मुद्रास्फीति की दर नवंबर में घटकर 7.48 फीसदी पर आ गई है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इससे उत्साहित होकर भरोसा जताया है कि मार्च 2011 तक मुद्रास्फीति की घटकर 6 फीसदी रह जाएगी। इससे और कुछ हो या न हो, इतना जरूर साफ हो गया है कि गुरुवार 16 दिसंबर को पेश की जानेवाली मौद्रिक नीति की मध्य-त्रैमासिक समीक्षा एकदम ठंडी रहेगी। इसमें ब्याज दरें बढ़ने की कोई उम्मीद नहीं है। यानी न तो रेपो दर और न ही रिवर्स रेपो दर में कोई तब्दीली की जाएगी। सिस्टम में तरलता के संकट को देखते हुए एसएलआर में तो नहीं, लेकिन सीआरआर में आधा फीसदी कमी की जा सकती है। सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) अभी 6 फीसदी है। दूसरे शब्दों में बैंकों को अपनी कुल जमा का 6 फीसदी हिस्सा रिजर्व बैंक के पास नकद रखना पड़ता है जिस पर उन्हें कोई ब्याज नहीं मिलता।
बता दें कि 16 दिसंबर को दोपहर 12 बजे रिजर्व बैंक की तरफ से मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही के बीच की समीक्षा पेश की जाएगी। इस बाबत केवल विज्ञप्ति ही जारी होगी। वैसे भी तीसरी तिमाही की पूरी समीक्षा 25 जनवरी 2011 को पेश की जाएगी। अगर तब कोई खास जरूरत पड़ी तभी ब्याज दरों में ज्यादा से ज्यादा 0.25 फीसदी वृद्धि की जा सकती है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार अधिकांश अर्थशास्त्री मार्च से पहले रिजर्व बैंक ब्याज दरें 0.25 फीसदी बढ़ा सकता है। 2 नवंबर को पेश मौद्रिक नीति की समीक्षा में उसने रेपो दर को 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.25 फीसदी और रिवर्स रेपो दर को भी 0.25 फीसदी बढ़ाकर 5.25 फीसदी कर दिया है।
गौरतलब है कि मंगलवार को जारी सूचना के मुताबिक नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर 7.48 फीसदी रही है, जबकि अक्टूबर में यह 8.58 फीसदी रही थी। उधर, खाद्य मुद्रास्फीति अब घटकर 8.69 फीसदी पर आ गई है जबकि 13 नवंबर को समाप्त सप्ताह में यह 10.15 फीसदी थी। इन आंकड़ों के जारी होने के बाद वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि पिछले कुछ समय से खाद्य मुद्रास्फीति में काफी नरमी आई है। इसे देखते हुए उम्मीद बंधी है कि मार्च 2011 तक सकल मुद्रास्फीति घटकर 6 फीसदी रह जाएगी। वैसे रिजर्व बैंक का लक्ष्य 5.5 फीसदी का है।
उल्लेखनीय है कि खाद्य मुद्रास्फीति लंबे समय तक दहाई अंक में चलने के बाद पिछले दो सप्ताह से इकाई अंक में आ गई है। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) द्वारा दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में संवाददाताओं के सवाल पर मुखर्जी ने कहा लंबे समय तक खाद्य मुद्रास्फीति दहाई अंकों में बनी रही, लेकिन अब इसमें सकारात्मक संकेत मिले हैं और यह घटकर इकाई अंक में आ गई है। इसकी नरमी का असर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर भी पडा है। मुखर्जी ने कहा है कि खाद्य मुद्रास्फीति की नरमी का ही असर है कि सकल मुद्रास्फीति भी नीचे आ रही है।