रिजर्व बैंक की राय वित्त मंत्री से अलग, पूंजी प्रवाह बढ़ने पर चिंता

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी भले ही मानते हों कि देश में विदेशी पूंजी प्रवाह का बढ़ना चिंता की बात नहीं है। न ही वे मुद्रास्फीति के दबाव को लेकर चिंतित हैं। लेकिन रिजर्व बैंक इन दोनों ही मुद्दों को लेकर गंभीर है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने मंगलवार को मुंबई में प्राइवेट इक्विटी इंटरनेशनल इंडिया फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि विदेशी पूंजी का यूं बहते चले आना खतरे की आशंका पैदा कर रहा है और हम इससे निपटने के स्पष्ट तरीकों पर विचार कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह (विदेशी पूंजी का प्रवाह) असंतुलन के चलते विश्वस्तर की बड़ी समस्या बनती जा रही है। तरलता इतनी ज्यादा है और उभरते बाजारों में अधिक रिटर्न मिलने के कारण यह उधर ही झुकी पड़ी है। इस साल अभी तक भारतीय शेयर बाजार में 19.7 अरब डॉलर का एफआईआई निवेश आ चुका है। इसका एक तिहाई हिस्सा तो सितंबर की शुरुआत के बाद से आया है। इससे भारतीय रुपए पर काफी दबाव बढ़ गया है।

सुबीर गोकर्ण ने यह भी माना कि मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के निश्चिंत रहने के स्तर से काफी ज्यादा हो चुकी है। बता दें कि सोमवार को ही वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने एक इंटरव्यू में विदेशी पूंजी प्रवाह के बढ़ने और मुद्रास्फीति दोनों को ही गंभीर समस्या नहीं माना था। लेकिन कहा था रिजर्व बैंक इस पर नजर रखे हुए है और जरूरत पड़ने पर हस्तक्षेप करेगा।

गोकर्ण ने कहा कि विदेशी पूंजी का प्रवाह हमारे चालू खाते के घाटे से ज्यादा है। इससे रुपए पर मजबूत होने का दबाव बढ़ता जाएगा। इधर डॉलर के सापेक्ष रुपया लगातार महंगा होता जा रहा है। इससे असंतुलन बढ़ सकता है। भारत का चालू खाते का घाटा इस साल जून की तिमाही में पिछली तिमाही से 13.7 अरब डॉलर बढ़ गया है। इसका मतलब यह हुआ कि हमारा आयात निर्यात से लगातार ज्यादा बना हुआ है।

रिजर्व बैंक डिप्टी गवर्नर गोकर्ण ने कहा कि देश में मुद्रास्फीति की मौजूदा स्थिति बहुत आश्वस्त करनेवाली नहीं है। यह चिंता का विषय है। यह बेफिक्री के स्तर से काफी ज्यादा हो चुकी है। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर इस साल जून तक लगातार पांच महीनों तक दहाई अंकों में बनी रही। हालांकि अगस्त माह में यह 8.51 फीसदी रही है। वैसे, खाद्य मुद्रास्फीति अब भी दहाई अंकों में बनी हुई है। रिजर्व बैंक अपनी तरफ से लगातार ब्याज दरों को बढ़ाते हुए मुद्रास्फीति को थामने की कोशिश में लगा है। मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा वह 2 नवंबर को पेश करनेवाला है।

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