जो कभी नहीं हुआ, वो अभी हो रहा है। शुक्रवार, 12 मार्च 1993 को जब सुबह से ही मुंबई बम धमाकों से थर्रा रही है, पूरी मुंबई में 257 लोग मारे गए और 1400 से ज्यादा घाटल हो गए, दोपहर डेढ़ बजे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के बेसमेंट तक में जबरदस्त धमाका हुआ, तब भी अपना शेयर बाजार बंद नहीं हुआ था और उसमें सोमवार 15 मार्च से बाज़ार में बाकायदा ट्रेडिंग होने लगी। बुधवार, 26 मार्च 2008औरऔर भी

समय कितना बेरहम और भविष्य कितना अनिश्चित है! एनडीटीवी के अधिग्रहण के बाद जब हर तरफ अडाणी समूह की तूती बोल रही थी, उसकी शीर्ष कंपनी अडाणी एंटरप्राइसेज़ का 20,000 करोड़ रुपए का ऐतिहासिक एफपीओ (फॉलो-न पब्लिक ऑफर) आने ही वाला था, समूह के मुखिया गौतम अडाणी घूम-घूमकर मीडिया को इंटरव्यू दे रहे थे कि वे कितने ज़मीन से उठे उद्यमी और लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था रखनेवाले व्यक्ति हैं (यहां तक कि कुछ लोग दबी जुबान सेऔरऔर भी

सालों-साल से ट्रकों के पीछे लिखा रहता है देखो मगर प्यार से। लेकिन शेयर बाज़ार ऐसी चीज़ है जिसे देश के 92% लोग हिकारत से देखते हैं। बाकी लोग प्यार नहीं, लालच की नज़र से देखते हैं। सोचते और पूछते हैं कि बाज़ार कल या छह महीने बाद कहां तक जाएगा। असल सवाल उन्हें पूछना चाहिए कि जिस कंपनी का शेयर खरीद रहे हैं, उसका धंधा कहां जाएगा। ऐसा सोचना आवश्यक है। अब आज का लंबा निवेश…औरऔर भी

देश की राजनीति में सेवा भाव कब का खत्म हो चुका है। वो विशुद्ध रूप से धंधा बन चुकी है, वह भी जनधन की लूट का। इसे एक बार फिर साबित किया है गुजरात विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों ने। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की तरफ से सजाए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक राज्य की नई विधानसभा में 99 विधायक ऐसे हैं जो 2007 में भी विधायक थे। इनकी औसत संपत्ति बीते पांच सालों में 2.20 करोड़औरऔर भी

गुजरात में कुल मतदाताओं की संख्या 3.78 करोड़ है। वहां अकेले गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन या अमूल के नाम से लोकप्रिय सहकारी संस्था से जुड़े दुग्ध उत्पादक सदस्यों की संख्या 31.8 लाख है। ये 8.41 फीसदी मतदाता राज्य के 24 जिलों के 16,117 गांवों में फैले हैं। बीते साल 2011-12 में अमूल का सालाना कारोबार 11,668 करोड़ रुपए रहा है। इतनी भौगोलिक पहुंच और आर्थिक ताकत के बावजूद अमूल का कोई संगठित राजनीतिक प्रभाव नहीं है।औरऔर भी

जिस तरह लोकतंत्र में हर शख्स को बराबर माना गया है, माना जाता है कि कानून व समाज की निगाह में हर कोई समान है, उसी तरह सुसंगत बाजार के लिए जरूरी है कि उसमें हर भागीदार बराबर की हैसियत से उतरे। यहां किसी का एकाधिकार नहीं चलता। इसलिए एकाधिकार के खिलाफ कायदे-कानून बने हुए हैं। लोकतंत्र और बाजार के बीच अभिन्न रिश्ता है। लेकिन अपने यहां लोकतंत्र और बाजार की क्या स्थिति है, हम अच्छी तरहऔरऔर भी

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वन्यजीव संरक्षण को बढावा देने की योजना के तहत गुजरात सरकार ने लुप्तप्राय पक्षी सोनचिरैया को फलने-फूलने का माकूल माहौल देने के लिए कच्छ जिले में 1500 हेक्टेयर भूमि आवंटित की है। सोनचिरैया को अंग्रेजी में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (जीआईबी) कहा जाता है। राज्य सरकार ने ‘कच्छ ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सैंक्चुअरी’ के नजदीक कच्छ के नालिया तालुका में दो वर्ग किलोमीटर में फैली भूमि आवंटित की है। इस लुप्तप्राय पक्षी के प्रजनन के लिए इस जगह कोऔरऔर भी

साल 1992 में देश में हाइड्रोकार्बन की खोज व उत्पादन का काम निजी क्षेत्र के लिए खोला गया और सेलन एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजी तभी से धरती के भीतर से इन्हें निकालने का काम कर रही है। उसे शुरू में सरकार से गुजरात में खोजे गए तीन तेल क्षेत्रों – बकरोल, इंदरोरा व लोहार को विकसित करने का काम मिला। इसके बाद गुजरात में ही दो और तेल क्षेत्रों – ओग्नाज व कर्जीसन का काम भी मिल गया। कंपनीऔरऔर भी

ज़ाइडस वेलनेस करीब 3900 करोड़ रुपए के टर्नओवर वाले ज़ाइडस कैडिला समूह की कंपनी है। शुगर फ्री, एवरयूथ व न्यूट्रालाइट जैसे लोकप्रिय उत्पाद बनाती है। कुछ महीने पहले ही उसने माल्ट से बना फूड ड्रिक एक्टीलाइफ बाजार में उतारा है। छोटी है, पर बड़ी तेजी से बढ़ती कंपनी है। पिछले तीन सालों में उसकी बिक्री 81.25 फीसदी और शुद्ध लाभ 135.23 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है। नियोजित पूंजी पर उसका रिटर्न 74.33 फीसदी औरऔरऔर भी

धीरे-धीरे साफ होता जा रहा है कि सब शेयरों को थोक के भाव एक ही तराजू में नहीं तौला जा सकता। उसी तरह जैसे सब धान पाइस पसेरी नहीं तौलते। लांग टर्म या दो से दस साल के लिए अलग, मीडियम टर्म या दो महीने से दो साल तक के लिए अलग, शॉर्ट टर्म या हफ्ते दस दिन से दो महीने तक के लिए अलग और एकाध दिन की ट्रेडिंग के लिए अलग। फंडामेंटल्स के आधार परऔरऔर भी