अर्थव्यवस्था बढ़ी कम, पर उम्मीद से ज्यादा, वित्त मंत्री बोले: निराशाजनक

देश की आर्थिक विकास दर जून तिमाही में पिछली छह तिमाहियों में सबसे कम रही है। फिर भी यह सबसे ज्यादा आशावादी अनुमान से भी बेहतर है। इसीलिए शेयर बाजार पर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की विकास दर कम रहने का असर नहीं पड़ा और वह करीब 1.6 फीसदी बढ़ गया। हालांकि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने जून तिमाही की विकास दर को निराशाजनक करार दिया है।

मंगलवार को सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक जून 2011 की तिमाही में देश का जीडीपी 12,26,339 करोड़ रुपए रहा है। यह साल भर पहले जून 2010 की तिमाही में 11,38,286 करोड़ रुपए था। इस तरह तुलनात्मक रूप से इसमें 7.74 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले साल यह वृद्धि 8.84 फीसदी दर्ज की गई थी। मार्च 2011 की तिमाही में यह दर 7.8 फीसदी थी, जबकि मार्च 2011 में समाप्त वित्त वर्ष 2010-11 में जीडीपी की विकास दर 8.5 फीसदी थी। तमाम विशेषज्ञों का आकलन था कि जून 2011 की तिमाही में जीडीपी बहुत बढ़ा तो 7.6 फीसदी बढ़ेगा। लेकिन 7.74 फीसदी वास्तविक वृद्धि दर ने दिखा दिया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अपेक्षा से ज्यादा समर्थ है।

इसलिए जानकार लोग कह रहे हैं कि रिजर्व बैंक 16 सितंबर को मौद्रिक नीति की मध्य-त्रैमासिक समीक्षा में ब्याज दरें एक बार फिर बढ़ा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो मार्च 2010 के बाद से यह रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में की गई 12वीं वृद्धि होगी। असल में सारी कसरत मुद्रास्फीति को थामने की है जो जुलाई में 9.22 फीसीद दर्ज की गई है। इस बीच खाद्य मुद्रास्फीति तो 9.80 फीसदी तक जा पहुंची है।

केंद्रीय सांख्यिकी व कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार जून 2011 की तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की विकास दर 7.2 फीसदी रही है, जबकि पिछले वित्त की पहली तिमाही में यह 10.6 फीसदी थी। कृषि क्षेत्र की विकास दर इस बार 3.9 फीसदी है, जबकि पिछली बार यह 2.4 फीसदी थी। सबसे चौंकाने की बात यह है कि खनन क्षेत्र की विकास दर पिछली बार 7.4 फीसदी थी, जबकि इस बार यह 1.8 फीसदी रही है। कंस्ट्रक्शन क्षेत्र की विकास दर भी 7.7 फीसदी से घटकर 1.2 फीसदी पर आ गई है।

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने राजधानी दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि अगली तिमाहियों में आर्थिक विकास दर में सुधार आ सकता है। उन्होंने देश में रोजगार सृजन में हो रही वृद्धि पर संतोष जताते हुए कहा कि यह रोगजार विहीन विकास दर नहीं है। साल 2005 से लेकर 2010 के बीच में 2.77 करोड़  अतिरिक्त रोजगार के अवसर बने हैं और इसमें अधिकांश रोजगार ग्रामीण क्षेत्रों में मिले हैं। (लेकिन वित्त मंत्री जी! यह तो नरेगा वाले दिहाड़ी मजदूरी के रोजगार हैं)

उन्होंने कहा कि पहली तिमाही में निवेश में विकास की दर आठ फीसदी रही है। हालांकि उन्होंने चालू वित्त वर्ष की आर्थिक विकास दर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि पूरे वर्ष की विकास दर का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है। हमें कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।

इस बीच वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने भरोसा जताया है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक विकास दर सुधार होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि सितंबर में समाप्त होने वाली तिमाही में इसमें कोई विशेष सुधार होने की उम्मीद नहीं है। लेकिन दिसंबर तिमाही से इसमें बढ़त का अनुमान है।

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