दुनिया की पांच सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था वाले देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन व दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) ने खुलकर आरोप लगाया है कि अमीर देशों ने पिछले पांच सालों से दुनिया को वित्तीय संकट में झोंक रखा है। उनकी मौद्रिक नीतियों ने विश्व अर्थव्यवस्था को अस्थिर कर दिया है। दिल्ली में ब्रिक्स के चौथे शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त घोषणापत्र में यह धारणाएं व्यक्त की गई हैं। घोषणापत्र में कहा गया है किऔरऔर भी

विश्व अर्थव्यवस्था इस समय ‘खतरनाक दौर’ में जा पहुंची है। यूरोप मंदी की चपेट में आ चुका है। यह किसी ऐरे-गैरे का नहीं, बल्कि विश्व बैंक का कहना है। साथ ही उसका यह भी कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर चालू वित्त वर्ष 2011-12 में 6.8 फीसदी रहेगी, जबकि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का नया अनुमान 7 से 7.5 फीसदी का है। पिछले वित्त वर्ष 2010-11 में भारत का जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 8.5 फीसदीऔरऔर भी

विश्व अर्थव्यवस्था प्राकृतिक आपदा या आतंकवादी हमले से होनेवाली व्यापक तबाही ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ते तक झेल सकती है क्योंकि सरकारों या उद्योग-धंधों ने ऐसी अनहोनी के लिए पर्याप्त तैयारी नहीं कर रखी है। यह आकलन है दुनिया के एक प्रतिष्ठित चिंतन केंद्र, चैथम हाउस का। चैथम हाउस लंदन का एक संस्थान है जो अंतरराष्ट्रीय मसलों से संबंधित नीतियों पर नजर रखता है। दुनिया भर के नीति-नियामकों के बीच इसकी बड़ी साख है। चैथम हाउस नेऔरऔर भी

वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने दुनिया में एक और आर्थिक सुस्ती की आशंका जताई है। उन्होंने शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में तीसरे भारत-अफ्रीका हाइड्रोकार्बन सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “आज विश्‍व की अर्थव्यवस्‍था अनिश्चितता का सामना कर रही है। हालांकि इसमें कुछ सुधार के संकेत मिले हैं। लेकिन इसके बावजूद एक और आर्थिक सुस्ती की आशंका दिख रही है। पश्चिम एशियाई देशों के संकट ने भी अनि‍श्‍चि‍तता में योगदान कि‍‍या है, खासतौर से अंतरराष्‍ट्रीय बाजार मेंऔरऔर भी

लगातार दो महीने तक जोरदार तेजी दिखाने के बाद जुलाई में देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 38 फीसदी घटकर 1.09 अरब डॉलर रह गया है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। पिछले साल जुलाई देश में 1.78 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया था। बता दें कि जून माह में देश में एफडीआई का प्रवाह सालाना आधार पर 310 फीसदी बढ़कर 11 साल में किसी भी महीने के रिकॉर्ड स्तर 5.65 अरब डॉलरऔरऔर भी

बाजार के 5185 अंक तक नीचे चले जाने के बाद हम तीसरी बार 5600 का स्तर छूने की राह पर हैं। बस, 75 अंक का फासला और बचा है। पहली दो बार हालात थोड़ा परेशान करनेवाले और नकारात्मक थे। लेकिन इस बार कच्चे तेल के अलावा ऐसा कोई बड़ा कारक नहीं दिख रहा। बल्कि बजट का पारित होना, कॉरपोरेट नतीजों का दौर, विश्व अर्थव्यवस्था की बेहतर स्थिति, एफआईआई की तरफ से हो रहे अपग्रेड़, वित्त वर्ष केऔरऔर भी

दुनिया भर के करीब ढाई हजार नेता, उद्योगपति और आर्थिक विश्लेषक अगले पांच दिन (26 से 30 जनवरी) तक बर्फ से ढंके आल्प्स पहाड़ियों के बीच स्विटजरलैंड के दावोस रिजॉर्ट में विश्व अर्थव्यवस्था के भविष्य पर चर्चा करेंगे। सभी की चिंता इस बात को लेकर है कि खासकर अमीर राष्ट्रों में आर्थिक वृद्धि रोजगार के समुचित अवसर क्यों नहीं पैदा कर पा रही है। जिनेवा का वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) इन पांच दिनों के दौरान दुनिया कीऔरऔर भी