते हैं, उसके भाव अपने-आप बढ़ जाते हैं। लेकिन सिर्फ यही कारक किसी शेयर को नहीं बढ़ा सकता। जैसे, मार्च 2011 के अंत तक अल्सटॉम प्रोजेक्ट्स इंडिया में एफआईआई की इक्विटी हिस्सेदारी 2.56 फीसदी थी, जबकि जून 2011 के अंत तक यह बढ़कर 4.10 फीसदी हो गई। जाहिर है कि एफआईआई की यह सारी खरीद 1 अप्रैल से 30 जून 2011 के बीच हुई होगी। लेकिन 1 अप्रैलऔरऔर भी

एक तरफ रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के शेयरों में गिरावट के दौर में एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) और घरेलू निवेशक संस्थाओं (डीआईआई) ने अप्रैल से जून 2011 के बीच कंपनी में अपना निवेश घटा दिया है, वहीं एलआईसी और फ्रैंकलिन टेम्प्लेटन इनवेस्टमेंट फंड ने धारा के खिलाफ चलते हुए कंपनी में अपना निवेश बढ़ा दिया है। साथ ही इस दौरान कंपनी के साथ करीब 17,000 नए रिटेल निवेशक जुड़ गए हैं। मुकेश अंबानी के मालिकाने और बाजार पूंजीकरणऔरऔर भी

अभी तक लिस्टेड कंपनियां अपनी शेयरधारिता का ब्यौरा हर तिमाही के बीतने पर साल में चार बार सार्वजनिक करती रही हैं, भले ही तिमाही के दौरान कितना भी उलटफेर हो जाए। लेकिन अब शेयरधारिता में जब भी कभी दो फीसदी से ज्यादा की घट-बढ़ होगी, उन्हें उसके दस दिन के भीतर स्टॉक एक्सचेजों को सूचित करना होगा और एक्सचेंज इस सूचना को तत्काल अपनी वेबसाइट पर कंपनी की उद्घोषणा के रूप में पेश कर देंगे। यह फैसलाऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के बनाए लिस्टिंग समझौते के मुताबिक हर साल सभी लिस्टेड कंपनियों को 15 अप्रैल से पहले मार्च की तिमाही तक शेयरधारिता की ताजा स्थिति स्टॉक एक्सचेंजों के पास भेज देनी होती है और स्टॉक एक्सचेंजों को फौरन यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर डाल देनी होती है। लेकिन आज 22 अप्रैल की तारीख बीतने वाली है, फिर भी कम से कम 25 कंपनियां ऐसी हैं जिनकी शेयरधारिता की ताजा जानकारी बीएसई और एनएसईऔरऔर भी