अगले साल मार्च 2011 तक महंगाई की दर 5.5 फीसदी के करीब आकर ठहर जाएगी और देश की आर्थिक विकास दर 8.5 फीसदी रहेगी। यह दावा है प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का। उन्होंने कांग्रेस के 83वें महाधिवेशन के दूसरे दिन अपने संबोधन में कहा कि ‘‘ देश में मुद्रास्फीति गंभीर चिंता की वजह बनी हुई है। हमने बढती महंगाई काबू पाने की पूरी कोशिश की है और आगे भी करते रहेंगे।’’
बता दें कि नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर 7.48 फीसदी रही है, जबकि अक्टूबर में यह 8.58 फीसदी थी। इससे पहले फरवरी से जुलाई तक यह लगातार दहाई अंकों में बनी हुई थी। रिजर्व बैंक ने मार्च 2011 तक मुद्रास्फीति के 5.5 फीसदी होने का लक्ष्य रखा है। हालांकि उसने 25 जनवरी की अगली मौद्रिक समीक्षा में इसे बदलने की बात कही है। फिर भी किसी जमाने में रिजर्व बैंक के गवर्नर रह चुके हमारे अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री पुराने अनुमान का ठिठोरा पीट रहे हैं। उनका दावा इसलिए भी असंगत लगता है क्योंकि 4 दिसंबर को खत्म हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति की दर पिछले हफ्ते के 8.69 फीसदी से बढ़कर 9.46 फीसदी हो गई है।
प्रधानमंत्री ने कांग्रेसजनों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘अभी हाल में मुद्रास्फीति की दर घटकर 7.5 फीसदी रह गयी है। हम उम्मीद करते हैं कि ये सिलसिला जारी रहेगा और अगले मार्च महीने तक मुद्रास्फीति की दर 5.5 फीसदी के करीब आकर ठहर जाएगी।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि 2009 के चुनाव घोषणा पत्र में हमने देश को आगाह किया था कि दुनिया पिछले 50 साल के सबसे बुरे आर्थिक हालात का सामना कर रही है। उस आर्थिक मंदी ने दुनिया भर में बाजारों को काफी नुकसान पहुंचाया। हमने देश के लोगों से वायदा किया था कि इन कठिन हालात से लडने की हम पूरी कोशिश करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि हमने अपने वायदे को पूरा किया है। आर्थिक संकट के बावजूद हमारी आर्थिक वृद्धि दर अच्छी रही है। पिछली दो तिमाही में ये दर 8.9 फीसदी रही और हमें उम्मीद है कि पूरे साल में यह दर करीब 8.5 फीसदी रहेगी।’’ उन्होंने उम्मीद जताई है कि अगले साल से हम नौ से दस फीसदी की की दर से आर्थिक विकास कर पाएंगे।