नियम दिखाने को हैं, मानने को नहीं

बाजार उम्मीद के मुताबिक 4730 से सुधरकर 5001 तक आ चुका है। इसके जल्दी ही 5080 तक चले जाने की संभावना है क्योंकि अब भी यह ओवरसोल्ड अवस्था में है। लेकिन उसके बाद इसमें इस सिरे से उस सिरे तक की उछल-कूद शुरू होगी। एक सिरा 4900 का है तो दूसरा 5240 का। उसी के बाद हम राय बनाएंगे कि सारे मंदड़ियों की मान्यता के अनुरूप यह 4000 तक जाता है कि नहीं।

मंदड़ियों ने निफ्टी में 4100, 4200, 4300 व 4400 की सीरीज में 60 लाख शेयरों का वोल्यूम खड़ा कर रखा है। यह तेजड़ियों को दी गई मंदड़ियों की असल चुनौती है। लेकिन दूसरी तरफ यह भी हो सकता है कि यह लोगों की राय बदलने के लिए बनाया गया छलावा हो। इतना वोल्यूम खड़ा करने में महज एक से दो करोड़ रुपए लगते हैं। लेकिन इससे ऑपरेटरों को परदे के पीछे बड़ा खेल खेलने का मौका मिल जाता है।

आज के बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी एक रिपोर्ट में वीआईपी इंडस्ट्रीज के प्रवर्तकों ने माना है कि कंपनी में उनकी हिस्सेदारी 51.98 फीसदी है, न कि 44.12 फीसदी जितना वे जून 2011 की तिमाही तक बताते रहे हैं। नियमतः इक्विटी हिस्सेदारी इतना बढ़ जाने पर ओपन ऑफर लाना जरूरी है। लेकिन वीआईपी में कॉरपोरेट गवर्नेंस की किसे परवाह है? वहां चार सालों से शेयरधारिता के बारे में झूठ बोला जा रहा है। उसने विंडसर मशीन्स के निवेश को पब्लिक की श्रेणी में दिखाया है जबकि विंडसर मशीन्स ने अपनी सालाना रिपोर्ट में खुद को वीआईपी समूह की कंपनी बताया है। उसने अपनी प्रबंध निदेशक राधिका पिरामल की 6 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी को भी पब्लिक की श्रेणी में दिखा रखा है। राधिका कंपनी के चेयरमैन दिलीप पिरामल की बेटी हैं।

दूसरी कंपनियों के लिए यह कितनी अच्छी बात है कि प्रबंध निदेशक को ही पीएसी (परसन्स एक्टिंग इन कंसर्ट) नहीं माना जाए! बात यहीं तक होती तो चल जाता क्योंकि सेबी को भेजे पत्र में कंपनी ने कुछ गलतियों की बात मान ली है। इसे जांचना-परखना सेबी का काम है। लेकिन इस तथ्य से कौन इनकार कर सकता है कि विलय के एक साल बाद फरवरी 2008 में बाजार के बाहर कुछ सौदे हुए और पत्र में बताई गई सभी कंपनियों व विंडसर मशीन्स के बीच बड़ी मात्रा में शेयरों का लेनदेन हुआ जो एसएएसटी (सब्सटैंशियल एक्विजिशन ऑफ शेयर्स एंड टेकओवर) के तहत आता है। पर, इन तमाम संबंधित कंपनियों को पब्लिक की श्रेणी में दिखाकर सार्वजनिक तौर पर जरूरी कोई सूचना नहीं दी गई।

मुझे तो यह सारा मामला बड़ा विचित्र लगता है। एक तरफ प्रवर्तक निर्दोष व अनजान होने का दावा कर रहे हैं और शेयरधारिता के खुलासे में गलतियों की बात स्वीकार कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ वे बाजार के बाहर ऐसे सौदे कर रहे हैं जिन्हें सेबी ने गंभीर उल्लंघन माना है। बाजार के बाहर किए गए ऐसे ही सौदों को लेकर सेबी संजय डांगी के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर चुकी है। आमतौर पर क्रॉस-होल्डिंग के सौदे भी शेयर बाजार से बाहर नहीं किए जाते। लेकिन यहां खुद को निर्दोष बतानेवाला प्रवर्तक बाजार से बाहर किए गए सौदों का मकसद बता रहा है और सफाई दे रहा है कि खुलासे में उससे गलतियां हो गई हैं।

इस पूरी पैंतरेबाजी का नतीजा यह हुआ कि बाजार से बाहर हुए इन सौदों के बाद कंपनी में दो प्रवर्तक कंपनियों (किड्डी प्लास्ट जिसे अब प्रवर्तक कंपनी मान लिया गया है और विभूति इनवेस्टमेंट्स) की होल्डिंग बढ़ गई है। इन्होंने कंपनी के 5 फीसदी से ज्यादा (5.56 फीसदी) शेयर खरीदे हैं जो क्रीपिंग एक्विजिशन में साल भर के लिए तय 5 फीसदी सीमा से ज्यादा है जिससे इसमें ओपन ऑफर लाना जरूरी हो जाता है। देखते हैं कि सेबी इस बारे में क्या करती है? वैसे भारत में अण्णा के आंदोलन का वाकई असर होगा, ऐसा लगता नहीं है। यहां तो हर जगह एक-एक अण्णा को बैठना पड़ेगा। खासकर सेबी तो जबरदस्त जकड़बंदी से घिरी नजर आती है।

बाजार अब सीधे शुक्रवार को खुलेगा। निफ्टी में 5120 से 5250 के स्तर को बहुत गौर से देखा जाना चाहिए क्योंकि मंदड़िए बाजार को अस्थिर बनाने की एक और कोशिश करेंगे। अगर बाजार ठीकठाक वोल्यूम के साथ 5300 को पार कर जाता है तब समझा जा सकता है कि हम सुरक्षित ज़ोन में आ गए हैं। अंततः ऐसा होना ही है। लेकिन देखते हैं कि यह सितंबर में होता है या अक्टूबर में।

दुनिया तो जैसी है, वैसी और उतनी ही है। उसे आपका कितना बना पाते हैं, यह आपके नजरिए और दायरे पर निर्भर करता है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का पेड-कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

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