अभी तक लिस्टेड कंपनियां अपनी शेयरधारिता का ब्यौरा हर तिमाही के बीतने पर साल में चार बार सार्वजनिक करती रही हैं, भले ही तिमाही के दौरान कितना भी उलटफेर हो जाए। लेकिन अब शेयरधारिता में जब भी कभी दो फीसदी से ज्यादा की घट-बढ़ होगी, उन्हें उसके दस दिन के भीतर स्टॉक एक्सचेजों को सूचित करना होगा और एक्सचेंज इस सूचना को तत्काल अपनी वेबसाइट पर कंपनी की उद्घोषणा के रूप में पेश कर देंगे। यह फैसला पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने बुधवार, 4 अगस्त को हुई अपनी बोर्ड मीटिंग में लिया। हालांकि इसे गुरुवार, 5 अगस्त को घोषित किया गया है।
आगे से होगा यह कि जब भी कंपनी की चुकता पूंजी या इक्विटी में एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक), डीआईआई (घरेलू संस्थागत निवेश) या प्रवर्तकों की हिस्सेदारी में दो फीसदी से ज्यादा का अंतर आएगा, कंपनी को तिमाही के बीतने का इंतजार किए बिना दस दिन में इसकी सूचना स्टॉक एक्सचेंजों को दे देनी होगी। असल में किसी भी कंपनी की शेयरधारिता का पैटर्न (एसएचपी) उसके शेयर के भाव के लिए बहुत संवेदनशील जानकारी होती है। खासकर प्रवर्तकों, एफआईआई या डीआईआई के हिस्से की घटबढ़ शेयर के भावों पर काफी असर डालती है। इसकी सूचना सार्वजनिक होने से पहले कुछ ही लोगों तक सीमित रहती है। इसलिए वे इसका फायदा उठा लेते हैं। लेकिन सेबी के नए फैसले के बाद यह सूचना हर निवेशक को स्टॉक एक्सचेंजों की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगी। इसलिए वे समान सूचना के आधार पर निवेश का फैसला ले सकेंगे।
बता दें कि बीएसई और एनएसई दोनों ही कंपनी के शेयर भावों के रोज के विवरण के साथ ही उसका शेयरहोल्डिंग पैटर्न भी देते हैं। नियमतः इसे हर तिमाही के बीतने के 15 दिन के भीतर अपडेट कर दिया जाता है। जैसे, इस समय आपको हर लिस्टेड कंपनी का जून 2010 तक की तिमाही का ताजा शेयरहोल्डिंग पैटर्न मिल जाएगा। एनएसई तो यहां तक बताता है कि कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या कितनी है और कंपनी में एक फीसदी से ज्यादा शेयर रखनेवाले व्यक्ति या संस्थाओं के नाम क्या हैं।
सेबी के ताजा फैसले के बाद हमें बराबर पुष्ट करते रहना होगा कि कंपनी की शेयरधारिता में कोई बड़ी तब्दीली आई है या नहीं। यह भी तय हुआ है कि हम तिमाही पर कंपनी एसएचपी की जो जानकारी देती हैं, उसमें बताना पड़ेगा कि डिपॉजिटरी रिसीट्स के एवज में कितनी शेयर कस्टोडियन के पास पड़े हैं और इनमें से कितने प्रवर्तक व प्रवर्तक समूह के पास हैं और कितने गैर-प्रवर्तक के पास। इससे कंपनी द्वारा जारी एडीआर या जीडीआर की जानकारी भी आम निवेशक को मिल जाएगी।
सेबी ने अपनी बोर्ड मीटिंग में एक और अहम फैसला आईपीओ की लिस्टिंग के बारे में किया है। अभी कंपनियां आईपीओ के प्रॉस्पेक्टस में बताती रही है कि इश्यू से पहले शेयरधारिता की क्या स्थिति है और इश्यू के बाद क्या हो सकती है। लिस्टिंग से लेकर अगली तिमाही तक कंपनी की वास्तविक शेयरधारिता पब्लिक डोमेन में नहीं आती है। लेकिन सेबी ने तय किया है कि अब लिस्टिंग के एक दिन पहले कंपनियों को सूचीबद्धता समझौते के अनुच्छेद 35 के अंतर्गत वास्तविक शेयरधारिता का विवरण स्टॉक एक्सचेंजों के पास भेज देना होगा और स्टॉक एक्सचेंजों को अगले दिन शेयर में ट्रेडिंग शुरू होने पहले इसे अपनी वेबसाइट पर डाल देना होगा।