मुद्रास्फीति की ऊंची दरों के चलते अब डीजल के दाम बढ़ाने का फैसला अगले वित्त वर्ष तक टाला जा सकता है। यह कहना है कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन का। उन्होंने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट को बताया कि, “शायद मार्च 2011 तक अगर मुद्रास्फीति की दर 6 फीसदी के आसपास आ जाती है तो उस वक्त संभवतः डीजल के मूल्यों को बढ़ाया जा सकता है।” पिछले हफ्ते इस मुद्दे पर वित्त मंत्रीऔरऔर भी

विदा लेते साल 2010 के दौरान देश में भ्रष्टाचार और घोटालों के कई मामले सामने आए। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था नौ फीसदी की तेज रफ्तार के साथ आगे बढती दिखाई दी। पहले राष्ट्रमंडल खेल आयोजन में भ्रष्टाचार, फिर कॉरपोरेट जगत के लिये जनसंपर्क का काम करनेवाली नीरा राडिया के नेताओं, अधिकारियों और पत्रकारों के साथ बातचीत के टेप के सार्वजनिक होने और 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से उठा तूफान। इन सब विवादों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था नौ फीसदीऔरऔर भी

अगले साल मार्च 2011 तक महंगाई की दर 5.5 फीसदी के करीब आकर ठहर जाएगी और देश की आर्थिक विकास दर 8.5 फीसदी रहेगी। यह दावा है प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का। उन्होंने कांग्रेस के 83वें महाधिवेशन के दूसरे दिन अपने संबोधन में कहा कि ‘‘ देश में मुद्रास्फीति गंभीर चिंता की वजह बनी हुई है। हमने बढती महंगाई काबू पाने की पूरी कोशिश की है और आगे भी करते रहेंगे।’’ बता दें कि नवंबर में थोक मूल्यऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने तीसरी तिमाही के बीच में मौद्रिक नीति की समीक्षा करते वक्त तरलता के संकट को स्वीकार किया है और इसे दूर करने के लिए उसने 18 दिसंबर से वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को 25 फीसदी के मौजूदा स्तर से घटाकर 24 फीसदी कर दिया है। साथ ही उसने तय किया है कि अगले एक महीने में वह खुले बाजार ऑपरेशन (ओएमओ) के तहत नीलामी से 48,000 करोड़ रुपए के सरकारी बांड खरीदेगा। उसने सीआरआरऔरऔर भी

मुद्रास्फीति की दर नवंबर में घटकर 7.48 फीसदी पर आ गई है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इससे उत्साहित होकर भरोसा जताया है कि मार्च 2011 तक मुद्रास्फीति की घटकर 6 फीसदी रह जाएगी। इससे और कुछ हो या न हो, इतना जरूर साफ हो गया है कि गुरुवार 16 दिसंबर को पेश की जानेवाली मौद्रिक नीति की मध्य-त्रैमासिक समीक्षा एकदम ठंडी रहेगी। इसमें ब्याज दरें बढ़ने की कोई उम्मीद नहीं है। यानी न तो रेपो दरऔरऔर भी

दो महीने तक लस्टम-पस्टम चलने के बाद देश की औद्योगिक विकास दर फिर दहाई अंक में आ गई है। औदियोगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) से नापी जानेवाली यह दर अक्टूबर में 10.8 फीसदी रही है, जबकि अगस्त में यह 6.91 फीसदी और सितंबर में मात्र 4.4 फीसदी ही थी। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोटेंक सिंह आहूलवालिया अक्टूबर के आंकड़ों से इतने उत्साहित हैं कि कहने लगे हैं कि यह (आईआईपी की विकास दर) पूरे वित्त वर्ष 2010-11 मेंऔरऔर भी

देश में जहां एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) निवेश बढ़ता जा रहा है, वहीं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) घट रहा है। एफआईआई निवेश में एक तरह का उबाल आया हुआ है। लेकिन पिछले छह महीनों में एफडीआई घटकर लगभग आधा रह गया है। इस बीच हमारा व्यापार घाटा भी बढ़ रहा है। यूरो ज़ोन के संकट ने हमारे व्यापार संतुलन पर विपरीत असर डाला है। चिंता के ये सारे मसले खुद वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने उठाए हैं।औरऔर भी

देश की अर्थव्यवस्था इस साल पिछले तीन सालों की सबसे ज्यादा 9 फीसदी विकास दर हासिल कर सकती है, लेकिन मुद्रास्फीति की दर साल के अंत में रिजर्व बैंक के अनुमान से काफी ज्यादा रहेगी। यही नहीं, खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति तो 19.95 फीसदी पर पहुंच सकती है। वित्त मंत्रालय ने यह अनुमान अर्थव्यवस्था के छमाही विश्लेषण में पेश किया है। मंगलवार को यह विश्लेषण रिपोर्ट वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने संसद के दोनों सदनों में पेशऔरऔर भी

चीन के केंद्रीय बैंक ने करीब तीन साल बाद पहली बार ब्याज दरें बढ़ाकर सबको चौंका दिया है। वहां 20 अक्टूबर, बुधवार से एक साल की जमा और कर्ज पर ब्याज की दर 0.25 फीसदी बढ़ जाएगी। यह कदम मुद्रास्फीति और विभिन्न आस्तियों के बढ़ते दामों पर काबू पाने के लिए उठाया गया है। अभी वहां एक साल के जमा पर ब्याज की दर 2.25 फीसदी है जो अब 2.50 फीसदी हो जाएगी। इसी तरह एक सालऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी भले ही मानते हों कि देश में विदेशी पूंजी प्रवाह का बढ़ना चिंता की बात नहीं है। न ही वे मुद्रास्फीति के दबाव को लेकर चिंतित हैं। लेकिन रिजर्व बैंक इन दोनों ही मुद्दों को लेकर गंभीर है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने मंगलवार को मुंबई में प्राइवेट इक्विटी इंटरनेशनल इंडिया फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि विदेशी पूंजी का यूं बहते चले आना खतरे की आशंका पैदा करऔरऔर भी