दुनिया में एक और सुस्ती की आशंका: वित्त मंत्री

वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने दुनिया में एक और आर्थिक सुस्ती की आशंका जताई है। उन्होंने शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में तीसरे भारत-अफ्रीका हाइड्रोकार्बन सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “आज विश्‍व की अर्थव्यवस्‍था अनिश्चितता का सामना कर रही है। हालांकि इसमें कुछ सुधार के संकेत मिले हैं। लेकिन इसके बावजूद एक और आर्थिक सुस्ती की आशंका दिख रही है। पश्चिम एशियाई देशों के संकट ने भी अनि‍श्‍चि‍तता में योगदान कि‍‍या है, खासतौर से अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों को लेकर।”

श्री मुखर्जी ने कहा कि अमेरिका सरकार की संप्रभु रेटिंग कम हुई है। उसे वि‍कास की धीमी गति‍ और बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। यूरोपीय देशों में ऋण का संकट लगातार जारी है। वि‍श्‍व के वि‍कास और वैश्‍वि‍क अर्थव्‍यवस्‍था में संतुलन बनाने में योगदान देने वाली उभरते देशों की अर्थव्‍यवस्‍थाएं मुद्रास्‍फीति‍ का सामना कर रही हैं। खाद्य वस्‍तुओं और ईंधन की कीमतें बढ़ रही हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि‍ भारत अमेरिका, चीन और जापान के बाद दुनिया के चौथे सबसे बड़े आयातक के रूप में उभरा है। 1.20 अरब की आबादी और 1.80 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था, 8 फीसदी की वि‍कास दर के साथ भारत की ऊर्जा जरूरतें तेजी से बढ़ रही हैं। भारत दुनि‍या के तेल और गैस उत्‍पादक देशों के साथ नई साझेदारी कायम करना चाहता है।

उन्‍होंने कहा कि‍ 2010 में अफ्रीका के पास 132 अरब बैरल तेल का भंडार था और उसका तेल उत्‍पादन प्रति‍ वर्ष 47 करोड़ 80 लाख टन था जो वि‍श्‍व के कुल तेल उत्‍पादन का 12 फीसदी है। भारत की रि‍फाइनिंग क्षमता 19 करोड़ 40 लाख टन प्रति‍ वर्ष से बढ़कर 2013 में 23 करोड़ 80 लाख टन हो जाएगी, जि‍सका अर्थ है कि‍ हमें हर साल चार करोड़ टन अति‍रि‍क्‍त कच्‍चे तेल की जरूरत होगी। इसी तरह सरकार प्राकृति‍क गैस की हि‍स्‍सेदारी बढ़ाना चाहती है। उन्‍होंने कहा कि‍ आनेवाले वाले सालों में भारत की कच्‍चे तेल और गैस की बढ़ती मांग को पूरा करने में अफ्रीका प्रमुख भूमि‍का नि‍भाएगा।

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