ज़ाइडस वेलनेस करीब 3900 करोड़ रुपए के टर्नओवर वाले ज़ाइडस कैडिला समूह की कंपनी है। शुगर फ्री, एवरयूथ व न्यूट्रालाइट जैसे लोकप्रिय उत्पाद बनाती है। कुछ महीने पहले ही उसने माल्ट से बना फूड ड्रिक एक्टीलाइफ बाजार में उतारा है। छोटी है, पर बड़ी तेजी से बढ़ती कंपनी है। पिछले तीन सालों में उसकी बिक्री 81.25 फीसदी और शुद्ध लाभ 135.23 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है। नियोजित पूंजी पर उसका रिटर्न 74.33 फीसदी और इक्विटी पर रिटर्न 49.06 फीसदी है।
यही वजह है कि बाजार ने उसे सिर पर चढ़ा रखा है। बड़ी उम्मीदें उससे पाल रखी हैं। उसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल एनएसई (कोड – ZYDUSWELL) में 557.35 रुपए और बीएसई (कोड – 531335) 554.45 रुपए पर बंद हुआ है। इस साल की जून तिमाही के नतीजों को मिलाकर ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का उसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 15.43 रुपए है। इस तरह फिलहाल उसका शेयर 35.93 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। इसी महीने 4 अक्टूबर को उसने 506.60 रुपए पर 52 हफ्ते का न्यूनतम स्तर पकड़ा था। लेकिन तब भी उसका पी/ई अनुपात 32.83 था।
यह इसी साल जनवरी में 58.82 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो चुका है, जब 14 जनवरी को 757 रुपए के शिखर तक जा पहुंचा था। इस लिहाज से देखें तो यह अभी अपने न्यूनतम स्तर के करीब है। इसलिए इसमें निवेश किया जा सकता है, लेकिन कम से कम तीन साल के लिए। असल में कंपनी ने बड़ा महत्वाकांक्षी लक्ष्य बना रखा है कि वह अपना टर्नओवर वित्त वर्ष 2013-14 में 500 करोड़ रुपए तक पहुंचा देगी।
अभी तक की प्रगति से लगता भी है कि वह इसे आसानी से हासिल कर लेगी। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसका टर्नओवर या कुल बिक्री 335.50 करोड़ रुपए रही है। तीन साल में 500 करोड़ रुपए का लक्ष्य हासिल करने के लिए उसे 14.22 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ना पड़ेगा, जो कोई मुश्किल नहीं लगता। दूसरे कंपनी के तीनों स्थापित उत्पाद बढ़िया काम कर रहे हैं। स्किनकेयर में एवरयूथ अच्छा चल रहा है। डायबिटीज और स्वास्थ्य जागरूकता के चलते उसका ब्रांड शुगर फ्री एक जेनरिक नाम बन गया है। इस श्रेणी में स्पर्धा निश्चित रूप से सघन होती जा रही है। लेकिन अब भी ज़ाइडस की बाजार हिस्सेदारी 86 फीसदी है। इसी तरह मार्जरीन में न्यूट्रालाइट शहरी मध्यवर्ग में अच्छा-खासा पसंद किया जा रहा है। नया उत्पाद एक्टीलाइफ दूध में मिलाकर पिया जानेवाला पोषक पेय है। तमिलनाडु में टेस्ट-मार्केटिंग से जैसा अच्छा रिस्पांस मिला था, उसके आधार पर इसे कंपनी के विकास का नया उत्प्रेरक माना जा रहा है।
यह सच है कि पिछली दो तिमाहियों से कंपनी का धंधा थोड़ा ठहरा हुआ है। जैसे, जून 2011 की तिमाही में उसकी बिक्री 87.37 करोड़ रुपए पर कमोबेश स्थिर रही, जबकि शुद्ध लाभ केवल 10.46 फीसदी बढ़कर 8.45 करोड़ रुपए पर पहुंच सका। इसी तरह मार्च 2011 की तिमाही में कंपनी की बिक्री तो 22.05 फीसदी बढ़कर 77.39 करोड़ रुपए पर पहुंची थी, लेकिन शुद्ध लाभ केवल 7.98 फीसदी बढ़कर 18.81 करोड़ रुपए पर पहुंच सका था। लेकिन जानकार कहते हैं कि यह टेक-ऑफ के पहले का ठहराव है।
यह पूरी तरह कर्जमुक्त कंपनी है। इसलिए इसमें ब्याज के बोझ का कोई चक्कर नहीं है। मार्च 2011 तक उसके पास 86 करोड़ रुपए का कैश बैलेंस था। वो भी तब, जब उसने सिक्किम में शुगर फ्री व एवरयूथ का नया संयंत्र लगाने पर 40 करोड़ रुपए लगा दिए। इस संयंत्र में उत्पादन शुरू होना अभी बाकी है। अहमदाबाद की इस कंपनी के मुख्य संयंत्र गुजरात में ही हैं। यह शुद्ध रूप से देशी कंपनी है। इस समूह की स्थापना स्वर्गीय रमनभाई बी पटेल ने 1952 में की थी।
थोड़े में कहें तो कंपनी के सारे उत्पाद बदलते वक्त की जरूरत पर सधे हैं। कंपनी का शेयर भले ही महंगा हो, लेकिन फिलहाल अपने न्यूनतम स्तर के करीब है। जो निवेश करना चाहें, वे इसे लंबे समय के लिए चुन सकते हैं। कंपनी की 39.07 करोड़ रुपए की इक्विटी में से प्रवर्तकों ने 72.54 फीसदी हिस्सा तो अपने पास ही रखा हुआ है। एफआईआई ने इसके 1.55 फीसदी और डीआईआई ने 16.10 फीसदी शेयर ले रखे हैं। इसके बाद बाकी लोगों के लिए 9.81 फीसदी शेयर ही बचते हैं। उसके कुल शेयरधारकों की संख्या 37,213 है। इसमें से 35,598 यानी 95.66 फीसदी छोटे निवेशकों के पास उसके 6.46 फीसदी शेयर ही है। एलआईसी ने इसके 5.23 फीसदी, एचडीएफसी म्युचुअल फंड ने 4.84 फीसदी और एसबीआई म्यूचुअल फंड ने 1.35 फीसदी शेयर खरीद रखे हैं।